
मायावती (Mayawati) समय की बहुत पक्की हैं. वह एक मिनट भी लेट नहीं होती हैं. न वक्त से पहले और न ही वक्त के बाद. मायावती के आने का समय हो गया था. उससे पहले ही बीएसपी ऑफिस में बहुत कुछ बदल गया था. मायावती की कुर्सी जहां होती है, उसी जगह पर थी. पर उनके बगल वाली जगह पहली बार खाली थी. उसी जगह पर कभी चार तो कभी पांच कुर्सियां लगाई जाती रही हैं. बीएसपी के वीवीआईपी नेता इन पर विराजमान होते थे. मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी वहीं बैठते थे. कुछ महीनों पहले तक वे मायावती के राजनैतिक उत्तराधिकारी थे.
मुस्कुराती हुई मायावती के साथ नहीं थे आकाश आनंद
बीएसपी चीफ मायावती मुस्कुराते हुए पार्टी ऑफिस पहुंचीं. परछाईं की तरह रहने वाले आकाश आनंद उनके साथ नहीं थे. ये कहा जा रहा था कि पार्टी में वापसी के बाद वे अपनी बुआ संग नजर आएंगे, लेकिन उनको लेकर मायावती के मन में कोई और प्लानिंग है. पिछले दो सालों में मायावती दो बार उनके खिलाफ एक्शन ले चुकी हैं. पिछली बार तो उन्हें पार्टी से ही बाहर कर दिया है. चालीस दिनों के बाद आकाश की बीएसपी में वापसी हो गई है.
आकाश आनंद सार्वजनिक रूप से मांग चुके हैं माफी
बीएसपी की बैठक करीब दो घंटे तक चली. पर आकाश आनंद का एक बार भी जिक्र नहीं हुआ, जबकि वे सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांग चुके हैं. उन्होंने ये कसम खाई है कि वे अब अपने ससुर से कोई संबंध नहीं रखेंगे. मायावती ने आकाश से पहले उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को बीएसपी से बाहर कर दिया था. मायावती के करीबी नेताओं का दावा है कि अशोक के कारण आकाश से मायावती की दूरी बढ़ी. अशोक बीएसपी से राज्यसभा के सांसद रहे.
बड़ी जिम्मेदारी देने के मूड में नहीं हैं मायावती
सूत्र बताते हैं कि आकाश आनंद के छोटे भाई की शादी के कारण मायावती ने उन्हें माफ तो कर दिया, लेकिन अभी बीएसपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने के मूड में मायावती नहीं हैं. उन्हें लगता है कि आकाश में राजनैतिक परिपक्वता नहीं है. ऐसा वे पहले भी सार्वजनिक रूप से कह चुकी हैं. मायावती को ये भी लगता है कि आकाश में धैर्य की कमी है. उनकी राजनीति का तरीका भी मायावती से अलग है, पर बीएसपी चीफ चाहती हैं कि वे संगठन को मजबूत करने पर फोकस करें.
मायावती का फोकस संगठन मजबूत करने पर
आकाश आनंद को अभी इंतज़ार करना पड़ सकता है. बीएसपी चीफ मायावती ने संगठन को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि समय बहुत कम है और चुनौतियां बड़ी हैं. अभी से 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाइए. कार्यकर्ताओं को सिर्फ चुनाव के समय नहीं, हर समय जनता के बीच रहना होगा. उन्होंने बूथ तक संगठन को मज़बूत करने की बात कही.
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