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This Article is From Sep 07, 2024

120 की रफ्तार और वर्ल्डक्लास सुविधाएं...सीट से लेकर कोच तक, जानिए मेरठ मेट्रो की खासियत

शलभ गोयल ने कहा, "मेरठ मेट्रो, मेरठ शहर के परिवहन क्षेत्र में क्रांति लेकर आएगी और लोगों के लिए कनेक्टिविटी, उत्पादकता और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाएगी. यह एक आधुनिक, विश्वसनीय और तेज ट्रांजिट सिस्टम होगा जो यात्रा के समय और भीड़-भाड़ को कम करेगा.

120 की रफ्तार और वर्ल्डक्लास सुविधाएं...सीट से लेकर कोच तक, जानिए  मेरठ मेट्रो की खासियत
नई दिल्ली:

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने गाजियाबाद के दुहाई स्थित आरआरटीएस डिपो में मेरठ मेट्रो की आधुनिक ट्रेन इंटीरियर और यात्री केंद्रित सुविधाओं का उद्घाटन किया. मेरठ मेट्रो में एक शहरी मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) है, जिसका लक्ष्य उत्तर प्रदेश में मेरठ के निवासियों के लिए एक सुरक्षित, तेज और आधुनिक गतिशील परिवहन समाधान प्रदान करना है.

शलभ गोयल ने कहा, "मेरठ मेट्रो, मेरठ शहर के परिवहन क्षेत्र में क्रांति लेकर आएगी और लोगों के लिए कनेक्टिविटी, उत्पादकता और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाएगी. यह एक आधुनिक, विश्वसनीय और तेज ट्रांजिट सिस्टम होगा जो यात्रा के समय और भीड़-भाड़ को कम करेगा. साथ ही इससे शहर के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. एनसीआरटीसी ने यात्रियों की जरूरतों को समझते हुए यात्रियों के लिए आरामदायक और कुशल यात्रा सुनिश्चित करने के लिए कई विशेषताओ को इसमे शामिल किया है." 

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'मेक इन इंडिया' दिशानिर्देशों के तहत, मेरठ मेट्रो के ट्रेनसेटों का 100% निर्माण भारत में किया जा रहा हैं. मेसर्स एल्सटॉम (पूर्व में मेसर्स बॉम्बार्डियर) को विनिर्माण अनुबंध दिया गया है, जिसके तहत मेरठ मेट्रो के लिए तीन कोच वाले ट्रेनसेट बनाए जायेंगे, साथ ही इसमे 15 वर्षों तक रोलिंग स्टॉक का  रखरखाव भी शामिल होगा. इन विश्व स्तरीय ट्रेनसेट का निर्माण गुजरात के सावली में किया जा रहा है. इसके अंतर्गत अब तक पांच मेरठ मेट्रो ट्रेनसेट एनसीआरटीसी को सौंपे जा चुके हैं. मेरठ मेट्रो ट्रेन की डिज़ाइन गति 135 किमी प्रति घंटा और अधिकतम परिचालन गति 120 किमी प्रति घंटा होगी.

मेरठ मेट्रो ट्रेनसेट की यात्री-केंद्रित विशेषताएं

  • मेरठ मेट्रो ट्रेन वातानुकूलित है, जिसमें यात्रियों के लिए लगेज रैक, ग्रैब हैंडल, सीसीटीवी कैमरे, यूएसबी मोबाइल चार्जिंग सुविधाएं, डायनामिक रूट मैप और कई अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं.
  • मेरठ मेट्रो में तीन कोच हैं, जिनमें एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन आरामदायक कुशन वाली सीटें हैं, जो 2x2 ट्रांसवर्स  और लॉन्गिट्यूडनल रूप से व्यवस्थित हैं. ट्रेन में यात्रियों के बैठने हेतु 173 सीटें हैं और ट्रेन में कुल 700 से अधिक यात्री यात्रा कर सकते हैं.
  • यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी मेट्रो स्टेशनों पर प्लेटफ़ॉर्म स्क्रीन डोर (PSD) लगाए जाएंगे, जो भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करेंगे.
  • ट्रेन के सभी दरवाज़ों पर पुश बटन होंगे, जिनके माध्यम से चुनिंदा दरवाजे खोलने की सुविधा मिलेगी और इससे ऊर्जा की खपत में भी कमी आएगी.
  • ट्रेन में पैसेंजर इमेर्जेंसी कम्युनिकेशन सिस्टम, अग्निशामक यंत्र, अलार्म और टॉक-बैक सिस्टम जैसे सुरक्षा उपकरण भी एकीकृत हैं. मेट्रो ट्रेन के प्रत्येक कोच में महिला यात्रियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशिष्ट रूप से आरक्षित सीटों की व्यवस्था होगी.
  • मेरठ मेट्रो के स्टेशन और ट्रेनें दोनों सार्वभौमिक रूप से प्रवेश-निकास हेतु सुलभ होंगे. ट्रेन में मेडिकल स्ट्रेचर/व्हीलचेयर के लिए समर्पित स्थान दिया गया है और वहीं मेट्रो स्टेशनों में मेडिकल स्ट्रेचर और व्हीलचेयर के आवागमन के लिए बड़ी लिफ्ट्स की सुविधा उपलब्ध होगी.
  • मेरठ मेट्रो ट्रेनसेट का बाहरी भाग फ्लोरोसेंट हरे, नीले और नारंगी रंग का आकर्षक और आधुनिक कलर संयोजन प्रस्तुत करता है जो तकनीकी उन्नति और 'नए भारत' के लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है.

ये होंगे मेरठ के स्टेशन
मेरठ साउथ (एलिवेटेड), परतापुर (एलिवेटेड), रिठानी (एलिवेटेड), शताब्दी नगर (एलिवेटेड), ब्रह्मपुरी (एलिवेटेड), मेरठ सेंट्रल (भूमिगत), भैसाली (भूमिगत), बेगमपुल (भूमिगत), एमईएस कॉलोनी (एलिवेटेड), दौरली  (एलिवेटेड), मेरठ नॉर्थ (एलिवेटेड), मोदीपुरम (एलिवेटेड) और मोदीपुरम डिपो (धरातल)

बता दें कि 20 अक्टूबर, 2023 को माननीय प्रधानमंत्री ने साहिबाबाद और दुहाई डिपो के बीच 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड में भारत के पहले रीज़नल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का उद्घाटन किया. पहली नमो भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, जिसके बाद यह सेक्शन जनता के लिए संचालित हो गया. वर्तमान में साहिबाबाद और मेरठ साउथ के बीच लगभग 42 किलोमीटर लंबा खंड यात्रियों के लिए संचालित हो चुका है, जिसमें 9 आरआरटीएस स्टेशन हैं। मेरठ मेट्रो के साथ-साथ पूरा आरआरटीएस कॉरिडोर 2025 तक परिचालित होने की उम्मीद है.

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