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UP: पीएम मोदी की हर घर में पीने का पानी पहुंचे योजना में गड़बड़ी की शिकायत, एक्शन में जल शक्ति मंत्रालय

सरकार योजनाएं लाती हैं जिससे जनता का भला होगा. पब्लिक खुश होगी तो बदले में वोट देगी. पर अगर सरकारी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए तो फिर उल्टा हो जाता है. यूपी के सलेमपुर से सांसद रहे रवीन्द्र कुशवाहा जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाए.

UP: पीएम मोदी की हर घर में पीने का पानी पहुंचे योजना में गड़बड़ी की शिकायत, एक्शन में जल शक्ति मंत्रालय
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
लखनऊ:

देश के हर घर में पीने का पानी पहुंचे. ये पीएम नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. योजना में गड़बड़ी की सांसदों की शिकायत के बाद जल शक्ति मंत्रालय एक्शन में है. केंद्रीय मंत्री सी आर पटेल ने 22 मई को कुछ सांसदों के साथ बैठक की. रिएलिटी चेक के लिए देश भर में 100 टीमें भेजने का फैसला हुआ है. फाइल में यूपी में सबसे अच्छा काम हुआ है. पर बीते दिनों तीन अलग अलग जगहों पर पानी की तीन टंकियां ध्वस्त हो गईं. कहीं टंकी है तो पाइप नहीं, पाइप है तो नल नहीं, नल है तो पानी नहीं. बीजेपी के कई विधायकों को डर है कि इस हाल में तो चुनाव जीतना मुश्किल है. यूपी में विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने हैं. 

सरकार योजनाएं लाती हैं जिससे जनता का भला होगा. पब्लिक खुश होगी तो बदले में वोट देगी. पर अगर सरकारी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए तो फिर उल्टा हो जाता है. यूपी के सलेमपुर से सांसद रहे रवीन्द्र कुशवाहा जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाए. साल 2023 के फरवरी महीने की बात है- संसद का सत्र चल रहा था. लोकसभा में हर घर जल योजना पर रवीन्द्र कुशवाहा बोल रहे थे. इसी दौरान उनका दर्द छलक उठा. 

रवीन्द्र कुशवाहा बीजेपी के सांसद रहते हुए भी अपनी पीड़ा छिपा नहीं सके. उन्होंने कहा मेरे पिता चार बार सांसद रहे. मैं दो बार सांसद रहा. पर लाख कोशिशों के बावजूद घर के सामने वाला टंकी नहीं चालू करवा पाया. संसद में उनका ये बयान बहुत वायरल हुआ. उनके लोकसभा क्षेत्र में ये मैसेज चला गया कि एमपी साहेब की तो उनकी सरकार ही नहीं सुनती है. विपक्ष ने चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना दिया. रवीन्द्र कुशवाहा पिछला लोकसभा चुनाव हार गए. वो भी बस करीब तीन हजार वोटों से. 

संसद में रवीन्द्र कुशवाहा का सच उन पर ही भारी पड़ गया. अब किसकी बारी!  यूपी के कई बीजेपी विधायक अब इसी डर में जी रहे हैं.  उन्हें लगता है कि हर घर जल योजना का यही हाल रहा तो फिर जनता उनका हाल बेहाल कर देगी. यूपी के करीब दो दर्जन बीजेपी विधायकों ने इस बारे में मुख्यमंत्री से लेकर जल शक्ति मंत्री तक को कई शिकायती चिट्टी लिखी. चिट्ठी भी एक बार नहीं कई बार लिखी गई. विेधानसभा में भी ये मुद्दा बार बार उठता रहा. विपक्ष की छोड़िए, सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने अब इस मुद्दे पर आर पार की लड़ाई का मन बना लिया है. इनका कहना है कि अगर हमारी सुनवाई नहीं हुई तो फिर हमारा हाल भी रवीन्द्र कुशवाहा जैसा हो सकता है. 

बांदा से बीजेपी के दो बार विधायक रहे प्रकाश द्विवेदी ने यूपी के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को पत्र लिखा है. उनसे जल जीवन मिशन योजना में सड़कों की खुदाई पर चिंता जताई है. द्विवेदी कहते हैं पाइप डालने के लिए सड़क खोद दी गई है. बारिश शुरू गई है. लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. द्विवेदी कहते हैं तीन साल से चिल्ला रहा हूं, कोई सुनने वाला नहीं है. अब अगर जनता को परेशानी होगी तो फिर हम किस लिहाज से हम वोट मांगने जाएंगे. उनका दावा है कि हर घर जल योजना में गड़बड़ी के कारण पिछले चुनाव में बीजेपी को 5 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ. 

नाम न उजागर करने की शर्त पर बीजेपी के एक विधायक ने कहा जल जीवन मिशन एक दिन NRHM घोटाला साबित हो सकता है. मायावती के राज में इस घोटाले के कारण दो मंत्रियों को इस्तीफ़ा देना पड़ा. जेल गए. डॉक्टरों का मर्डर तक हुआ. ब्रजभूषण राजपूत चरखारी से बीजेपी के विेधायक हैं. जल जीवन मिशन की शिकायत को लेकर वे भी कई बार मंत्री को चिट्ठी लिख चुके हैं. विभाग के अफसरों से मिल चुके हैं. जिला निगरानी समिति की बैठक में मामले को उठा चुके हैं. राजपूत बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने इतना बढ़िया स्कीम दिया है. बुंदेलखंड हमेशा पानी को लेकर तरसता रहता है. इस योजना में करोड़ों का फंड आया. पर अफसरों ने मिल कर चट कर दिया. राजपूत कहते हैं कि विधायक होने के नाते जनता का गुस्सा हमें झेलना पड़ता है. 

पिछले महीने ही लखीमपुर में पानी की टंकी गिर गई थी. जांच कमेटी बना दी गई. कहा गया रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय की जाएगी. लखीमपुर से योगेश वर्मा बीजेपी के विेधायक हैं. वे कहते हैं कि पता नहीं जो हाल है उसमें तो कई और टंकी गिर सकती हैं. पाइप बिछाने के चक्कर में कई सड़कें बर्बाद ह गई हैं. पता नहीं अफसर और ठेकेदारों ने ऐसा क्यों किया. वर्मा का आरोप है कि जल जीवन मिशन तो अब भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. 

चालीस दिन और पानी की तीन टंकी...  ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं. पहले लखीमपुर, फिर कानपुर और उसके बाद सीतापुर. सिलसिला जारी है. तीनों पानी के टंकी पर लाखों खर्च हो गए. पर लोगों को एक बूंद पानी तक नसीब नहीं हुआ. जल जीवन मिशन में जारी भ्रष्टाचार की पोल खोल की तो ये बस कुछ छोटी कहानियां हैं. दिलचस्प ये है कि सभी पानी की टंकी जिंक एलम की बनी थी. आरसीसी से बनी टंकी मजबूत होती है. खर्च जरूर उसमें ज़्यादा होता है 

एक कहावत है हड़बड़ी में ब्याह और कनपटी में सिंदूर. तो टार्गेट पूरा करने के चक्कर में खराब क्वालिटी के पानी टंकी बनाएं और बनवाए जा रहे हैं. ऐसे में इनका गिरना तो तय है. जब भी ऐसा होता है कुछ इंजीनियर सस्पेंड हो जाते हैं. कुछ इंजीनियरों का तबादला हो जाता है. कमाल की बात ये हैं कि जल जीवन मिशन की तरफ से बताया गया कि 16 हज़ार पानी टंकी में से पांच गिरे. तो इसमें इतनी हाय तौबा क्यों! आख़िर हमारा सिस्टम तो ऐसे ही काम करता है. 

सवाल टंकी के गिरने का नहीं, नीयत का है. नीति तो बनी थी कि हर घर पीने का पानी पहुंचे. पर जमीन पर इस योजना का हाल बुरा है. हर घर नल जल स्कीम में महोबा जिले ने यूपी में टॉप किया है. पर गांव देहात के लोग अब भी पानी का इंतजार कर रहे हैं.

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