यूपी के रामपुर में MSP पर गेहूं खरीद के मामले में धांधली का बड़ा मामला सामने आया (प्रतीकात्मक फोटो)
UP: उत्तर प्रदेश (UP) में गेहूं खरीद के मामले पर रामपुर, राज्य में टॉपटेन पर रहा है लेकिन अब किसानों को MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर धांधली का एक बड़ा मामला सामने आया है.तमाम किसानों की फर्जी खतौनी लगाकर बिचौलियों ने गेहूं की फसल को बेच डाला. हैरानी की बात ये है कि जिन किसानों के खेत की दस्तावेज लगाए गए, उनको इसका पता ही नहीं है. NDTV ने जब दर्जनों किसानों के समर्थन मूल्य पर बेचे गए गेहूं के दस्तावेज की पड़ताल की तो पता चला कि बहुत सारे किसानों को फर्जी बटाईदार बनाकर बिचौलियों ने गेहूं बेचा है. दरअसल, गेहूं को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है जिसमें किसान को अपने खेत का विवरण भरना पड़ता है. फिर उसका सत्यापन SDM करता है. Uttar Pradesh के रामपुर के एक गांव रजपुरा टांडा में हमें किसान सुच्चा सिंह मिले जिनके खेत में 52 कुंतल गेहूं की उपज दिखाकर रामनारायण नाम के किसान ने MSP पर गेहूं बेचा. लेकिन सुच्चा कहते हैं कि उन्होंने न कभी खेत बटाई पर दिया और न ही कभी अपना गेहूं MSP पर बेचा. रामनारायण नाम के बटाईदार ने ये दिखाया कि सुच्चा सिंह की जमीन को बटाई पर लेकर गेहूं उगाया और 52 कुंतल गेहूं सरकारी दाम पर बेचा.
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सुच्चा सिंह ने इस बारे में पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया.
सवाल- आप रामनारायण को जानते हैं?
सुच्चा-ये रामनारायण कौन है, नहीं नहीं लेकिन ये जमीन हमारी है.
सवाल-आपने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा?
सुच्चा- हमने कभी समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेची.
सवाल-लेकिन आपके नाम से दिखाया जा रहा?
सुच्चा- 55 कुंतल गेहूं बेची, हमें कोई जानकारी नहीं है.
यह फर्जीवाड़ा केवल सुच्चा सिंह के खेत के साथ नहीं हुआ, रजपुरा टांडा गांव के दर्जनों किसानों के खेतों के कागजात लगाकर समर्थन मूल्य का फायदा बिचौलियों ने उठाया. रजपुरा टांडा के ग्रामीणों का कहना है कि न तो उन्होंने अपना गेहूं सरकारी क्रय केंद्र पर बेची, न ही बटाई दी है.ये खुद अपनी जमीन पर खेती करते हैं. एक अन्य किसान रंजीत सिंह से भी बातचीत हुई.
सवाल-ये जो डाक्यूमेंट आपको मैंने दिखाया, ये आपको पता था कि आपकी जमीन के खसरा खतौनी लगाकर किसी दूसरे ने गेहूं बेचा है?
रंजीत सिंह- आप आए हैं. आपने बताया है तो हमें पता चला कि हमारे खेत के खतौनी लगाए गए हैं हमें कोई ऐसी जानकारी नहीं है. लेकिन गांव हमारा है. जमीन है, हमारा गेहूं जहां बिका दिखाया गया है. शाहबाद, यहां से सत्तर किमी दूर है वहां जाने का सवाल ही नहीं है.
एक अन्य किसान सेवा सिंह कहते हैं कि इन पर कार्रवाई करनी चाहिए.सरकारी खरीद केंद्र पर हम लोगों ने गेहूं नहीं बेचा है. हमारा गेहूं बहुत मंदा बिका है.मंडी में हम लोग बेचते हैं.दरअसल बिचौलियों को पता था कि रजपुरा टांडा गांव के किसान MSP पर गेहूं नहीं बेच पाते हैं, इसी के चलते बड़े पैमाने पर यहां के किसानों की जमीन के ही नहीं, बल्कि गांव के सड़क की जमीन पर भी गेहं की पैदावार दिखाकर MSP पर बेचा गया.गांव के लोगों ने रेशम विभाग की सरकारी जमीन दिखाई, जिस पर गेंहू की पैदावार दिखाई गई है.रेशम विभाग की जमीन पर भी 50 कुंतल गेहूं की पैदावार दिखाकर उनको बेचा गया. गांव वालों ने इस बारे में सवालों के जवाब दिए
सवाल- रेशम निभाग की जमीन कहां है और क्या वहां गेहूं लगाया गया था?
ग्रामीण- वहां नदी चल रही है, कुछ जमीन किनारे है वो बंजर है. वहां कैसे गेंहूं हो सकता है.
रजपुरा टांडा के खेतों के कागजात को लगाकर वीरपाल, कल्लू, रामबरन, रामनारायण जैसे किसानों ने करीब दस लाख रुपए का गेहूं बेचा. हमने अब उन किसानों को खोजा जिनके नाम से गेहूं की लाखों रुपए की खरीद हुई है. सबसे पहले हमने कल्लू नाम के किसान से संपर्क किया जिन्होंने 1 लाख 20 हजार का गेहूं रजपुरा टांडा के गांव की जमीन बंटई पर दिखाकर बेचा. उनके बेटे से हमारी फोन पर यह बात हुई.
सवाल-आपके पिता कल्लू के नाम से गेहूं बेचा है लेकिन गेहूं रजपुर टांडा में उगाया गया है?
उवैस- न हमने तो अपने खेत में गेहूं उगाया और बेची. कल्लू के नाम पर गेहूं सरकारी खरीद केंद्र पर नहीं बेचा. हमने अपनी मां साहबजादी के नाम पर बेचा है.
अब हम रामनारायण नाम के किसान के पास पहुंचे, जिनको सुच्चा सिंह के खेत का बंटईदार दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि हमने दीपक गोयल की जमीन का बटई की जमीन पर गेहूं बोया. इन्होंने गलत किया है. हम सुच्चा सिंह की जमीन को नहीं जानते हैं. न सुच्चा सिंह को रामनारायण के बारे में पता है. न ही रामनारायण किसान को रजपुरा टांडा के खेत और सुच्चा सिंह के बारे में पता है. लेकिन रामनारायण का गेहूं सरकारी खरीद केंद्र पर 1975 रुपए में बिका और खाते में 1 लाख 91 हजार रुपए आए हैं. रामनारायण के मुताबिक उसका गेहूं 1850 में बिका और बिचौलिए ने खेल करके एक किसान से 11 हजार रुपए बना लिए. रामनारायण ने बताया कि 1850 रुपए में हमारा गेहूं बिका था. खाते में पूरा पैसा नहीं आता है जितना हमारा बनता है उतना ही आता है.या तो हमारा गेहं काट लेते हैं या उतना ही पैसा भेजेगें.दरअसल, इन किसानों को मोहरा बनाकर बिचौलियों ने फर्जी बटाईदार का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया. सरकारी आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि इस साल गेहूं किसानों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. रामपुर में 2019-20 में 12991 किसानों ने करीब 9700 मीट्रिक टन गेहूं सरकारी खरीद सेंटर पर बेचा. 2020-21 में 12192 किसानों ने करीब 97000 मीट्रिक टन गेहूं बेचा
जबकि इस साल अचानक किसानों की तादात बढ़ गई और
2021-22 में 26254 किसानों ने 1 लाख 47 हजार मीट्रिक टन गेहूं बेचा. किसानों के बीच काम करने वाले तमाम लोग इसमें एक बड़े घोटाले की आशंका प्रकट कर रहे हैं. इसी के चलते जिला विपणन अधिकारी ने इसकी जांच के लिए सात सदस्य की एक कमेटी भी बनाई है. जब इस मामले में जिला विपणन अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने बात करने से इंकार कर दिया लेकिन उनका ये जरूर कहना है कि इस मामले की जांच चल रही है जो लोग भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. सरकार बार-बार वादा कर रही है कि MSP थी, MSP है और MSP रहेगी लेकिन इस तरह का फर्जीवाड़ा दिखाता है कि गेहूं की सरकारी खरीद में कैसे धांधली हो रही है. मेहनती किसानों को MSP का लाभ जमीन पर बहुत कम मिल पा रहा है.
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