Best Tax-Saving Investment Options: पिछले कुछ सालों में, निवेश में महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ी है. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आज के दौर में महिलाएं अपने फाइनेंस को मैनेज करने में काफी दिलचस्पी ले रही हैं. भारत में निवेश के कई सारे विकल्प मौजूद हैं जो टैक्स बेनिफिट देते हैं. ज्यादातर निवेशक निवेश करते समय ऐसे ही ऑप्शन की तलाश में रहते हैं जिससे वो अपना टैक्स बचा सकें. इन विकल्पों से कुछ ऐसे हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अवेलेबल हैं, जबकि कुछ रिटायरमेंट के लिए हैं.
आज हम उन निवेश विकल्पों के बारे में बताएंगे जिन्हें महिलाएं (Investment Options for Women) टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं.
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana)
सरकार की सुकन्या समृद्धि योजना कामकाजी महिलाओं के लिए टैक्स बचाने का एक अच्छा ऑप्शन है. इसे शॉर्ट में SSY के नाम से भी जानते हैं. SSY, एक ऐसा निवेश विकल्प है, जो माता-पिता (parents) को अपनी बेटी की शिक्षा और शादी के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है. अगर आपकी बच्ची की उम्र 10 साल से कम हैं, तो आप इस योजना का फायदा उठा सकती हैं.
यह सरकारी स्कीम EEE (exempt-exempt-exempt) टैक्स कैटेगरी में आती है. इसका मतलब यह है कि निवेशक को निवेश, उससे होने वाली आय या निकासी (Withdrawal) पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 10 (11A) यह छूट (exemption) प्रदान करता है. इस स्कीम में निवेश की गई रकम सेक्शन 80C के तहत कटौती (deduction) के लिए पात्र है, जिसकी सीमा 1.5 लाख रुपये है.
राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (National Savings Certificate)
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80C राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (National Savings Certificate) में किए गए निवेश पर डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत देता है. डिडक्शन क्लेम की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है. पोस्ट ऑफिस में उपलब्ध यह योजना वर्तमान में 1,000 रुपये की न्यूनतम जमा राशि के साथ 7.7% का फिक्स्ड रिटर्न ऑफर करती है. इस योजना पर ब्याज दर की समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
इस योजना में आप हर फाइनेंशियल ईयर में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं. पब्लिक प्रोविडेंट फंड उन महिलाओं के लिए एक अच्छा निवेश विकल्प है जो टैक्स बचाने के साथ-साथ आकर्षक रिटर्न भी चाहती हैं. वित्त मंत्रालय ने फाइनेंशियल ईयर 2025 की तीसरी तिमाही तक पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर ब्याज दर 7.10% सालाना तय की है.
PPF अकाउंट में जमा की गई रकम पर मिलने वाले ब्याज और निकासी पर टैक्स नहीं लगता यानी ये टैक्स-फ्री होता है साथ ही सेक्शन 80C के तहत इस निवेश पर टैक्स बेनिफिट क्लेम किया जा सकता है. PPF अकाउंट का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल होती है. हालांकि, इस अवधि को 5 साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है.
बीमा (Insurance)
इंश्योरेंस न केवल मुश्किल वक्त में आपकी मदद करता है बल्कि टैक्स-बचाने का भी एक अच्छा विकल्प है. महिला निवेशक भी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकती हैं. अपने जीवनसाथी और बच्चे सहित खुद के लिए ली गई पॉलिसियों के लिए डिडक्शन क्लेम यानी छूट का दावा किया जा सकता है. हालांकि कुल बीमा राशि (total sum insured) के 10% से ज्यादा कटौती का दावा नहीं किया जा सकता है.
इनकम टैक्स के सेक्शन 80U के तहत कुछ खास बीमारियों वाले व्यक्ति के लिए यह सीमा कुल बीमा राशि का 15% है. अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का दावा किया जा सकता है. इसमें आप अपने लिए, अपने जीवनसाथी, बच्चों, और माता-पिता के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम कर सकती हैं.
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (Equity-Linked Savings Scheme)
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80C इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम के लिए टैक्स बेनिफिट ऑफर करता है. चूंकि इस निवेश पर मिलने वाला रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है, यह ऑप्शन हाई रिस्क के साथ आता है. ELSS (Equity-Linked Savings Scheme) का तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है. इसे देखते हुए यह ऑप्शन उन महिलाओं के लिए अच्छा है जिनकी रिस्क उठाने की क्षमता ज्यादा है.
कर्मचारी भविष्य निधि (Employee Provident Fund)
एक फाइनेंशियल ईयर में EPF (Employee Provident Fund) में किए गए 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट क्लेम किया जा सकता है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
सेक्शन 80C के तहत उपलब्ध 1.5 लाख रुपये की कटौती के अलावा, NPS सब्सक्राइबर्स को सब सेक्शन 80CCD (1B) के तहत NPS में 50,000 रुपये तक के निवेश पर अतिरिक्त कटौती का फायदा मिलता है. यानी इस तरह से वो 2 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स बचा सकते हैं.
टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax-Saving Fixed Deposit)
बैंक और पोस्ट ऑफिस पांच साल के न्यूनतम लॉक-इन पीरियड वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन ऑफर करते हैं. टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.5 लाख रुपये सालाना है, लेकिन निवेश से होने वाली इनकम टैक्सेबल होती है.
होम लोन (Home Loan)
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत, होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट के रीपेमेंट पर हर फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का फायदा उठाया जा सकता है. आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24(b) के तहत अपने होम लोन पर भुगतान किए गए इंटरेस्ट पर भी अधिकतम 2 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं.
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme)
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS ) में किए गए निवेश पर भी सेक्शन (80C ) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
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