रिटायरमेंट की प्लानिंग का मतलब सिर्फ पैसे बचाना नहीं होता, बल्कि भविष्य को सुरक्षित बनाना होता है. कई लोग सोचते हैं कि रिटायरमेंट अभी बहुत दूर है, इसलिए इसकी तैयारी बाद में करेंगे. लेकिन यही सोच आगे चलकर परेशानी बन जाती है. समय पर प्लानिंग न करने से न तो कंपाउंडिंग का पूरा फायदा मिल पाता है और न ही जरूरत के मुताबिक फंड तैयार हो पाता है. यानी अगर समय रहते सही फैसले न लिए जाएं, तो रिटायरमेंट के बाद खर्च चलाना मुश्किल हो सकता है. यहां हम ऐसी 10 आम गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचकर आप अपनी रिटायरमेंट की जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं.
न करें ये 10 गलतियां (Don't make these 10 mistakes)
1. रिटायरमेंट का साफ लक्ष्य तय न करना (Not Setting a Clear Retirement Goal)
अगर आपको यह नहीं पता कि रिटायरमेंट के बाद कितना पैसा चाहिए, तो आप बचत भी सही तरीके से नहीं कर पाएंगे. बहुत से लोग यह अनुमान ही नहीं लगाते कि रिटायरमेंट के बाद उनकी लाइफस्टाइल को मेंटेन करने का खर्च कितना होगा. सही गोल सेट करने के लिए उम्र, महंगाई और भविष्य के खर्चों को ध्यान में में रखना जरूरी है.
2. हेल्थ से जुड़े खर्च को नजरअंदाज करना (Ignoring health-related expenses)
उम्र बढ़ने के साथ मेडिकल खर्च भी बढ़ता है. इलाज और दवाइयों का खर्च बहुत महंगा हो सकता है. इसलिए रिटायरमेंट से पहले अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस और अलग से मेडिकल फंड बनाना बहुत जरूरी होता है.
3. लंबी उम्र को ध्यान में न रखना (Not Accounting for Life Expectancy)
आज लोग पहले से ज्यादा लंबा और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. अगर आपकी बचत लंबे समय तक चलने के लिए पर्याप्त नहीं है, तो बाद के सालों में आपको आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ सकती है. इसलिए यह मानकर चलें कि आपको ज्यादा सालों तक खर्च चलाना है और उसी हिसाब से प्लानिंग करें. जल्दी शुरुआत करने और लंबी अवधि को ध्यान में रखकर निवेश करने से फंड को बढ़ने का समय मिलता है.
4. कमाई से ज्यादा खर्च करना (Living Beyond Your Means)
कम्फर्टेबल लाइफस्टाइल के चक्कर में लोग जरूरत से ज्यादा खर्च कर देते हैं. ऐसे में EMI और कर्ज के जाल में फंस जाते हैं, जिससे बचत नहीं हो पाती. अपनी कमाई के मुताबिक खर्च करने से ही रिटायरमेंट के लिए अच्छा पैसा जोड़ा जा सकता है.
5. आय का सिर्फ एक ही जरिया रखना (Lack of Multiple Income Sources)
सिर्फ पेंशन या पीएफ पर निर्भर रहना सही नहीं है. म्यूचुअल फंड, किराये से होने वाली इनकम या छोटी-सी निवेश योजना रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम जुटाने में मदद कर सकती है.
6. निवेश से जल्दी पैसे निकाल लेना (Withdrawing Money Too Early)
EPF, NPS या PPF जैसे लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट से समय से पहले पैसे निकालना कंपाउंडिंग के फायदे को कम कर देता है. इससे रिटायरमेंट के समय आपका फंड उम्मीद से कम रह सकता है.
7. कर्ज के साथ रिटायर होना (Retiring with Debt)
अगर रिटायरमेंट के समय भी लोन या क्रेडिट कार्ड का बोझ है, तो परेशानी बढ़ सकती है. रिटायर होने से पहले बड़े कर्ज खत्म कर लेना समझदारी होती है.
8. महंगाई को नजरअंदाज करना (Ignoring Inflation)
महंगाई समय के साथ खर्चों को कई गुना बढ़ा देती है. अगर आपने रिटायरमेंट प्लानिंग में महंगाई को शामिल नहीं किया, तो भविष्य में पैसों की कमी हो सकती है.
9. टैक्स प्लानिंग पर ध्यान न देना (Ignoring Tax Planning)
अगर टैक्स की सही प्लानिंग नहीं की है, तो आपकी बचत का बड़ा हिस्सा टैक्स चुकाने में खर्च हो सकता है. टैक्स-सेविंग विकल्पों का इस्तेमाल करके आप अपने रिटायरमेंट फंड को बेहतर तरीके से सुरक्षित रख सकते हैं.
10. प्लान की समय-समय पर जांच न करना (Not Reviewing Your Plan Regularly)
समय के साथ इनकम, खर्च और जरूरतें बदलती रहती हैं. अगर आप अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग को समय-समय पर रिव्यू नहीं करते, तो लक्ष्य से भटक सकते हैं. समय-समय पर पोर्टफोलियो की जांच और जरूरी बदलाव करना बेहद जरूरी है.
रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और तनाव मुक्त जिंदगी के लिए सही प्लानिंग और आम गलतियों से बचना जरूरी है. जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे और जितनी समझदारी से फैसले लेंगे, उतना ही मजबूत आपका रिटायरमेंट फंड होगा.
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