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This Article is From Aug 16, 2021

अफगानिस्तान संकट : 9/11 के बाद तालिबान के सत्ता से बेदखल होने से काबुल पर फिर कब्ज़े तक, जानें- कब क्या हुआ

2001 में अमेरिका (America) के नेतृत्व वाले हमले से पहले अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी, हालांकि अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था.

अफगानिस्तान संकट : 9/11 के बाद तालिबान के सत्ता से बेदखल होने से काबुल पर फिर कब्ज़े तक, जानें- कब क्या हुआ
तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जे में लिया है.
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) को एक बार फिर तालिबान (Taliban) ने अपने नियंत्रण में ले लिया है. यह पहली बार नहीं है जब तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जे में लिया है. 2001 में अमेरिका (America) के नेतृत्व वाले हमले से पहले अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी, हालांकि अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. आइए जानते हैं कि अफगानिस्तान में 2001 के बाद कब-कब और क्या-क्या हुआ. 

2001ः 9/11 और 'आतंक के खिलाफ युद्ध'

तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 11 सितंबर को अमेरिका पर हुए हमलों के जवाब में अफगानिस्तान के खिलाफ 7 अक्टूबर 2001 को ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध‘ शुरू किया था. अमेरिका में हुए हवाई हमलों में करीब 3 हजार लोग मारे गए थे. 

तालिबान सरकार ने ओसामा बिन लादेन और अल कायदा आंदोलन को पनाह दी थी, जो कि 9/11 हमले का मास्टरमाइंड था. 

तालिबानी1996 से सत्ता में थे, लेकिन वह जल्द ही हार गए और 6 दिसंबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से भाग गए. 

इसके बाद हामिद करजई को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया और नाटो ने अपने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल को तैनात किया.

देखें VIDEO: मौत के खौफ से अफगानिस्तान छोड़कर भागने की कोशिश में एक दूसरे पर टूट पड़े हवाई यात्री, VIDEO वायरल

2004ः पहला राष्ट्रपति चुनाव 

नई प्रणाली के तहत अफगानिस्तान में पहली बार 9 अक्टूबर 2004 को चुनाव हुए, जिसमें करीब 70 फीसद मतदान हुआ और करजई को 55 फीसद वोट मिले और वे राष्ट्रपति बने.

तालिबान दक्षिण और पूर्व और यहां तक की सीमा पार पाकिस्तान में एक बार फिर से खुद को संगठित करता है और विद्रोह का बिगुल फूंक देता है. 

2008-2011ः अमेरिका और मजबूत 

तालिबान के हमले बढ़ने के बाद 2008 में अमेरिकी कमांड ने और सैनिकों की मांग की, जिसके बाद और सैनिक भेजे गए.

करजई एक बार फिर 20 अगस्त 2009 को चुने गए। यह चुनाव बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, कम मतदान और तालिबानी हमलों से प्रभावित रहा. 

साल 2009 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या को दोगुना कर 68 हजार कर दिया. ओबामा ने अफगानिस्तान युद्ध को खत्म करने की बात कही थी। 2010 तक सैनिकों की संख्या एक लाख तक पहुंच गई. 

पाकिस्तान में 2 मई 2011 को ओसामा बिन लादेन अमेरिका के स्पेशल फोर्सेज के एक ऑपरेशन में मारा गया. 

22 जून को ओबामा ने घोषणा की कि 2012 के मध्य में 33 हजार सैनिकों को वापस बुलाने के साथ ही सेना की वापसी शुरू हो जाएगी. 

अफगानिस्तान में भय और दहशत का माहौल, तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर भी किया कब्जा
 

2014ः नाटो की वापसी

जून 2014 में अशरफ गनीअफगानिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए। हालांकि चुनाव में जमकर हिंसा हुई और धोखाधड़ी के दावों के कारण काफी विवाद हुआ। 

दिसंबर में नाटो ने अपने 13 साल के सैन्य मिशन को समाप्त कर दिया, लेकिन अफगानिस्तान की सेना को प्रशिक्षित करने के लिए कई सैनिक मौजूद रहे. 

तालिबान ने सत्ता से बेदखल होने के बाद जबरदस्त सैन्य प्रगति की और इस्लामिक स्टेट भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो गया। जिसके बाद हमले कई गुना बढ़ गए, खासतौर पर काबुल में. 

2020ः यूएस-तालिबान डील

अशरफ गनी को 18 फरवरी, 2020 को दूसरे कार्यकाल के लिए विजयी घोषित किया गया. 

29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के मध्य दोहा में ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत सभी विदेशी सेनाओं को मई 2021 तक अफगानिस्तान छोड़ना था, बशर्ते विद्रोही काबुल के साथ बातचीत शुरू करें और अन्य सुरक्षा गारंटी दें. 

सितंबर में वार्ता शुरू होती है लेकिन हिंसा बढ़ती है और हत्याओं के लिए तालिबान को दोषी ठहराया जाता है.

मई 2021ः विदेशी सैनिकों की वापसी

1 मई, 2021 को अमेरिका और नाटो ने अपने 9,500 सैनिकों को वापस बुलाया, जिनमें से 2,500 अमेरिकी हैं. मई में, अमेरिकी कंधार हवाई अड्डे से हट गए.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 9/11 हमले की 20वीं बरसी से पहले 31 अगस्त तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी कर ली जाएगी.

मई-अगस्त 2021ः तालिबान का हमला 

सैनिकों की वापसी शुरू होते ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में हमले शुरू कर दिए और भीतरी इलाकों के विशाल हिस्सों पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 6 अगस्त को दक्षिण-पश्चिम में अपनी पहली प्रांतीय राजधानी जरांज पर कब्जा कर लिया.13 अगस्त तक अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से उत्तर, पश्चिम और दक्षिण तालिबान के नियंत्रण में है. 

अगस्त 2021ः काबुल का पतन

15 अगस्त को पूर्व में जलालाबाद पर कब्जा करने के साथ विद्रोहियों ने राजधानी काबुल को पूरी तरह से घेर लिया.अशरफ गनी देश से भाग जाते हैं और कथित तौर पर ताजिकिस्तान चले जाते हैं. 

तालिबान क्या है और अफगानिस्तान में चल रहे विवाद का इतिहास क्या है? जानिए...

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