
- मेरठ के इस्माइल कॉलेज में दीपावली सद्भावना मेले में बुर्का पहनने वाली मुस्लिम युवतियों को प्रवेश नहीं दिया गया
- कॉलेज प्रशासन ने युवतियों से बुर्का हटाने को कहा, लेकिन वे ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुईं
- कॉलेज स्टाफ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए बुर्का पहनने पर प्रवेश प्रतिबंधित किया बताया
मेरठ के इस्माइल कॉलेज में दीपावली के अवसर पर लगे 'सद्भावना मेले' में बुर्का पहनने वाली महिलाओं की एंट्री को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. स्टॉल लगाने आईं दो मुस्लिम युवतियों को कॉलेज प्रशासन ने बुर्का उतारने के लिए कहा, जिसके बाद उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया. इस घटना को लेकर कॉलेज के बाहर खासा हंगामा हुआ, लेकिन प्रशासन अपने फैसले पर अडिग रहा.
स्टॉल लगाने आई युवतियों को रोका गया
कॉलेज के बाहर खड़ी आयशा नामक युवती ने बताया कि वह अपनी सहेली के साथ बड़ी उम्मीद से सद्भावना मेले में आर्टिफिशियल ज्वैलरी (नकली आभूषण) का स्टॉल लगाने आई थी. दोनों युवतियों ने मेले में स्टॉल पहले से बुक करा रखा था. हालांकि, कॉलेज में प्रवेश के समय उन्हें बताया गया कि बुर्का पहनकर एंट्री नहीं मिल सकती.

आयशा ने मीडिया को बताया, "कॉलेज स्टाफ ने साफ कह दिया कि बुर्का हटाइए और एंट्री पाइए. हमें चेंजिंग रूम में बुर्का उतारकर सादे कपड़ों में आने को कहा गया। हम इसके लिए तैयार नहीं हुईं, जिसके बाद हमें एंट्री नहीं दी गई. हमने स्टॉल बुक कराया था, लेकिन स्टॉल लगाने का हमारा सपना टूट गया."
सुरक्षा का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा कॉलेज स्टाफ
कॉलेज स्टाफ द्वारा बुर्का पहने युवतियों को प्रवेश न दिए जाने के बाद मौके पर काफी हंगामा हुआ. हालांकि, इसके बावजूद कॉलेज स्टाफ इस बात पर अड़ा रहा कि बुर्का पहनकर एंट्री नहीं दी जाएगी.

जब इस पूरे मसले पर कॉलेज स्टाफ का पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने सुरक्षा का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया. कॉलेज स्टाफ ने कहा, "ये युवतियां हमारे कॉलेज की छात्राएं नहीं थीं. हमने सुरक्षा के उद्देश्य से उन्हें बुर्के में एंट्री नहीं दी।"
'सद्भावना मेले' में बुर्के पर नो-एंट्री पर सवाल
दीपावली के मौके पर लगाए गए इस आयोजन का नाम तो 'सद्भावना मेला' था, लेकिन बुर्का पहनने पर 'नो-एंट्री' का मामला अब सुर्खियों में है. यह घटना कई सवाल खड़े कर रही है कि क्या बुर्का पहनना कोई गुनाह है या यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है? हालांकि, कॉलेज स्टाफ इसे केवल सुरक्षा का कारण बताकर विवाद से बचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं.
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