Harishankar Parsai
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harishankar parsai ki kavita: हरिशंकर परसाई की कविता, जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं ?
- Monday May 19, 2025
- Written by: प्रिया गुप्ता
Harishankar Parsai ki Kavita: हरिशंकर परसाई का लेखन व्यंग्य को एक साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ.
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ndtv.in
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परसाई होते तो क्या मॉब लिंचिंग से, आवारा भीड़ के खतरों से बच पाते?
- Wednesday August 22, 2018
- प्रियदर्शन
हरिशंकर परसाई खुशकिस्मत थे कि 1995 में ही चले गए. अगर आज होते तो या तो मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए होते या फिर जेल में सड़ रहे होते या फिर देशद्रोह के आरोप में मुक़दमा झेल रहे होते. आवारा भीड़ के ख़तरों को उन्होंने काफ़ी पहले पहचाना था. यह भी पहचाना था कि इस भीड़ का इस्तेमाल कौन करता है.
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हमने घर बैठे-बैठे ही, सारा मंज़र देख लिया...
- Monday September 11, 2017
- राकेश कुमार मालवीय
पिछले दिनों ख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाईं की जन्मस्थली जमानी गांव में आयोजित संगोष्ठी में किसी ने कहा था कि परसाईं इस वक्त ऐसा लिख रहे होते, तो जेल में होते, संभवत: दुष्यंत को भी रोज़-ब-रोज़ ट्रोल कर दिया जाता.
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'इस देश के शिक्षकों को पांच सितंबर को सम्मान करवाने से इंकार कर देना चाहिए'
- Monday September 5, 2016
- Written by: कल्पना
हिंदी के मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई शिक्षकों से जुड़े अपने निबंध में लिखते हैं 'देश में 5 सितंबर को शिक्षकों को सम्मानित करने का फैशन चल पड़ा है. राष्ट्रपति शिक्षकों को सम्मानित करते हैं तो यह भी सोचते हैं कि यह कार्यक्रम अच्छा रहेगा. अखबारों में छपेगा. लोग जानेंगे कि हम गुरु की महिमा जानते हैं और उसका सम्मान भी करते हैं'
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Harishankar Parsai ki Kavita: हरिशंकर परसाई का लेखन व्यंग्य को एक साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ.
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हरिशंकर परसाई खुशकिस्मत थे कि 1995 में ही चले गए. अगर आज होते तो या तो मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए होते या फिर जेल में सड़ रहे होते या फिर देशद्रोह के आरोप में मुक़दमा झेल रहे होते. आवारा भीड़ के ख़तरों को उन्होंने काफ़ी पहले पहचाना था. यह भी पहचाना था कि इस भीड़ का इस्तेमाल कौन करता है.
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- Monday September 11, 2017
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पिछले दिनों ख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाईं की जन्मस्थली जमानी गांव में आयोजित संगोष्ठी में किसी ने कहा था कि परसाईं इस वक्त ऐसा लिख रहे होते, तो जेल में होते, संभवत: दुष्यंत को भी रोज़-ब-रोज़ ट्रोल कर दिया जाता.
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