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This Article is From Feb 29, 2020

लखनऊ: जुमे की नमाज के दौरान दिल्ली के लिए मांगी गई दुआ

लखनऊ की ईदगाह में आज जुमे की आवाज में दिल्ली दंगों के लिए अमन की दुआ की गई और आवाम को बताया गया कि इस्लाम में पड़ोसी की कितनी अहमियत है.

लखनऊ: जुमे की नमाज के दौरान दिल्ली के लिए मांगी गई दुआ
लखनऊ की ईदगाह में आज जुमे की आवाज में दिल्ली दंगों के लिए अमन की दुआ की गई
लखनऊ:

लखनऊ की ईदगाह में आज जुमे की आवाज में दिल्ली दंगों के लिए अमन की दुआ की गई और आवाम को बताया गया कि इस्लाम में पड़ोसी की कितनी अहमियत है, बताया गया कि अगर तुम्हारा पड़ोसी भूखा है तो खुदा तुम्हारी नमाज नहीं कुबूल करेगा. इसलिए किसी पार्टी या नेता के जहरीले भाषण के बहकावे में आकर पड़ोसी से दंगा न करें, क्योंकि वो आपके सुख-दुख के साथी हैं. कुरान की सूरा अन निसा में खुदा ने कहा है कि "उन पैदाइशियों से अच्छा सुलूक करो जिनसे तुम्हारे रिश्ते हैं और उसने भी जिनसे तुम्हारे रिश्तें नहीं" पैगम्बर मोहम्मद साहिब ने कहा कि "अगर तुम्हारा पड़ोसी भूखा है और तुम्हें नींद आ जाए तो तुम हम में से नहीं हो". और इमरान अली ने कहा कि "अगर पड़ोसी मौजूद न हो तो उसकी चीजों की हिफाजत करो और अगर कमी पता हो तो दूसरों से छिपाओ." 

पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद का कहना है कि इतने अफसोसनाक वाक्ये में भी कहीं न कहीं उम्मीद की किरण नजर आई है और लोगों ने चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, बचाने का काम किया है, लिहाजा सबको अपने पड़ोसियों पर पूरा यकीन रखना चाहिए और ऐसी घड़ी में भी एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. दंगों से दिल्ली जख्मी है और इसकी वजह बने हैं सियासतदानों के जहरीले बयान. जिनमें से काफी के खिलाफ FIR भी दर्ज नहीं की गई है. नमाज में कहा गया है कि नेताओं के बहकावे में पड़ोसी से नफरत न करें. 

दिल्ली हिंसा के बीच चांदबाग के मुस्लिम गली वालों ने विदा की हिंदू दुल्हन

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियां का कहना है कि आपके साथ रहने वाला चाहे हिंदू हो या फिर मुसलमान. वो हमेशा आपके सुख-दुख और दर्द में शामिल होता है. उसके खिलाफ आप किसी तीसरे व्यक्ति के बहकावे में आकर कोई बात करते हैं तो यह न सिर्फ आपके लिए बल्कि पूरी इंसानियत को नुकसान पहुंचाएगा. दिल्ली के दंगों में कुछ पड़ोसी शामिल थे तो कुछ बाहर से आए लोग. नमाज में अपील की गई कि पड़ोसी की हिफाजत करें, चाहें वह किसी भी मजहब का हो. 

मौलाना खालिद राशिद के अनुसार सबको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जो भी सियासतदान जहरीली भाषा का इस्तेमाल कर रहा है, उस पर भी बिल्कुल भी ध्यान दिए जाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि आखिर में जो नुकसान होता है वह सिर्फ शहरियों का होता है. दिल्ली इसकी बानगी है. कुल मिलाकर कहा जाए कि अगर धर्म के नाम पर लड़ने वाले लोग, धर्म में कहीं गई बातों पर गौर करते तो दिल्ली में जो हुआ, उससे बचा जा सकता था.  

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