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अदालत के पास शक्ति नहीं... सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
- Monday September 1, 2025
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: पीयूष जयजान
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह विषय विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. अदालत ने याचिकाकर्ता को संसद का रुख करने की सलाह दी.
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नए आपराधिक कानून के तहत देशभर में अलग-अलग राज्यों में कब-कब दर्ज हुई पहली FIR, देखें लिस्ट
- Tuesday July 2, 2024
- Edited by: मेघा शर्मा
पहले आईपीएस, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट होते थे लेकिन अब इन धाराओं को खत्म कर दिया है और इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली है.
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नए कानून लागू होने के बाद घर बैठे FIR कैसे लिखवाएं, यहां जानें पूरा प्रोसेस
- Monday July 1, 2024
- Edited by: स्वेता गुप्ता
Three Criminal Law: अगर आप किसी अपराध का शिकार हो जाते हैं, तो पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है.घर बैठे ही किस तरह से FIR दर्ज करवाई जा सकती है, जानें.
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लागू होने से पहले ही नए आपराधिक कानून के एक प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
- Friday May 3, 2024
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
लागू होने से पहले ही नए आपराधिक कानून के एक प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम के लिए केंद्र भारतीय न्याय संहिता में बदलाव पर विचार करे. केंद्र झूठी शिकायतें दर्ज करने को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 और 86 में आवश्यक बदलाव करने पर विचार करे.
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अदालत के पास शक्ति नहीं... सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह विषय विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. अदालत ने याचिकाकर्ता को संसद का रुख करने की सलाह दी.
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पहले आईपीएस, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट होते थे लेकिन अब इन धाराओं को खत्म कर दिया है और इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली है.
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- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
लागू होने से पहले ही नए आपराधिक कानून के एक प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम के लिए केंद्र भारतीय न्याय संहिता में बदलाव पर विचार करे. केंद्र झूठी शिकायतें दर्ज करने को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 और 86 में आवश्यक बदलाव करने पर विचार करे.
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