अब गांव-गांव पहुंचेंगे बीमा उत्पाद, बीमा वाहकों की योजना जल्द

इरडा (Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI)) के सदस्य राकेश जोशी ने एक कार्यक्रम में यह बात कही.

अब गांव-गांव पहुंचेंगे बीमा उत्पाद, बीमा वाहकों की योजना जल्द

बीमा वाहकों से गांव गांव में बीमा सेवाओं का विस्तार होगा.

नई दिल्ली:

देश में इंश्योरेंस सेक्टर के विस्ता के लिए इरडा (IRDA) ने जल्द ही बीमा वाहक (Bima Vahak) को जोड़ने का प्रस्ताव रखा है. यह बीमा वाहक (Bima Vahaks) हर गांव में तैनात किए जांगे ताकि बीमा से जुड़े उत्पादों को लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके साथ ही इससे जुड़ी सभी सेवाएं वहां तक मुहैया कराई जा सकें. इरडा (IRDAI) के सदस्य राकेश जोशी ने एक कार्यक्रम में यह बात कही. उन्होंने कहा कि हर ग्राव पंचायत (Gram Panchayat) में बीमा वाहकों को रखा जाएगा. इन्हें जल्द ही रखने की योजना है. जोशी ने कहा कि बीमा वाहक का काम बीमा से जुड़ी सभी सेवाओं के साथ बीमा से जुड़े सभी उत्पादों को लोगों को देना भी होगा. बीमा विस्तार में स्वास्थ्य, संपत्ति, जीवन और दुर्घटना बीमा आदि सभी शामिल होंगे.

जोशी का कहना है कि ऐप आधारित इन बीमा सेवाओं (Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI)) को लोगों तक आसानी से पहुंचाया जाएगा. इन सभी उत्पादों को मिल निश्चित राशि के यूनिटों में खरीदा जा सकेगा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बीमा धारकों को सेवाएं आसानी से तुरंत बिना किसी समस्या के उपलब्ध हो पाएंगी.

जोशी ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियां राज्य सरकारों के साथ मिलकर राज्य स्तरीय बीमा योजनाएं भी तैयार कर रही हैं. कहा जा रहा है कि कोई न कोई कंपनी एक राज्य को अपनाया है और उसके साथ मिलकर राज्य की जरूरतों के हिसाब से योजनाएं तैयार करने में लग गई हैं. ऐसा ही बैंकों ने भी किया है और ऐसा ही हम बीमा कंपनियों के साथ कर रहे हैं. 

जोशी का मानना है कि बीमा योजनाओं के ग्रामीण इलाकों में विस्तार के लिए ज्यादा कैपिटल की आवश्यकता नहीं होगी. बड़ी कंपनियों के लिए भी यह एक मौका है और छोटी कंपनियां भी इस ओर ध्यान दे सकती हैं. जोशी का मानना है कि बीमा सुरक्षा के लिहाज से अभी शहर और ग्रामीण क्षेत्र में काफी अंतर है. इस अंतर को पाटने की जरूरत है. 

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जोशी ने कहा कि 50 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के ही चल रहे हैं और संपत्ति बीमा तो अभी लगभग न के समान ही होता है. हमारे छोटे उद्योग पूरी तरह से बीमित नहीं है. इन सारे क्षेत्र को दुरुस्त करने की जरूरत है. देश की बड़ी आबादी अभी वित्तीय सहायता से दूर है और बीमा से भी दूर है. 30 प्रतिशत तो ऐसे लोग हैं जिनके पास बीमा होना चाहिए लेकिन नहीं है. इसलिए यह जरूरी है कि बीमा कंपनियों के साथ साथ लोगों को भी इस मुहिम में जोड़ा जाए और यह भी ध्यान में रखा जाए कि सेवाएं ग्राहकों त्वरित और सहूलियत के साथ मिल सकें.