
इलाहाबाद का कूड़ा प्रबंधन करने की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी की है, लेकिन यहां मशीनें खराब पड़ी है.
इलाहाबाद में लगे कुंभ मेले में स्नान करके हम और आप जैसे लोग पवित्र हो गए, लेकिन हमारा छोड़ा गया कचरा अब इलाहाबाद के बाशिंदों के लिए जहरीला और अधिकारियों के लिए मालदार बना हुआ है. इलाहाबाद में लगे कुंभ की साफ सफाई पर सरकार ने खूब अपनी पीठ थपथपाई लेकिन कुंभ का कचरा अब इलाहाबाद में पहाड़ बन कर कई गांव और यमुना नदी की स्वच्छता को खतरा बना हुआ है. कुंभ मेले में बेहतर साफ सफाई और इंतजाम का श्रेय जोर शोर से प्रधानमंत्री ले रहे हैं. साफ सफाई के लिए लगे बीस हजार सफाई कर्मचारी और सवा लाख टॉयलेट लगाकर 55 दिनों तक कुंभ मेले को सरकार ने चमकाए रखा, लेकिन कुंभ मेले में आने वाले दस करोड़ लोगों का करीब बीस हजार टन कूड़ा कहां गया इस विषय में सरकार ने कभी जानकारी नहीं दी.
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संगम का कूड़ा इस वक्त इलाहाबाद से करीब बीस किमी दूर बसवारा गांव के एक डंपिंग ग्राउंड में कूड़े के पहाड़ के तौर पर बढ़ रहा है. यमुना नदी से महज तीन किमी दूर इस जगह पर साठ हजार टन कूड़ा है, जिसमें बीस हजार टन कुंभ मेले की देन है.
इलाहाबाद के कर्नलगंज से पार्षद आनंद घिल्डियाल उर्फ आनू प्लांट बताते हैं कि यहां बड़ी प्लास्टिक पन्नियों में कुंभ के कूड़े ढेर जमा है. इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी दिखाया जा रहा है लेकिन इसके कूड़े को छिपाया जा रहा है. आनंद का कहना है कि कूड़ा प्रबंधन करने वाली कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है. कई बार निगम में ये मुद्दा उठाया गया लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
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आनंद बताते हैं कि कुंभ मेले और इलाहाबाद शहर से निकलने वाले इस कूड़े से यहां प्लास्टिक का दाना और खाद बनना था, लेकिन इसके लिए आई मशीनरी भी जंग और मकड़ी का जाला लगकर कूड़े में तब्दील हो रही हैं. दरअसल कुंभ मेले और इलाहाबाद का कूड़ा प्रबंधन करने की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी की है लेकिन यहां मशीनें खराब पड़ी है. प्लांट की बिजली कट चुकी है. यहां कई साल पहले इस कूड़े से बनाई गई खाद की कुछ बोरियां दिखती हैं बाकी के प्लांट को भी कूड़ा धीरे-धीरे निगल रहा है.

इलाहाबाद और कुंभ मेले के कूड़े से यमुना नदी के किनारे बसे बसवार जैसे कई गांव प्रभावित हैं. लोगों की शिकायत है खुले में साठ हजार टन कूड़ा डंप होने से गांववालों के लिए हवा और पानी दोनों जहरीली हो गई हैं. बसवार गांव के रामू निषाद बताते हैं कि बारिश होती है तो सांस लेना मुहाल है. हर घर में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. लेकिन कुंभ मेले और इलाहाबाद जैसे शहरों का कचरा बीस किमी दूर फेंककर सरकारी विभाग चैन की सांस ले रहा है. शर्म की बात ये है कि सरकारी अधिकारी कूड़े के प्रबंधन के नाम पर टैक्स पेयर्स का करोड़ों रुपए भी कूड़ा कर रहे हैं.