'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह (Milkha Singh) का निधन हो गया है. मिल्खा सिंह (Flying Sikh Milkha Singh) भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. हालांकि अस्पताल में उनकी हालत स्थिर हुई थी लेकिन ठीक होने के 4 दिन बाद फिर से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई और आखिर में महान धावक हमारे बीच नहीं हैं. इससे पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था. पद्मश्री मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे।उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं. भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट मिल्खा सिंह 91 साल के थे. 50 और 60 के दशक के दौरान मिल्खा सिंह ने धावक के रूप में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए थे. एशियाई खेलों में चार गोल्ड मेडल और 1960 रोम ओलंपिक में 400 मीटर के फाइनल में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गए थे. 1960 के रोम ओलिंपिक्स में मिल्खा सिंह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे.
मिल्खा सिंह का निधन, पीएम मोदी-शाहरुख खान सहित कई हस्तियों ने 'फ्लाइंग सिख' को नम आंखों से किया याद
मिल्खा सिंह का उनके करियर का यह सबसे बेहतरीन क्षण वह था. वहीं, 1958 के कार्डिफ़ कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस करते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था. साल 1959 में मिल्खा सिंह को पद्मश्री से नवाजा गया था. बता दें कि महान धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म मेकर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' बनाई थी जो सुपरहिट रही थी.
Rest in Peace our very own ‘Flying Sikh' Milkha Singh ji.
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) June 19, 2021
Your demise has left a deep void in every Indian's heart today, but you shall keep inspiring several generations to come. pic.twitter.com/ImljefeUEN
ऐसे पड़ा 'फ्लाइंग सिख' नाम
बता दें कि एक बार प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के कहने पर साल 1960 में वे दोस्ताना दौड़ प्रतियोगिता खेलने के लिए पाकिस्तान गए जहां उन्होंने ऐसी दौड़ लगाई कि पाकिस्तान के रेसर अब्दुल खालिक को पछाड़ काफी कम समय में पछाड़ देते हैं.. पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने मिल्खा सिंह जी के दौड़ को देखकर चकित और हैरान रह जाते हैं, जनरल अयूब खान ही सबसे पहले उन्हें “ द फ्लाइंग सिख “ के नाम से संबोधित करते हैं. मिल्खा सिंह ने अपने जीवन पर एक किताब “द रेस ऑफ माय लाईफ” अपनी पूत्री के साथ मिलकर लिखी है. मिल्खा सिंह जी के निधन से एक गौरवशाली युग का भी अंत हो गया है. सिंह जी ने अपने सभी पदक को दान कर दिए थे और अब पटियाला में खेल संग्रहालय का हिस्सा हैं. भारत के पहले राष्ट्रमंडल स्वर्ण के विजेता मिल्खा ने साल 2001 में सरकार के अर्जुन पुरस्कार को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि "इसको हुए 40 साल हो गए हैं बहुत देर हो चुकी है.'
— Farhan Akhtar (@FarOutAkhtar) June 19, 2021
1960 के रोम ओलंपिक और टोक्यो में आयोजित 1964 के ओलंपिक में मिल्खा सिंह जी ने अपने शानदार प्रदर्शन के साथ दशकों तक भारत के सबसे महान ओलंपियन बने रहे. 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में भी गोल्ड मेडल हासिल कर उन्होंने इतिहास लिखा था. अब महान मिल्खा सिंह जी हमारे बीच नहीं रहे तो खेल की दुनिया के सभी दिग्गज ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.
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