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This Article is From May 17, 2025

भागीरथ बने जालौन के किसान, सालों पहले सूख चुकी नून नदी को दिया नया जीवन

नून नदी सालों पहले हजारों किसानों की फसलों को जीवन देती थी, लेकिन अतिक्रमण और बारिश की कमी के कारण पूरी तरह खत्म हो गई थी. लेकिन अब यह फिर से जिंदा होने वाली है.

भागीरथ बने जालौन के किसान, सालों पहले सूख चुकी नून नदी को दिया नया जीवन
नून नदी को जिंदा करने में लगे स्थानीय लोग.

Jalaun Nun River: सनातन धर्म में गंगा को पृथ्वी पर लाने के श्रेय भागीरथ को दिया जाता है. भागीरथ ने अपने तपोबल से गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफलता हासिल की थी. अब उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कुछ किसानों ने भी भागीरथ जैसा ही काम किया है. इन किसानों से सालों पहले सूख चुकी नून नदी को नया जीवन दिया है. 4 साल की सामूहिक मेहनत के बाद 81 किलोमीटर लंबी नून नदी फिर से जीवंत हो गई है. अब कुछ दिनों में इस नदी में पानी आ जाएगा. जिससे आस-पास से हजारों किसानों को बड़ा लाभ होगा. 

दरअसल नून नदी सालों पहले हजारों किसानों की फसलों को जीवन देती थी, लेकिन अतिक्रमण और बारिश की कमी के कारण पूरी तरह खत्म हो गई थी. 

81 किमी लंबी नदी फिर से हुई जिंदा

अब चार साल की अथक सामूहिक मेहनत के बाद इस 81 किलोमीटर लंबी नदी को फिर से जीवंत कर दिया गया है और अगले 15 दिनों में इसमें पानी बहना शुरू हो जाएगा. जालौन जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडे के द्वारा चलाए गए "जल संरक्षण जन भागदारी" अभियान को लोगों ने समझा और इस मुहिम का हिस्सा बन एक नदी को जीवन प्रदान किया है.

2780 एकड़ भूमि की होगी सिंचाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि नून नदी के जीवंत होने से लगभग 2780 एकड़ भूमि को सिंचाई के लिए जल मिलेगा. इससे न केवल 15,000 से अधिक किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि पशुओं के लिए भी जल स्रोत उपलब्ध होगा. सूखे से जूझते क्षेत्र में हरियाली लौटने की उम्मीद बंधी है.

जालौन में नून नदी को जिंदा करने वाली मुहिम के बारे में पीएम मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में भी चर्चा की थी. पीएम मोदी ने जलौन के विभिन्न पंचायतों के हजारों ग्रामीणों की समिति के गठन की सराहना की थी. 

कम बारिश और अतिक्रमण से सूख गई थी नदी

नून नदी जालौन के 47 गांवों से होकर गुजरती है और यमुना में मिलती है. यह पहले 2,780 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई और पशुओं के लिए जल स्रोत थी. लेकिन कम बारिश और अनियोजित निर्माण ने नदी के स्वरूप को बिगाड़ दिया, जिससे मानसून का पानी नदी तक नहीं पहुंच पाता था.

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