बीजिंग:
अंटार्कटिका में एक बड़े हिमपर्वत के ध्वस्त होने से भोजन के लिए लंबी यात्रा को मजबूर हुए करीब 150,000 से भी ज्यादा पेंगुइनों की मौत हो गई। वेबसाइट 'डेली मेल ऑनलाइन' की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।
कॉमनवेल्थ खाड़ी पर स्थित चट्टान केप डेनिसन में रहने वाले पेंगुइन खुले पानी के एक बड़ी झील में साथ रहते थे। 2010 में 2,900 वर्ग किलोमीटर का एक बड़ा हिमखंड खाड़ी में फंस गया, जिसके कारण पेंगुइन को अपने भोजन के लिए 60 किलोमीटर का रास्ता तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस सफर के कारण उन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा।
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र द्वारा किए गए शोध के अनुसार, इस विपदा के कारण 2011 से 160,000 पेंगुइनों की एक कॉलोनी सिमटकर 10,000 की रह गई। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह कॉलोनी आगामी 20 वर्षों में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
अंटार्कटिका के करीब समुद्री बर्फ बढ़ रही है और इसके विपरीत आर्कटिक में ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल रही है और ग्लेशियर घट रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हवा और स्थानीय परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण ही अंटार्कटिका में बर्फ में विकास हो रहा है।
कॉमनवेल्थ खाड़ी पर स्थित चट्टान केप डेनिसन में रहने वाले पेंगुइन खुले पानी के एक बड़ी झील में साथ रहते थे। 2010 में 2,900 वर्ग किलोमीटर का एक बड़ा हिमखंड खाड़ी में फंस गया, जिसके कारण पेंगुइन को अपने भोजन के लिए 60 किलोमीटर का रास्ता तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस सफर के कारण उन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा।
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र द्वारा किए गए शोध के अनुसार, इस विपदा के कारण 2011 से 160,000 पेंगुइनों की एक कॉलोनी सिमटकर 10,000 की रह गई। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह कॉलोनी आगामी 20 वर्षों में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
अंटार्कटिका के करीब समुद्री बर्फ बढ़ रही है और इसके विपरीत आर्कटिक में ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल रही है और ग्लेशियर घट रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हवा और स्थानीय परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण ही अंटार्कटिका में बर्फ में विकास हो रहा है।
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