भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई भत्ते (DA) से संबद्ध पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर आगाह किया है. RBI ने कहा है कि इसे लागू करने से राज्यों के वित्त पर काफी दबाव पड़ेगा और विकास से जुड़े खर्चों के लिए उनकी क्षमता सीमित होगी. रिजर्व बैंक की ‘राज्यों के वित्त: 2023-24 के बजट का एक अध्ययन' विषय पर जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समाज और उपभोक्ता के लिहाज से अहितकर वस्तुओं और सेवाओं, सब्सिडी और अंतरण तथा गारंटी पर प्रावधान से उनकी वित्तीय स्थिति गंभीर स्थिति में पहुंच जाएगी.
कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग
उल्लेखनीय है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने केंद्र सरकार और पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने के फैसले के बारे में सूचित किया है. वित्त मंत्रालय ने हाल ही में संसद को सूचित किया है कि इन राज्य सरकारों ने नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) में अपने कर्मचारियों के योगदान की राशि वापस करने का अनुरोध किया है.
इसमें कहा गया है, ‘‘आंतरिक अनुमान के अनुसार यदि सभी राज्य सरकारें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension Scheme) की जगह पुरानी पेंशन व्यवस्था (Old Pension System) को अपनाती हैं, तो संचयी राजकोषीय बोझ एनपीएस (NPS) के 4.5 गुना तक अधिक हो सकता है. अतिरिक्त बोझ 2060 तक सालाना सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 0.9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा.
OPS के अंतर्गत रिटायर्ड लोगों के लिए बढ़ेगा पेंशन का बोझ: रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले रिटायर्ड लोगों के लिए पेंशन का बोझ बढ़ेगा. इन लोगों का अंतिम बैच 2040 के दशक की शुरुआत में रिटारयर होने की संभावना है. इसीलिए, वे 2060 के दशक तक ओपीएस के तहत पुरानी पेंशन के तहत पेंशन (Pension) प्राप्त करेंगे.''
कुछ राज्यों ने 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी के 4% से अधिक करने का बजट
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों ने 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) के चार प्रतिशत से अधिक करने का बजट रखा है, जबकि अखिल भारतीय औसत 3.1 प्रतिशत है. उनका कर्ज स्तर भी जीएसडीपी के 35 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अखिल भारतीय औसत 27.6 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है, ‘‘समाज के नजरिये अहितकर वस्तुओं और सेवाओं, सब्सिडी, अंतरण और गारंटी के लिए कोई भी अतिरिक्त प्रावधान उनकी वित्तीय स्थिति को गंभीर बना देगा और पिछले दो वर्षों में हासिल समग्र राजकोषीय मजबूती को बाधित करेगा.''
राज्य के वित्त में सुधार 2022-23 में भी रहा बरकरार
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के वित्त में जो सुधार 2021-22 में हुआ, वह 2022-23 में बना रहा. राज्यों का संयुक्त रूप से सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.8 प्रतिशत रहा - जो लगातार दूसरे साल बजट अनुमान से कम था. इसका मुख्य कारण राजस्व घाटे में कमी था.
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