प्रतीकात्मक फोटो
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के सूखाग्रस्त दक्षिणी सिंध प्रांत में इस महीने जलजनित और विषाणु जनित बीमारियों से 100 से अधिक नवजात शिशुओं और कई महिलाओं की मौत हो गई है।
थारपारकर जिले के विभिन्न इलाकों में जल जनित बीमारियों और कुपोषण के साथ-साथ ठंड के कारण बच्चों की मौत हो गई। हालांकि सिंध सरकार ने इतनी अधिक संख्या में लोगों की मौत होने से इनकार किया है, लेकिन चिकित्सकों ने कहा है कि जलजनित और विषाणु जनित बीमारियों से बुधवार को दो महिलाओं और आठ बच्चों की मौत हुई।
थारपारकर जिले के स्वास्थ्य अधिकारी अर्जुन कुमार ने कहा, इलाके में जलजनित और विषाणु जनित बीमारियां फैल गई हैं और नवजात शिशुओं एवं बच्चों की कुपोषण एवं अत्यधिक ठंड के कारण मौत हुई हैं। थारपारकर जिले में केवल जनवरी में करीब 121 नवजात शिशुओं और कुछ मामलों में मांओं की मौत भी हुई है।
हालांकि थारपारकर के उप जिला स्वास्थ्य अधिकारी जय प्रकाश ने कहा कि अभी तक इस प्रकार की बीमारियों से 40 बच्चों की मौत हुई है। अधिकारी ने दावा किया कि निमोनिया और अन्य बीमारियों से पीड़ित 162 बच्चों का मीठी अस्पताल और अन्य अस्पतालों में उपचार चल रहा है।
सिंध सरकार जिले में बच्चों की मौत के कारण आलोचनाओं का शिकार हो रही है लेकिन अधिकारियों और मंत्रियों का दावा है कि आंकड़ें सही नहीं हैं और इलाके में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए और फंड आवंटित किया गया है।
थारपारकर जिले के विभिन्न इलाकों में जल जनित बीमारियों और कुपोषण के साथ-साथ ठंड के कारण बच्चों की मौत हो गई। हालांकि सिंध सरकार ने इतनी अधिक संख्या में लोगों की मौत होने से इनकार किया है, लेकिन चिकित्सकों ने कहा है कि जलजनित और विषाणु जनित बीमारियों से बुधवार को दो महिलाओं और आठ बच्चों की मौत हुई।
थारपारकर जिले के स्वास्थ्य अधिकारी अर्जुन कुमार ने कहा, इलाके में जलजनित और विषाणु जनित बीमारियां फैल गई हैं और नवजात शिशुओं एवं बच्चों की कुपोषण एवं अत्यधिक ठंड के कारण मौत हुई हैं। थारपारकर जिले में केवल जनवरी में करीब 121 नवजात शिशुओं और कुछ मामलों में मांओं की मौत भी हुई है।
हालांकि थारपारकर के उप जिला स्वास्थ्य अधिकारी जय प्रकाश ने कहा कि अभी तक इस प्रकार की बीमारियों से 40 बच्चों की मौत हुई है। अधिकारी ने दावा किया कि निमोनिया और अन्य बीमारियों से पीड़ित 162 बच्चों का मीठी अस्पताल और अन्य अस्पतालों में उपचार चल रहा है।
सिंध सरकार जिले में बच्चों की मौत के कारण आलोचनाओं का शिकार हो रही है लेकिन अधिकारियों और मंत्रियों का दावा है कि आंकड़ें सही नहीं हैं और इलाके में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए और फंड आवंटित किया गया है।
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