'जोशीमठ बचाओ' संघर्ष समिति ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राहत, पुनर्वास और स्थिरीकरण कार्य अपने हाथ में लेने का अनुरोध किया. वहीं, भू-धंसाव ग्रस्त नगर की रक्षा के लिए 100 दिन का महायज्ञ शुरू हो गया. दरार वाले भवनों की संख्या सोमवार को बढ़कर 849 हो गई. हालांकि, मारवाड़ी क्षेत्र में पानी के रिसाव की मात्रा घटकर 163 लीटर प्रति मिनट होने से प्रशासन ने राहत की सांस ली है.
'जोशीमठ बचाओ' संघर्ष समिति ने उत्तराखंड सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों में जरूरी 'तत्परता और तेजी' नहीं होने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री से राहत, पुनर्वास और स्थिरीकरण के कार्य अपने हाथ में लेने का अनुरोध किया है. जोशीमठ के उपजिलाधिकारी के माध्यम से भेजे अपने पत्र में संघर्ष समिति के संयोजक एवं पिछले डेढ़ साल से जोशीमठ के भू-धंसाव पीड़ितों की आवाज बने अतुल सती और संघर्ष समिति से जुड़े अन्य आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले तो 14 महीने से इस संकट को लेकर दी जा रही उनकी चेतावनियों को अनदेखा किया और अब जब संकट आया है, तो वह उससे कछुए की गति से निपट रही है.
संघर्ष समिति ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार जोशीमठ के राहत, पुनर्वास और स्थिरीकरण के काम को अपने हाथ में लेकर त्वरित गति से कार्रवाई करे ताकि लोगों का जीवन और हित सुरक्षित रहे.''
बदरीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी समेत संघर्ष समिति से जुड़े एक दर्जन से अधिक पदाधिकारियों के दस्तखत वाले पत्र में एनटीपीसी की 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना को जोशीमठ संकट के लिए जिम्मेदार बताया गया है. पत्र में उसे तत्काल बंद करने, जोशीमठ के अस्तित्व को संकट में डालने के लिए उस पर परियोजना लागत का दोगुना जुर्माना लगाने और 20 हजार करोड़ की इस राशि को इससे उजड़ने वाले लोगों में वितरित करने की मांग की गयी है.
समिति ने जोशीमठ के लोगों को घर के बदले घर, जमीन के बदले जमीन देते हुए नये व अत्याधुनिक जोशीमठ के समयबद्ध निर्माण के लिए संघर्ष समिति तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की भी मांग की है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने देहरादून में कहा कि राज्य सरकार की ओर से अंतरिम सहायता के रूप में 190 प्रभावित परिवारों को 2.85 करोड़ रुपये वितरित कर दिए गए हैं।
उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि जोशीमठ में छह जनवरी को निकलने वाले पानी का रिसाव 540 लीटर प्रति मिनट से घटकर अब 163 लीटर प्रति मिनट रह गया है। इससे पहले भी रिसाव में कुछ कमी दर्ज की गयी थी, लेकिन रविवार को फिर इसमें बढ़ोतरी होने से प्रशासन की चिंता बढ़ गयी थी।
सिन्हा ने बताया कि केंद्र सरकार के स्तर पर केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान द्वारा भवनों को हुई क्षति का आकलन करने के लिए उन पर 'क्रेक मीटर' लगाये गये है. उन्होंने बताया कि अभी तक 400 मकानों की क्षति का आकलन किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि दरार वाले भवनों की संख्या सोमवार को बढ़कर 849 हो गयी जिनमें से 165 भवन असुरक्षित क्षेत्र में हैं. अभी तक 237 परिवारों के 800 सदस्यों को अस्थाई राहत शिविरों में पहुंचाया जा चुका है.
उधर, भू-धंसाव के कारण उपरी हिस्से में एक दूसरे से खतरनाक रूप से जुड़ गए होटलों 'मलारी इन' और 'होटल माउंट व्यू' के ध्वस्त करने की कार्रवाई जारी रही. इस बीच, ज्योतिष्पीठ बदरीनाथ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सान्निध्य में सुबह जोशीमठ के प्रसिद्ध नृसिंह मंदिर में 'जोशीमठ रक्षा महायज्ञ' शुरू हुआ. शंकराचार्य ने बताया, ‘‘यह महायज्ञ अगले 100 दिन तक चलेगा जिसमें लगभग 10 लाख से अधिक आहुतियां दी जाएंगी.'' इससे पहले, शंकराचार्य राहत शिविरों में रह रहे प्रभावितों से भी मिले और उन्हें ज्योतिर्मठ की ओर से हर मदद का आश्वासन दिया.
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