19 अगस्त के प्राइम टाइम में हम एक संख्या पर ठिठक गए थे. जब टेक्सटाइल एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा कि 25 से 50 लाख के बीच नौकरियां जा चुकी हैं. टेक्सटाइल सेक्टर में बिक्री 30 से 35 परसेंट घट गई है. निर्यात 30 प्रतिशत से अधिक कम हो गया है. जिस सेक्टर में 10 करोड़ से अधिक लोग रोज़गार और कारोबार पाते हों उनकी स्थिति ठीक नहीं हैं. हमने कई लोगों से बात की. मंदी और नुकसान के बीच साहस की भी मंदी आ गई है. बहुत कम लोग कैमरे पर आकर बात करना चाहते हैं. करोड़ों के बिजनेस मैन हैं. टीवी के लिए बाइट मांगिए तो किनारा कर लेते हैं. इसलिए आर्थिक मंदी के साथ साथ बोलने के साहस की मंदी भी आई हुई है. ऑफ रिकार्ड सुगबुगाहट से यही सुनाई दे गया कि ऐसी मंदी उन्होंने कभी नहीं देखी. उतार-चढ़ाव तो देखा है मगर ऐसा सन्नाटा कभी नहीं देखा-सुना. लेकिन मंगलवार की सुबह थोड़ी अलग रही. इंडियन एक्सप्रेस में एक विज्ञापन छपता है. यह विज्ञापन पेज नंबर तीन पर छपता है और आधे पन्ना का छपता है.