सोशल मीडिया पर डाली गई तस्वीर में फर्श पर 40 शावकों के शव पड़े दिख रहे हैं (रॉयटर्स)
बैंकॉक:
थाईलैंड अपना प्रसिद्ध टाइगर टेंपल बंद कर सकता है, क्योंकि वन्यजीव विशेषज्ञों ने वहां एक फ्रीजर में बाघों के 40 मृत शावक पाए। मंदिर भारतीय एवं विदेशी सैलानियों में काफी लोकप्रिय है।
छापेमारी के बाद लोगों के बंद कर दी गई मंदिर
बौद्ध मंदिर प्रशासन पर जानवरों की अवैध तस्करी एवं उनके साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपों के बीच, फ्रीजर में ये 40 मृत शावक पाए गए। सोशल मीडिया पर डाली गई तस्वीर में फर्श पर 40 शावकों के शव पड़े दिख रहे हैं। छापेमारी के बाद से यह जगह लोगों के लिए बंद कर दी गई है।
मृत शावकों में अधिकतर बंगाल टाइगर के
मंदिर के भिक्षुओं ने पूर्व में बाघों की तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया था। लेकिन पुलिस और वन्यजीव अधिकारियों ने वहां के 137 बाघों का नए सिरे से पता लगाने के लिए सोमवार को अभियान शुरू किया था। इन बाघों में अधिकतर बंगाल टाइगर हैं।
खुद को आध्यात्मिक अभयारण्य बताता था मंदिर
बौद्ध मंदिर ने 15 साल पहले बाघों को रखना और उनका प्रजनन कराना शुरू किया था और खुद को एक आध्यात्मिक अभयारण्य के तौर पर प्रचारित किया। आध्यात्मिक अभयारण्य ऐसी जगह होती है जहां वन्यजीव और इंसान साथ-साथ शांति से रह सकें। मंदिर प्रशासन पर एक दशक से सरकारी अधिकारी और वन्यजीव कार्यकर्ता ऐसे आरोप लगाते रहे हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
छापेमारी के बाद लोगों के बंद कर दी गई मंदिर
बौद्ध मंदिर प्रशासन पर जानवरों की अवैध तस्करी एवं उनके साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपों के बीच, फ्रीजर में ये 40 मृत शावक पाए गए। सोशल मीडिया पर डाली गई तस्वीर में फर्श पर 40 शावकों के शव पड़े दिख रहे हैं। छापेमारी के बाद से यह जगह लोगों के लिए बंद कर दी गई है।
मृत शावकों में अधिकतर बंगाल टाइगर के
मंदिर के भिक्षुओं ने पूर्व में बाघों की तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया था। लेकिन पुलिस और वन्यजीव अधिकारियों ने वहां के 137 बाघों का नए सिरे से पता लगाने के लिए सोमवार को अभियान शुरू किया था। इन बाघों में अधिकतर बंगाल टाइगर हैं।
खुद को आध्यात्मिक अभयारण्य बताता था मंदिर
बौद्ध मंदिर ने 15 साल पहले बाघों को रखना और उनका प्रजनन कराना शुरू किया था और खुद को एक आध्यात्मिक अभयारण्य के तौर पर प्रचारित किया। आध्यात्मिक अभयारण्य ऐसी जगह होती है जहां वन्यजीव और इंसान साथ-साथ शांति से रह सकें। मंदिर प्रशासन पर एक दशक से सरकारी अधिकारी और वन्यजीव कार्यकर्ता ऐसे आरोप लगाते रहे हैं।
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