Provident Fund interest deposits: प्रोविडेंट फंड के खाते में सरकार कब ब्याज जमा कराएगी. आज कल हम इस प्रश्न से परेशान हैं. इस हम में हर वो आदमी शामिल है जो नौकरीपेशा है और उसकी कमाई का एक अंश पीएफ खाते में जमा किया जाता है ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रह सके. यानि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा हर महीना इसलिए कटवाता है ताकि भविष्य में उसके भूखे मरने की नौबत न आए. इतना ही नहीं अपनी कुछ अहम जरूरतों को पूरा करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है. कर्मचारी के अलावा कंपनी सरकार द्वारा संचालित ईपीएफओ EPFO (Employees Provident Fund Organisation) में पैसा जमा करवाती है और सरकार के पास क्योंकि यह फंड जमा होता है तो सरकार भी इस फंड का प्रयोग करती है. इस फंड के प्रयोग से जो कमाई सरकार या ईपीएफओ EPFO करती है उसका एक हिस्सा ब्याज के रूप में ईपीएफओ EPFO विभाग हर सरकार खातों में जमा कराता है. बता दें कि ईपीएफओ के पास इस समय 24.77 करोड़ खाते हैं.
बात अब मुद्दे पर आ गई है. ब्याज वो भी उस पैसे का जो ईपीएफओ EPFO के पास खाते में जमा है. यह ब्याज हर साल जमा होता है. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पिछले साल का जो ब्याज है वह अभी तक जमा नहीं किया गया है. इससे से बड़ा आश्चर्य यह है कि न ही केंद्र सरकार के मंत्री और न ही ईपीएफओ EPFO विभाग के अधिकारी इस बारे में कुछ बोलने को तैयार है. किसी के पास कोई साफ जवाब नहीं है. क्यों नहीं है यह भी किसी को पता नहीं. बता दें कि 8 मार्च को होली है और पीएफ PF से जुड़े 6.5 करोड़ खाताधारकों को सरकार की ओर से तोहफा मिलने की उम्मीद है, लेकिन इंतजार लंबा होता जा रहा है और अब अनिश्चितता के मंडरा रहे हैं.
जानें क्या है मामला
करोड़ों पीएफ खाताधारकों को EPFO विभाग द्वारा अभी तक 21-22 का ब्याज नहीं दिया गया है जबकि 22-23 का साल भी पूरा होने जा रहा है. माना जा रहारहा है कि 31 मार्च 22 तक जो भी गुणा भाग किया जाना चाहिए था वह हो चुका होगा लेकिन ब्याज क्यों नहीं डाला गया इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है. सरकार से भी सवाल पूछा गया है और सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह ईपीएफओ का काम है और विभाग पूरी स्वतंत्रता के साथ यह काम करता है. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
वर्तमान में इस बारे में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिवाली से पहले कहा था कि दिवाली से पहले यह काम कर लिया जाएगा और लोगों के खाते में ब्याज जमा करा दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब होली आने को है.
मामले के जानकारों का कहना था कि सरकार ने बजट 2021 में यह घोषणा की थी कि यदि पीएफ के खाते में 2.5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा रकम जमा की जाती है तब इस अर्जित होने वाले ब्याज पर टैक्स देय होगा. वहीं सरकारी कर्मचारियों के लिए सीमा 5 लाख रुपये सालाना कर दी गई है.
बताया जा रहा है कुछ ऐसे ही बदलावों के लिए ईपीएफओ EPFO के सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जा रहा है और इसकी टेस्टिंग चल रही है जिसकी वजह से अभी तक ब्याज ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है. गौरतलब है कि 12 मार्च 2022 को ईपीएफओ विभाग द्वारा 8.10 प्रतिशत की दर से ब्याज देने की संस्तुति की गई थी जिसे वित्तमंत्रालय ने जून 2022 में स्वीकार कर लिया था. यह ब्याज दर 20-21 के लिए 8.5 प्रतिशत तय किया गया था.
कुछ समय पहले तक यह माना जा रहा था कि सरकार की ओर से पीएफ खाताधारकों को होली से पहले फरवरी के अंत तक ब्याज मिल सकता है. लेकिन अब फरवरी समाप्त हो गया है. अब होली आ गई है. और 8 मार्च को होली है. यह दिन बुधवार का है. इस दिन कैबिनेट की बैठक होती है. इससे यह साफ है कि अब होली तक तो घोषणा की उम्मीद नहीं है. इससे पहले माना जा रहा था कि दिसंबर माह में यह ब्याज खाते में आ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इसके बाद कहा जाने लगा कि बजट से पहले यह काम पूरा कर लिया जाएगा लेकिन किन्हीं कारणों से यह नहीं हो पाया. फिर होली की तारीख का इंतजार होने लगा और होली भी आ गई है.
जानकारी दे दें कि 2020-21 में पीएफ पर ब्याज दरें 8.5 प्रतिशत की घोषणा की गई थी. लेकिन यह पैसा दिसंबर में खाते में डाला गया था. यानि मार्च में घोषणा होने के बावजूद दिसंबर में खाते में पैसे डाले गए थे. वहीं, 2021-22 में ब्याज की दरें सरकार की ओर से 8.10 प्रतिशत घोषित की गई थी लेकिन पैसा खाते में अभी तक नहीं डाला जा सका है. कुल मिलाकर आज की स्थिति भी स्पष्ट है कि कब ब्याज आएगा यह तय नहीं है और न ही किसी भी अधिकारी के पास कोई जानकारी है.
ज्ञातव्य हो कि सरकार ने हाल ही में बजट 2023 में घोषणा में पीएफ खाते से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव किया है. केंद्रीय बजट 2023 में वित्त मंत्री ने कर्मचारी भविष्य निधि की निकासी के नियमों में बदलाव की घोषणा की है. अब अगर किसी कारणवश 5 साल की अवधि से पहले अपने पीएफ खाते से पैसे निकालना हो और पैन कार्ड लिंक नहीं है तो ऐसे में अब 30 फीसदी की जगह 20 फीसदी टीडीएस देना होगा. ये नए नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू होगा.
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