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Mahakumbh Mela 2025: भारत का महाकुंभ मेला एक बार फिर लगने जा रहा है. भारत के चार शहरों में 12 साल बाद फिर कुंभ का भव्य मेला लगेगा. इसकी तैयारियां जोरों-शोरों से हो रही हैं. महाकुंभ का मेला आगामी 13 जनवरी से 26 जनवरी तक लगेगा. भारत में हर 12 साल बाद महाकुंभ का मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है. प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ का मेला दुनिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है. अगर आप प्रयागराज महाकुंभ का मेला घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको यहां इन 7 खूबसूरत जगहों का भ्रमण भी जरूर करना चाहिए.
संगम
प्रयागराज आए और संगम तट पर नहीं गए तो आपकी प्रयागराज की यात्रा अधूरी माना जाएगी. ऐसे में जब महाकुंभ घूमने आएं तो संगम तट का नजारा देखना नहीं भूलना. प्रयागराज की संगम नदी वो नदी है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है. यह जगह तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए बेहद खास है और वो यहां गंगा स्नान जरूर करके जाते हैं. यहां आपको घाट पर दिव्य आरती, रंग-बिरंगी नाव और शुद्ध गंगाजल मिलेगा. वहीं, अगर तड़के-तड़के संगम के तट पर पहुंचे हैं, तो नदी के अंदर एक सूरज की रोशनी का सुनहरा नजारा देखने को मिलेगा.
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इलाहाबाद फोर्ट
जब संगम तट पर आ जाएं तो यहां पास ही में इलाहाबाद फोर्ट है, जो कि 1583 में अकबर ने बनवाया था. यह किला इंडियन आर्मी के अंडर में है. वहीं, इस किले में अशोका स्तंभ और सरस्वती कूप भी है, जो आपको भारत के प्राचीन इतिहास का दर्शन कराएंगे. महाकुंभ के दौरान यहां चहल-पहल बढ़ जाती है और यहां पतालपुरी मंदिर और अक्षयवट भी है, जहां एक विशाल बरगद का अद्भुत पेड़ है, जिसकी खूब मान्यता है.
त्रिवेणी संगम घाट
महाकुंभ के दौरान संगम तट पर रोशनी ही रोशन होती है. यहां, शाम की आरती शुरू होते ही पूरा वातावरण दियों की रोशनी से टिमटिमाने लगता है और भजन संध्या पर लोग भक्ति में डूबे दिखते हैं. त्रिवेणी संगम घाट पर भारतीय संस्कृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है, यहां तपस्वी, पर्यटकों और फोटोग्राफर्स की भीड़ जमा होती है. वहीं, तट पर बैठकर गरमा गरम चाय पीने से स्वर्गलोक में होने का एहसास होता है.
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आनंद भवन
प्रयागराज ना सिर्फ एक धार्मिक नगरी है, बल्कि यहां स्थित आनंद भवन इसे और भी खूबसूरत बनाता है. प्रयागराज में भारत की आजादी की लड़ाई भी लड़ी गई है. आनंद भवन जो कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी फैमिली का आवास हुआ करता था. अब यह एक म्यूजियम में बदल चुका है. आनंद भवन में भारत और उसकी आजादी का इतिहास, अनदेखी तस्वीरें, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय के डॉक्युमेंट्स और क्रॉनिकल्स देखने को मिलेंगे. वहीं, आनंद भवन में एक गार्डन है, जहां बैठकर बड़ा सुकून मिलता है.
ऑल सेंट्स कैथेड्रल
प्रयागराज से क्रिश्चियन कम्युनिटी का भी खास कनेक्शन रहा है. ऑल सेंट्स कैथेड्रल एक तरह से गोथिक स्टाइल में बना एंगलीकन चर्च है, जो कि 19वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसे पत्थर गिरजाघर के नाम से जाना जाता है. इस चर्च की रंगीन कांच की खिड़कियां, ऊंची चोटी और अविश्वसनीय नक्काशी इसे भव्य बनाती है. महाकुंभ के दौरान मन को शांत करने के लिए आप इस चर्च में आ सकते हैं. यहां पर्यटक इसकी आश्चर्यजनक वास्तुकला की प्रशंसा करते थकते नहीं है और यहां पर्यटक प्रयागराज के विविध सांस्कृतिक इतिहास का अनुभव लेते हैं.
खुसरो बाग
महाकुंभ में घूमने के बाद आप प्रयागराज स्थित खुसरो बाग में भी जा सकते हैं. यह प्रयागराज का छिपा रुस्तम स्थल है. खुसरो बाग प्रयागराज का खूबसूरत मुगल गार्डन कॉम्प्लेक्स है, जो कि जंहागीर के सबसे बड़े बेटे खुसरो मिर्जा का किला रहा है. खुसरो बाग प्रयागराज को ऐतिहासिक विरासत के तौर पर इसकी शोभा बढ़ाता है. यहां की हरियाली और शांतिपूर्ण वातावरण तन और मन दोनों को राहत पहुंचाता है. ऐसे में महाकुंभ मेले में आने वाले पर्यटक खुसरो बाग आना ना भूलें.
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सिविल लाइंस
प्रयागराज का कमर्शियल हब सिविल लाइंस को कहा जाता है. यहां गलियों में मिलने वाला खाना मुंह में पानी लाने का काम करता है. चटपटी आलू सब्जी के साथ कचौड़ी का स्वाद मन को तृप्त कर देता है और इसके बाद क्रीम से लबालब आइसक्रीम दिमाग को ठंडा करने का काम करती है. फूड लवर्स के लिए सिविल लाइंस फुल एंटरटेनिंग अड्डा है. यहां फूड लवर्स को मुगलई डिशेज के भी स्वाद चखने को मिलेंगे, जिसमें बिरयानी और कबाब को देख मुंह से पानी टपकने लगेगा. जब इन सब लजीज चीजों से पेट भर जाएगा तो फिर आपका ना चाहकर भी तांबे के बड़े-बड़े गिलास में क्रीम वाली लस्सी को देख मन ललचा जाएगा.
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