Textile Sector
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PLI Scheme: कपड़ा क्षेत्र की पीएलआई योजना में आया 1,536 करोड़ रुपये का निवेश
- Monday December 26, 2022
- Edited by: अनिशा कुमारी
PLI scheme For Textiles Sector: पिछले हफ्ते वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) से कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
- ndtv.in
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टेक्सटाइल सेक्टर को मिली 10,638 करोड़ की स्कीम पर सरकार ने रखी शर्त, बस इन कंपनियों को ही मिलेगा फायदा
- Tuesday September 28, 2021
- Reported by: भाषा
नई अधिसूचना के मुताबिक, केवल भारत में रजिस्टर्ड विनिर्माण कंपनियां (manufacturing companies) ही कपड़ा क्षेत्र के लिए हाल ही में स्वीकृत 10,683 करोड़ रुपये की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (Product Linked Incentive-PLI) योजना के तहत भाग लेने के लिए पात्र होंगी.
- ndtv.in
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टेक्सटाइल सेक्टर में 6000 करोड़ से आने वाला 1 करोड़ रोज़गार कहां गया?
- Friday September 10, 2021
- रवीश कुमार
सरकार कभी नहीं बताती कि कितनों को रोज़गार मिला लेकिन यह ज़रूर बताती है कि फलां योजना में कितनों को रोज़गार मिलेगा. मिलेगा के नाम पर आंकड़ा कुछ भी बता दिया जाता है, कभी 50 लाख तो कभी एक करोड़ तो कभी साढ़े सात लाख. आप मंत्रियों के पुराने बयान को निकालेंगे तो यह तो पता चलेगा कि इतना लाख रोज़गार मिलने वाला है लेकिन फिर उस पर दोबारा प्रेस कांफ्रेंस नहीं होती है कि हमने कहा था इतना लाख मिलेगा लेकिन मिला उससे कम या ज़्यादा.
- ndtv.in
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ऑटो के बाद अब टेक्सटाइल सेक्टर में मंदी की मार, बड़ी तादाद में गईं नौकरियां
- Tuesday August 20, 2019
- Reported by: रवीश कुमार, Edited by: विवेक रस्तोगी
अंग्रेज़ी समाचारपत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' में मंगलवार को आधे पेज का एक बड़ा-सा विज्ञापन छपा है, जिसमें नौकरियां खत्म होने के बाद फैक्टरी से बाहर आते लोगों का स्केच बनाया गया है. इसके नीचे बारीक आकार में लिखा है कि देश की एक-तिहाई धागा मिलें बंद हो चुकी हैं, और जो चल रही हैं, वे भारी घाटे में हैं. उनकी स्थिति ऐसी भी नहीं है कि वे भारतीय कपास ख़रीद सकें, सो, कपास की आगामी फ़सल का कोई ख़रीदार नहीं होगा. अनुमान है, 80,000 करोड़ रुपये का कपास उगने जा रहे है, सो, इसका असर कपास के किसानों पर भी होगा."
- ndtv.in
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ऑटोमोबिल और टेक्सटाइल में रोज़गार पैदा क्यों नहीं कर पा रहा है भारत?
- Sunday June 2, 2019
- रवीश कुमार
सात साल में पहली बार मारुति की बिक्री 22 प्रतिशत कम हो गई है. लगातार तीसरे महीने यह गिरावट हुई है. मारुति सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है. मारुति के अलावा शीर्ष की कई कार कंपनियों की हालत ख़राब है. ऑटोमोबिल सेक्टर अभी भी रोज़गार का सेक्टर माना जाता है. ज़ाहिर है नौकरियों पर असर पड़ रहा होगा. नौकरियां जा रही होंगी.
- ndtv.in
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PLI Scheme: कपड़ा क्षेत्र की पीएलआई योजना में आया 1,536 करोड़ रुपये का निवेश
- Monday December 26, 2022
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टेक्सटाइल सेक्टर को मिली 10,638 करोड़ की स्कीम पर सरकार ने रखी शर्त, बस इन कंपनियों को ही मिलेगा फायदा
- Tuesday September 28, 2021
- Reported by: भाषा
नई अधिसूचना के मुताबिक, केवल भारत में रजिस्टर्ड विनिर्माण कंपनियां (manufacturing companies) ही कपड़ा क्षेत्र के लिए हाल ही में स्वीकृत 10,683 करोड़ रुपये की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (Product Linked Incentive-PLI) योजना के तहत भाग लेने के लिए पात्र होंगी.
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टेक्सटाइल सेक्टर में 6000 करोड़ से आने वाला 1 करोड़ रोज़गार कहां गया?
- Friday September 10, 2021
- रवीश कुमार
सरकार कभी नहीं बताती कि कितनों को रोज़गार मिला लेकिन यह ज़रूर बताती है कि फलां योजना में कितनों को रोज़गार मिलेगा. मिलेगा के नाम पर आंकड़ा कुछ भी बता दिया जाता है, कभी 50 लाख तो कभी एक करोड़ तो कभी साढ़े सात लाख. आप मंत्रियों के पुराने बयान को निकालेंगे तो यह तो पता चलेगा कि इतना लाख रोज़गार मिलने वाला है लेकिन फिर उस पर दोबारा प्रेस कांफ्रेंस नहीं होती है कि हमने कहा था इतना लाख मिलेगा लेकिन मिला उससे कम या ज़्यादा.
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- Tuesday August 20, 2019
- Reported by: रवीश कुमार, Edited by: विवेक रस्तोगी
अंग्रेज़ी समाचारपत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' में मंगलवार को आधे पेज का एक बड़ा-सा विज्ञापन छपा है, जिसमें नौकरियां खत्म होने के बाद फैक्टरी से बाहर आते लोगों का स्केच बनाया गया है. इसके नीचे बारीक आकार में लिखा है कि देश की एक-तिहाई धागा मिलें बंद हो चुकी हैं, और जो चल रही हैं, वे भारी घाटे में हैं. उनकी स्थिति ऐसी भी नहीं है कि वे भारतीय कपास ख़रीद सकें, सो, कपास की आगामी फ़सल का कोई ख़रीदार नहीं होगा. अनुमान है, 80,000 करोड़ रुपये का कपास उगने जा रहे है, सो, इसका असर कपास के किसानों पर भी होगा."
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ऑटोमोबिल और टेक्सटाइल में रोज़गार पैदा क्यों नहीं कर पा रहा है भारत?
- Sunday June 2, 2019
- रवीश कुमार
सात साल में पहली बार मारुति की बिक्री 22 प्रतिशत कम हो गई है. लगातार तीसरे महीने यह गिरावट हुई है. मारुति सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है. मारुति के अलावा शीर्ष की कई कार कंपनियों की हालत ख़राब है. ऑटोमोबिल सेक्टर अभी भी रोज़गार का सेक्टर माना जाता है. ज़ाहिर है नौकरियों पर असर पड़ रहा होगा. नौकरियां जा रही होंगी.
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