Chief Justice Js Khehar
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स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर
- Tuesday August 15, 2017
CJI खेहर ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति दलित हैं जो गरीबी में रहे हैं. उप राष्ट्रपति जो पहले पोस्टर लगाते थे और प्रधानमंत्री जो चाय बेचते थे. ये ही आजादी होती है जब आप इसके चलते हर चीज को पा सकते हैं. हर कोई आज एक साथ है.
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आरबीआई की फोटो खींचने से रोके जाने पर न्यायालय पहुंचे व्यक्ति पर लगाया गया 50,000 का जुर्माना
- Saturday July 8, 2017
- Bhasha
एक व्यक्ति ने भारतीय रिजर्व बैंक के खिलाफ शिकायत करने के लिए केवल इसलिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया क्योंकि बैंक के रखवालों ने उसे बैंक की तस्वीरें खींचने से रोक दिया था.
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जस्टिस कर्णन ने CJI खेहर समेत 7 अन्य जजों को सुनाई पांच साल कैद की सजा
- Monday May 8, 2017
- Bhasha
न्यायिक अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस सी एस कर्णन ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और उच्चतम न्यायालय के सात अन्य न्यायाधीशों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. उच्चतम न्यायालय से टकराव को बढ़ाते हुए जस्टिस कर्णन ने कहा कि आठ न्यायाधीशों ने "संयुक्त रूप से 1989 के अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम और 2015 के संशोधित कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है."
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स्वतंत्रता को उस स्तर तक ले जाना है जहां हर कोई खुश रहे: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर
- Tuesday August 15, 2017
CJI खेहर ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति दलित हैं जो गरीबी में रहे हैं. उप राष्ट्रपति जो पहले पोस्टर लगाते थे और प्रधानमंत्री जो चाय बेचते थे. ये ही आजादी होती है जब आप इसके चलते हर चीज को पा सकते हैं. हर कोई आज एक साथ है.
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एक व्यक्ति ने भारतीय रिजर्व बैंक के खिलाफ शिकायत करने के लिए केवल इसलिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया क्योंकि बैंक के रखवालों ने उसे बैंक की तस्वीरें खींचने से रोक दिया था.
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जस्टिस कर्णन ने CJI खेहर समेत 7 अन्य जजों को सुनाई पांच साल कैद की सजा
- Monday May 8, 2017
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न्यायिक अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस सी एस कर्णन ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और उच्चतम न्यायालय के सात अन्य न्यायाधीशों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. उच्चतम न्यायालय से टकराव को बढ़ाते हुए जस्टिस कर्णन ने कहा कि आठ न्यायाधीशों ने "संयुक्त रूप से 1989 के अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम और 2015 के संशोधित कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है."
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