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यूपी के संभल में प्राचीन कुआं मिलने से सनसनी, खुदाई से खुलेंगे राज, क्‍या 1978 के दंगों से जुड़ा है इतिहास? 

Sambhal Ancient Well Excavation: चर्चा है कि 1978 के दंगों के दौरान एक व्यापारी की हत्या के बाद उसका शव इसी कुएं में फेंका गया था. हालांकि उस समय इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई थी. अब कुएं की दोबारा खुदाई शुरू होने के बाद लोगों के बीच फिर से वो घटना चर्चा में है.

यूपी के संभल में प्राचीन कुआं मिलने से सनसनी, खुदाई से खुलेंगे राज, क्‍या 1978 के दंगों से जुड़ा है इतिहास? 
Ancient Well Found in Sambhal, UP: खुदाई से खुलेगा संभल के पुराने कुएं का राज
  • उत्तर प्रदेश के संभल में एक प्राचीन बंद कुआं मिलने से सनसनी मच गई है. डीएम के निर्देश पर खुदाई शुरू की गई है
  • स्‍थानीय लोगों का कहना है कि कुआं दशकों से बंद था, इसके संबंध 1978 दंगे से जुड़े बताए जा रहे हैं
  • विशाल पेड़ होने के चलते खुदाई में दिक्‍कत आ रही है, वन विभाग उस पेड़ को हटाएगा, फिर अच्‍छे से खुदाई होनी है
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सत्‍यपाल यादव | उत्तर प्रदेश के संभल में एक और प्राचीन कुआं मिलने से सनसनी मच गई है. संभल के एकता चौकी के पास ये कुआं दशकों से बंद पड़ा हुआ था. जिलाधिकारी के निर्देश पर विशाल पेड़ के किनारे दबे इस कुएं की खुदाई शुरू कराई गई है. फिलहाल पेड़ के चलते खुदाई कार्य में थोड़ी दिक्‍कत आ रही है. वन विभाग की टीएम इस विशाल पेड़ को यहां से हटाएगी, जिसके बाद आगे की खुदाई की जाएगी. चर्चा है कि इस कुएं का संबंध 1978 के दंगों से जुड़ा हो सकता है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. प्रशासन का कहना है कि विस्‍तृत खुदाई के बाद ही कुछ पता चल पाएगा. 

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इलाके में फैली सनसनी? 

संभल के महमूदखां सराय में बुधवार को उस समय हलचल मच गई, जब एकता चौकी के पास एक और प्राचीन बंद कुआं मिट्टी और झाड़ियों के बीच दबा मिला. लंबे समय से बंद पड़े इस कुएं की जानकारी बहुत कम लोगों को थी. जिलाधिकारी के आदेश पर नगर पालिका की टीम मौके पर पहुंची और तुरंत सफाई व खुदाई का कार्य शुरू कराया.खुदाई के दौरान वर्षों से उगा एक बड़ा पेड़ कार्य में बाधा बना. अधिकारियों ने पेड़ को सुरक्षित ढंग से हटाने के निर्देश दिए. इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार और अधिशासी अधिकारी मणिभूषण तिवारी भी मौके पर मौजूद रहे. उन्होंने खुदाई की प्रगति का निरीक्षण किया और टीम को तेजी व सावधानी के साथ काम करने को कहा. 

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आखिर क्‍या है इस कुएं का इतिहास?

एकता चौकी के पास खुदाई में निकले कुएं का क्‍या इतिहास है, इस बारे में बहुत जानकारी नहीं मिल पाई है. स्थानीय लोगों का दावा है कि ये कुआं कई दशक पहले बंद कर दिया गया था. साथ ही वर्षों से इसको लेकर आरोप भी चर्चाओं में रहा है. बताया जाता है कि 1978 के दंगों के दौरान एक व्यापारी की हत्या के बाद उसका शव इसी कुएं में फेंका गया था. हालांकि उस समय इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई थी.

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अब कुएं की दोबारा खुदाई शुरू होने के बाद लोगों के बीच फिर से वो घटना चर्चा में है. प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर इलाके की घेराबंदी कर दी है. नगर पालिका की टीम कुएं की सफाई और गहराई तक पहुंचने का काम तेजी से कर रही है. सिटी मजिस्‍ट्रेट सुधीर कुमार ने कहा, 'स्‍थानीय लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा है, लेकिन विस्‍तृत खुदाई के बाद ही कुछ पता लग पाएगा.' 

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पेड़ को हटवाकर होगी अच्‍छे से खुदाई

जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर प्रशासन ने बुधवार को कुएं की खुदाई शुरू करा दी. अधिकारियों का कहना है कि खुदाई पूरा होने के बाद ही कुएं की वास्तविक स्थिति और अंदर मौजूद सामग्री का पता चल सकेगा. सिटी मजिस्‍ट्रेट सुधीर कुमार ने बताया कि जिले के डीएम और एसपी को शहर के भ्रमण के दौरान लोगों ने कुएं के बारे में बताया. एकता चौकी के पास एक विशाल पेड़ के बगल में ये कुआं बताया गया. खुदाई की गई है, कुआं निकला है. वन विभाग को बुलाया गया था, टीम अवलोकन कर के गई है. पेड़ को सुरक्षित ढंग से हटवाकर कुएं की अच्‍छे से खुदाई होगी. 

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