लंदन:
क्या आपको पता है कि पहली सेल्फी स्टिक का आविष्कार कब हुआ? भले ही यह पिछले कुछ सालों से ही चलन में है, लेकिन हिरोशी यूएदा ने 1980 में ही इसका आविष्कार कर लिया था। बीबीसी के अनुसार, यूएदा ने उस समय कैमरा निर्माता कंपनी मिनोल्टा के लिए काम करते हुए सेल्फी स्टिक को विकसित किया। यूएदा खुद फोटोग्राफी के शौकीन हैं।
बीबीसी की वेबसाइट पर प्रसारित रिपोर्ट में यूएदा के हवाले से कहा गया है, "एक बार जब मैं पेरिस के लोउवरे संग्रहालय मे था तो मैंने एक बच्चे से हमारी तस्वीर खींचने के लिए कहा था। लेकिन उसे कैमरा थमाकर जैसे ही मैं पीछे आया वह मेरा कैमरा लेकर भाग चुका था।"
यूएदा ने इसके बाद बढ़ाई जा सकने योग्य एक स्टिक का निर्माण किया, जिसमें आगे की ओर ट्राई पॉड स्क्रू फिट किया। यूएदा ने यह एक्सटेंडर स्टिक नए छोटे कैमरों के लिए इजाद की थी। यूएदा ने कैमरे के आगे एक छोटा आइना लगाया, जिससे फोटो खींचने वाले को पता लग सके कि वह कैसी तस्वीर खींच रहा है।
इस एक्सटेंडर स्टिक का 1983 में पेटेंट करवाया गया, लेकिन इस खोज को व्यापारिक सफलता नहीं मिल सकी, क्योंकि उस समय इसे अनावश्यक खोज माना गया। तीन दशक बाद आज वही सेल्फी स्टिक इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि उसे संग्रहालयों, कला वीथिकाओं एवं सम्मेलनों में ले जाने पर रोक लगा दी गई है।
सेल्फी स्टिक को वर्तमान लोकप्रियता दिलाने का श्रेय हालांकि कनाडा के वेन फ्रॉम को दिया जा सकता है। वेन ने 21वीं शताब्दी के शुरुआत में क्विक पॉड नाम से बड़ा किए जा सकने योग्य एक हाथ में पकड़ी जाने वाली स्टिक को विकसित किया। सबसे रोचक यह है कि वेन, यूएदा द्वारा खोजे गए एक्स्टेंडर स्टिक से नावाकिफ थे।
वेन ने अपने पेटेंट में यूएदा की एक्सटेंडर स्टिक का 'पूर्व प्रचलित कला' के रूप में जिक्र किया है, लेकिन उनका मानना है कि सेल्फी स्टिक को मिली मौजूदा लोकप्रियता उनके द्वारा विकसित किए गए मॉडल के कारण है। वेन का कहना है, "यह मेरी खोज का नतीजा है, और मैं इसका लिखित प्रमाण दे सकता हूं।" वेन द्वारा विकसित सेल्फी स्टिक को खूब खरीदा गया, लेकिन उसी डिजाइन से सस्ते स्टिक बनाकर दूसरी कंपनियां भी खूब कमाई करने लगी हैं।
बीबीसी की वेबसाइट पर प्रसारित रिपोर्ट में यूएदा के हवाले से कहा गया है, "एक बार जब मैं पेरिस के लोउवरे संग्रहालय मे था तो मैंने एक बच्चे से हमारी तस्वीर खींचने के लिए कहा था। लेकिन उसे कैमरा थमाकर जैसे ही मैं पीछे आया वह मेरा कैमरा लेकर भाग चुका था।"
यूएदा ने इसके बाद बढ़ाई जा सकने योग्य एक स्टिक का निर्माण किया, जिसमें आगे की ओर ट्राई पॉड स्क्रू फिट किया। यूएदा ने यह एक्सटेंडर स्टिक नए छोटे कैमरों के लिए इजाद की थी। यूएदा ने कैमरे के आगे एक छोटा आइना लगाया, जिससे फोटो खींचने वाले को पता लग सके कि वह कैसी तस्वीर खींच रहा है।
इस एक्सटेंडर स्टिक का 1983 में पेटेंट करवाया गया, लेकिन इस खोज को व्यापारिक सफलता नहीं मिल सकी, क्योंकि उस समय इसे अनावश्यक खोज माना गया। तीन दशक बाद आज वही सेल्फी स्टिक इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि उसे संग्रहालयों, कला वीथिकाओं एवं सम्मेलनों में ले जाने पर रोक लगा दी गई है।
सेल्फी स्टिक को वर्तमान लोकप्रियता दिलाने का श्रेय हालांकि कनाडा के वेन फ्रॉम को दिया जा सकता है। वेन ने 21वीं शताब्दी के शुरुआत में क्विक पॉड नाम से बड़ा किए जा सकने योग्य एक हाथ में पकड़ी जाने वाली स्टिक को विकसित किया। सबसे रोचक यह है कि वेन, यूएदा द्वारा खोजे गए एक्स्टेंडर स्टिक से नावाकिफ थे।
वेन ने अपने पेटेंट में यूएदा की एक्सटेंडर स्टिक का 'पूर्व प्रचलित कला' के रूप में जिक्र किया है, लेकिन उनका मानना है कि सेल्फी स्टिक को मिली मौजूदा लोकप्रियता उनके द्वारा विकसित किए गए मॉडल के कारण है। वेन का कहना है, "यह मेरी खोज का नतीजा है, और मैं इसका लिखित प्रमाण दे सकता हूं।" वेन द्वारा विकसित सेल्फी स्टिक को खूब खरीदा गया, लेकिन उसी डिजाइन से सस्ते स्टिक बनाकर दूसरी कंपनियां भी खूब कमाई करने लगी हैं।
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