COP26 में प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत का एजेंडा पेश किया
ग्लासगो:
- ऊर्चा की अंधाधुंध और विनाशकारी खपत रोकनी होगी.
- मेरे लिए पेरिस में हुआ आयोजन, एक समिट नहीं, सेंटीमेंट था, एक कमिटमेंट था. और भारत वो वादे विश्व से नहीं कर रहा था, बल्कि वो वादे, सवा सौ करोड़ भारतवासी, अपने आप से कर रहे थे.
- आज विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, जिसकी emissions में Responsibility सिर्फ 5 प्रतिशत रही है, उस भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है.
- आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो भारत के ट्रैक रिकॉर्ड को भी लेकर आया हूं. मेरी बातें, सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का जयघोष हैं. आज भारत installed renewable energy capacity में विश्व में चौथे नंबर पर है.
- पूरी दुनिया अब स्वीकार करती है कि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने पेरिस में किए गए सभी वादों को पूरा किया है.
- विश्व की पूरी आबादी से भी अधिक यात्री, भारतीय रेल से हर वर्ष यात्रा करते हैं. इस विशाल रेलवे सिस्टम ने अपने आप को 2030 तक ‘Net Zero' बनाने का लक्ष्य रखा है. अकेली इस पहल से सालाना 60 मिलियन टन एमिशन की कमी होगी.
- मैं आज आपके सामने एक, One-Word Movement का प्रस्ताव रखता हूं. यह One-Word एक शब्द, क्लाइमेट के संदर्भ में, One World-एक विश्व का मूल आधार बन सकता है, अधिष्ठान बन सकता है. ये एक शब्द है- LIFE...एल, आई, एफ, ई, यानी Lifestyle For Environment
- क्लाइमेट चेंज पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं.
- ये सच्चाई हम सभी जानते हैं कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर आज तक किए गए वादे खोखले ही साबित हुए हैं.
- जब हम सभी climate एक्शन पर अपने ambitions बढ़ा रहे हैं, तब climate फाइनेंस पर विश्व के ambition वहीँ नहीं रह सकते जो पेरिस अग्रीमेंट के समय थे.
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