विराट कोहली और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया ने वर्ल्ड टी20 में सेमीफाइनल में एंट्री के लिए ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराया और इस जीत में विराट कोहली की बल्लेबाजी एक महत्वपूर्ण कारण थी। लेकिन इस जीत के पीछे विराट की बल्लेबाजी के अलावा और भी कई कारण थे जिन्हें जीत का श्रेय कुछ कम दिया गया। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही कारण जिनके कारण टीम इंडिया ने कंगारुओं पर एक शानदार जीत दर्ज की।
सबसे पहले बात ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की
मैच में सबने देखा कि ऑस्ट्रेलियाई ओपनरों ने बल्लेबाजी से शुरू के 4 ओवरों में ऐसी धमाकेदार पारी खेली की टीम इंडिया के होश उड़ गए थे। पहला विकेट गिरने से पहले 4.2 ओवरों में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 54 रन हो चुका था। करीब 14 रन प्रति ओवर की औसत से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों में टीम इंडिया के गेंदबाजो को धोया और भारतीय दर्शकों को ऐसा लगने लगा था मैच हाथ से निकल गया। लेकिन इस ओवर के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम कभी इस औसत को छू नहीं पाई। इसके बाद से उसका औसत लगातार कम होता गया और अंतिम ओवर को छोड़ दिया जाए तो टीम इंडिया के गेंदबाजों ने विपक्षी टीम के बल्लेबाजो को कभी हावी नहीं होने दिया।
जीत में टीम इंडिया के गेंदबाजों का योगदान
जाहिर है टीम इंडिया के सबसे अनुभवी गेंदबाजी आशीष नेहरा ने पहला ओवर फेंका और मात्र चार रन दिए। टीम को पहली कामयाबी भी नेहरा ने दिलाई। नेहरा ने इस मैच में चार ओवर फेंके और 20 रन दिए। नेहरा ने टी20 के प्रारूप में 13 गेंदें डॉट डालीं और एक विकेट लिया। नेहरा की गेंदों पर तीन चौके लगे थे। नेहरा ने टीम इंडिया की ओर से सबसे किफायती गेंदबाजी की।
हार्दिक पांड्या ने भी की कमाल गेंदबाजी
टीम इंडिया के गेंदबाज हार्दिक पांड्या ने अपनी गेंदबाजी का कमाल दिखाया। अंतिम ओवर जिसमें पांड्या ने 15 रन दिए को छोड़ दें तो पांड्या ने भी काफी अच्छी गेंदबाजी की। पांड्या ने 13 ओवर में टीम इंडिया के लिए खतरनाक बन चुके फिंच को आउट किया। अंतिम ओवर में भी पांड्या ने फॉकनर का विकेट झटका। पांड्या ने चार ओवर में 36 रन दिए। बुमराह, अश्विन, युवराज ने भी टीम के लिए एक-एक विकेट लिया।
डेथ ओवर में टीम की अच्छी गेंदबाजी
टीम इंडिया के गेंदबाजों पर हमेशा से ही यह आरोप लगता रहा है कि डेथ ओवरों में गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी का प्रदर्शन नहीं कर पाते। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस नॉक आउट मुकाबले में गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की। 16वें और 20वें ओवर में गेंदबाजों ने 15-15 रन दिए लेकिन, 17वें, 18वें और 19वें ओवर में क्रमश: 3, 4 और 9 रन ही दिए। गेंदबाजों 20 ओवरों के मैच में 14 ओवर ऐसे फेंके जिसमें ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाए।
टीम इंडिया की अच्छी फील्डिंग
टीम इंडिया की फील्डिंग भी इस मैच में काफी अच्छी रही। ऐसे कुछ मौके रहे जहां पर फील्डरों ने बॉउंड्री पर जाती गेंद को अपनी चुस्ती और सूझबूझ से रोका। पूरे मैच में करीब 15 रन जो ऑस्ट्रेलियाई खाते में जा सकते थे, लेकिन फील्डिंग की वजह से नहीं जा पाए।
टीम के कप्तान धोनी का रोल
टीम इंडिया की जीत में भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली की भूमिका की जितनी तारीफ की जाए कम है। लेकिन टीम की जीत में कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी की समझबूझ का क्या कहना। युवराज सिंह को अचानक गेंदबाजी की कमान देना, कमाल का निर्णय साबित हुआ। युवराज ने 9वें ओवर में अपनी पहली गेंद पर ही कप्तान स्मिथ को आउट कर दिया। धोनी ने बतौर कीपर भी तीन बल्लेबाजों को पैवेलियन भेजने में अहम योगदान दिया।
रनिंग बिटवीन विकेट
टीम इंडिया के सामने एक ऐसा समय भी था जब लगने लगा था कि अब जीत मुश्किल है। युवराज सिंह चोट से परेशान थे, ठीक से दौड़ नहीं पा रहे थे और 14वें ओवर में आउट हुए। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने क्रीज पर कदम रखा। इस समय विराट और धोनी ने मिलकर कई मौकों पर इतने डबल रन लिए कि एक ओवर में 12 रन का आंकड़ा छूने लगे। इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम पर काफी दबाव आया और मजबूर होकर उन्हें इस बड़ी आउटफील्ड में फील्डिंग योजना में बदलाव करना पड़ा। कहा जा रहा है कि असर तो यह भी हुआ कि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को गेंदबाजों को ऑफ में गेंद फेंकने के लिए कहना पड़ा। इसी के साथ फील्डिंग भी इसी हिसाब से बदलनी पड़ी। इसका सीधा फायदा उठाया विराट कोहली ने। और कोहली ने लेग साइड में खूब रन बटोरे।
सबसे पहले बात ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की
मैच में सबने देखा कि ऑस्ट्रेलियाई ओपनरों ने बल्लेबाजी से शुरू के 4 ओवरों में ऐसी धमाकेदार पारी खेली की टीम इंडिया के होश उड़ गए थे। पहला विकेट गिरने से पहले 4.2 ओवरों में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 54 रन हो चुका था। करीब 14 रन प्रति ओवर की औसत से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों में टीम इंडिया के गेंदबाजो को धोया और भारतीय दर्शकों को ऐसा लगने लगा था मैच हाथ से निकल गया। लेकिन इस ओवर के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम कभी इस औसत को छू नहीं पाई। इसके बाद से उसका औसत लगातार कम होता गया और अंतिम ओवर को छोड़ दिया जाए तो टीम इंडिया के गेंदबाजों ने विपक्षी टीम के बल्लेबाजो को कभी हावी नहीं होने दिया।
जीत में टीम इंडिया के गेंदबाजों का योगदान
जाहिर है टीम इंडिया के सबसे अनुभवी गेंदबाजी आशीष नेहरा ने पहला ओवर फेंका और मात्र चार रन दिए। टीम को पहली कामयाबी भी नेहरा ने दिलाई। नेहरा ने इस मैच में चार ओवर फेंके और 20 रन दिए। नेहरा ने टी20 के प्रारूप में 13 गेंदें डॉट डालीं और एक विकेट लिया। नेहरा की गेंदों पर तीन चौके लगे थे। नेहरा ने टीम इंडिया की ओर से सबसे किफायती गेंदबाजी की।
हार्दिक पांड्या ने भी की कमाल गेंदबाजी
टीम इंडिया के गेंदबाज हार्दिक पांड्या ने अपनी गेंदबाजी का कमाल दिखाया। अंतिम ओवर जिसमें पांड्या ने 15 रन दिए को छोड़ दें तो पांड्या ने भी काफी अच्छी गेंदबाजी की। पांड्या ने 13 ओवर में टीम इंडिया के लिए खतरनाक बन चुके फिंच को आउट किया। अंतिम ओवर में भी पांड्या ने फॉकनर का विकेट झटका। पांड्या ने चार ओवर में 36 रन दिए। बुमराह, अश्विन, युवराज ने भी टीम के लिए एक-एक विकेट लिया।
डेथ ओवर में टीम की अच्छी गेंदबाजी
टीम इंडिया के गेंदबाजों पर हमेशा से ही यह आरोप लगता रहा है कि डेथ ओवरों में गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी का प्रदर्शन नहीं कर पाते। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस नॉक आउट मुकाबले में गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की। 16वें और 20वें ओवर में गेंदबाजों ने 15-15 रन दिए लेकिन, 17वें, 18वें और 19वें ओवर में क्रमश: 3, 4 और 9 रन ही दिए। गेंदबाजों 20 ओवरों के मैच में 14 ओवर ऐसे फेंके जिसमें ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाए।
टीम इंडिया की अच्छी फील्डिंग
टीम इंडिया की फील्डिंग भी इस मैच में काफी अच्छी रही। ऐसे कुछ मौके रहे जहां पर फील्डरों ने बॉउंड्री पर जाती गेंद को अपनी चुस्ती और सूझबूझ से रोका। पूरे मैच में करीब 15 रन जो ऑस्ट्रेलियाई खाते में जा सकते थे, लेकिन फील्डिंग की वजह से नहीं जा पाए।
टीम के कप्तान धोनी का रोल
टीम इंडिया की जीत में भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली की भूमिका की जितनी तारीफ की जाए कम है। लेकिन टीम की जीत में कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी की समझबूझ का क्या कहना। युवराज सिंह को अचानक गेंदबाजी की कमान देना, कमाल का निर्णय साबित हुआ। युवराज ने 9वें ओवर में अपनी पहली गेंद पर ही कप्तान स्मिथ को आउट कर दिया। धोनी ने बतौर कीपर भी तीन बल्लेबाजों को पैवेलियन भेजने में अहम योगदान दिया।
रनिंग बिटवीन विकेट
टीम इंडिया के सामने एक ऐसा समय भी था जब लगने लगा था कि अब जीत मुश्किल है। युवराज सिंह चोट से परेशान थे, ठीक से दौड़ नहीं पा रहे थे और 14वें ओवर में आउट हुए। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने क्रीज पर कदम रखा। इस समय विराट और धोनी ने मिलकर कई मौकों पर इतने डबल रन लिए कि एक ओवर में 12 रन का आंकड़ा छूने लगे। इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम पर काफी दबाव आया और मजबूर होकर उन्हें इस बड़ी आउटफील्ड में फील्डिंग योजना में बदलाव करना पड़ा। कहा जा रहा है कि असर तो यह भी हुआ कि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को गेंदबाजों को ऑफ में गेंद फेंकने के लिए कहना पड़ा। इसी के साथ फील्डिंग भी इसी हिसाब से बदलनी पड़ी। इसका सीधा फायदा उठाया विराट कोहली ने। और कोहली ने लेग साइड में खूब रन बटोरे।
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