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New Labour Codes: अब नए रंग-रूप में दिखेगा आपका अपॉइंटमेंट लेटर और सैलरी स्लिप, जानें क्या-क्या बदलेगा

New labour codes on wages :नए लेबर कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों से जुड़े कई नियम बदलने वाले हैं. इन बदलावों का असर सीधे आपके अपॉइंटमेंट लेटर, सैलरी स्ट्रक्चर, काम के घंटे, छुट्टियों और रिटायरमेंट बेनिफिट्स पर पड़ेगा.

New Labour Codes: अब नए रंग-रूप में दिखेगा आपका अपॉइंटमेंट लेटर और सैलरी स्लिप, जानें क्या-क्या बदलेगा
New Labour Laws 2025: सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए लेबर कोड्स बनाए हैं.
नई दिल्ली:

New Labour Laws Explained: अगर आप नौकरी करते हैं या नई जॉब जॉइन करने की योजना बना रहे हैं, तो आने वाला समय आपके लिए काफी अहम हो सकता है. सरकार के नए लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मचारियों से जुड़े कई नियम बदलने वाले हैं. इन बदलावों का असर सीधे आपके अपॉइंटमेंट लेटर, सैलरी स्ट्रक्चर, काम के घंटे, छुट्टियों और रिटायरमेंट बेनिफिट्स पर पड़ेगा. आसान शब्दों में कहें, तो अब नौकरी से जुड़े डॉक्यूमेंट सिर्फ HR की औपचारिकता (Formality) नहीं रहेंगे, बल्कि कानूनी तौर पर ज्यादा मजबूत बन जाएंगे.

नए लेबर कोड क्या हैं?

सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों (Old labor laws) को मिलाकर 4 नए लेबर कोड्स (New Labour Codes)बनाए हैं. इनमें वेतन, इंडस्ट्रियल रिलेशन, सोशल सिक्योरिटी और वर्किंग कंडीशन से जुड़े नियम शामिल हैं. ये कोड केंद्र स्तर पर लागू हो चुके हैं, लेकिन इनका पूरा असर तब दिखेगा जब राज्य सरकारें अपने नियम नोटिफाई करेंगी.

अपॉइंटमेंट लेटर अब सिर्फ HR डॉक्यूमेंट नहीं 

अब तक अपॉइंटमेंट लेटर को एक सामान्य HR डॉक्यूमेंट माना जाता था, लेकिन नए नियमों के बाद यह एक कानूनी दस्तावेज बन जाएगा. इसमें सैलरी ब्रेकअप, काम के घंटे, छुट्टियां और सोशल सिक्योरिटी से जुड़े अधिकार साफ-साफ लिखना जरूरी होगा.

सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव (New Labour Codes Salary Structure)

नए वेज कोड (Wages Code) के मुताबिक, कर्मचारी की कुल सैलरी का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक वेज होना जरूरी होगा. इसका मतलब है कि कंपनियों को बेसिक सैलरी बढ़ानी होगी और कई अलाउंसेज को दोबारा स्ट्रक्चर करना पड़ेगा. हालांकि इसको लेकर कुछ लोगों के मन में ये सवाल था कि इससे इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी. लेकिन लेबर मिनिस्ट्री ने साफ कहा है कि  पीएफ कैलकुलेश अब भी 15000 की लिमिट पर ही होगा यानी जबतक कर्मचारी और कंपनी दोनों ज्यादा पीएफ कटौती के लिए सहमति नहीं जताते तब तक ज्यादा पीएफ नहीं कटेगा और सैलरी घटने की कोई संभवना नहीं है.

इससे कर्मचारियों को यह भी साफ पता चलेगा कि उनकी सैलरी का कौन-सा हिस्सा भविष्य के फायदे जैसे PF और ग्रेच्युटी के लिए गिना जा रहा है. PF, ग्रेच्युटी, ओवरटाइम और लीव एनकैशमेंट जैसे फायदे लंबे समय में बढ़ जाएंगे. इसका सीधा फायदा रिटायरमेंट के समय मिलने वाली रकम पर पड़ेगा.

सैलरी स्लिप होगी ज्यादा साफ और समझने में आसान

नए नियमों के बाद सैलरी स्लिप में अनावश्यक अलाउंसेज कम होंगे. PF (Provident Fund), ESIC (Employee State Insurance Corporation) और अन्य कटौतियां साफ तौर पर दिखाई जाएंगी, जिससे कर्मचारियों को अपनी सैलरी का पूरा हिसाब साफ-साफ समझ आ सकेगा और किसी गलती या कटौती पर समय रहते सवाल उठाया जा सकेगा.

काम के घंटे और ओवरटाइम होंगे स्पष्ट (Working Hours and Overtime Rules)

नए कानून के तहत 8 घंटे का वर्किंग डे और 48 घंटे का वर्किंग वीक तय किया जाएगा. इससे ज्यादा काम करने पर ओवरटाइम देना होगा, वह भी तय नियमों के मुताबिक. अब “जरूरत के हिसाब से काम” जैसे अस्पष्ट शब्द अपॉइंटमेंट लेटर में नहीं चलेंगे. इससे कर्मचारियों को बिना तय नियमों के ज्यादा समय तक काम कराने की स्थिति पर कानूनी तौर पर आपत्ति जताने का अधिकार भी मिलेगा.

छुट्टियों के नियम भी होंगे साफ 

अब लीव पॉलिसी सिर्फ HR हैंडबुक तक सीमित नहीं रहेगी. छुट्टियां कितनी मिलेंगी, कैसे जुड़ेंगी, आगे कैरी होंगी या एनकैश होंगी, ये सभी बातें अपॉइंटमेंट लेटर में साफ तौर पर शामिल की जा सकती हैं. खासकर नौकरी बदलते समय या रिटायरमेंट के वक्त छुट्टियों के सेटलमेंट को लेकर होने वाली उलझनें इससे काफी हद तक कम हो जाएंगी.

सोशल सिक्योरिटी पर खास जोर

PF, ESIC, ग्रेच्युटी और अन्य बेनिफिट्स की पूरी डिटेल अब अपॉइंटमेंट लेटर में दी जाएगी. साथ ही, फिक्स्ड-टर्म और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को भी इन कानूनों के तहत औपचारिक रूप से सुरक्षा मिलेगी.

क्या पुराने कर्मचारियों को नया अपॉइंटमेंट लेटर मिलेगा? 

कानून के तहत यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन जिन शर्तों में नए नियमों से मेल नहीं होगा, वे कानूनी रूप से लागू नहीं मानी जाएंगी. ऐसे में कंपनियां संशोधित अपॉइंटमेंट लेटर या ऐडेंडम (Addendum) जारी कर सकती हैं.

कर्मचारियों को किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? 

  • बेसिक सैलरी कुल वेतन का कम से कम 50% है या नहीं
  • PF और ग्रेच्युटी सही तरीके से जुड़ रही है या नहीं
  • काम के घंटे और ओवरटाइम साफ लिखे हैं या नहीं
  • सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स में कोई कटौती तो नहीं

नए लेबर कानूनों के बाद अपॉइंटमेंट लेटर सिर्फ जॉइनिंग की औपचारिकता नहीं रहेगा, बल्कि आपकी सैलरी, काम की शर्तों और भविष्य की सुरक्षा का कानूनी आधार बनेगा. ऐसे में कर्मचारियों के लिए जरूरी है कि वे अपने अपॉइंटमेंट लेटर और सैलरी स्लिप को ध्यान से पढ़ें और बदलावों को समझें. आने वाला समय नौकरीपेशा लोगों के लिए बदलाव भरा जरूर है, लेकिन सही जानकारी के साथ यह बदलाव फायदेमंद साबित हो सकता है.

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