नई दिल्ली:
विश्व फुटबॉल को 6 बड़े संघों में बांटा गया है और तमाम 209 देश किसी ने किसी संघ में शामिल हैं। एक नज़र इन छह संघों पर और कौन किसे वोट दे सकता है।
CAF (अफ़्रीकी देश, 54 वोट) अफ़्रीकी देशों के इस खेमे के पास सबसे ज़्यादा 54 वोट हैं और ये हमेशा से सेप ब्लेटर के पक्ष में रहे हैं। ब्लेटर के रहते ही द.अफ्रीका में 2010 का फ़ुटबॉल विश्व कप हुआ था। यहां के देशों को लगता है कि अगर कोई और अध्यक्ष बना तो फिर से यूरोपिय देशों के लिए ही फीफा काम करेगा।
AFC (एशिया, 46 वोट) - एशिया फुटबॉल संघ हमेशा से ब्लेटर का वफ़ादार रहा है और इस बार भी ज़्यादातर एशियाई वोट ब्लेटर के ही पक्ष में जाने की उम्मीद है, हालांकि इस बार ब्लेटर के विरोधी प्रिंस अली जॉर्डन देश के हैं, जो कि इस संघ का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें अपने ही संघ से ज़्यादा वोट की उम्मीद नहीं।
CONCACAF (उत्तरी और मध्य अमेरिका, कैरिबाई द्वीप - 35 वोट)- इस संघ के बारे में कभी कोई नहीं कह सकता कि कौन कहां वोट करेगा। अमेरिका, कनाडा और कोस्टा रीका जैसे विकसित देश ब्लेटर के खिलाफ़ हैं तो कैरेबियाई देश पूरी तरह से ब्लेटर के साथ हैं।
CONMEBOL (द.अमेरिका, 10 वोट) - शुरुआत में इस खेमे ने ब्लेटर के खिलाफ़ वोट डालने का मन बनाया था, लेकिन ज़्यूरिख में हुई गिरफ़्तारियों में ब्राज़ील और उरुग्वे के अधिकारियों के पकड़े जाने से समीकरण बदल सकते हैं। वैसे भी सिर्फ़ 10 वोट होने की वजह से इस संघ को ज़्यादा शक्तिशाली नहीं माना जाता।
OFC (ओशियाना, 11 वोट) - यहां कि हालत कुछ भी हो, खास फर्क नहीं पड़ता इसीलिए शायद ऑस्ट्रेलिया जैसा देश इस संघ को छोड़ कर एशिया संघ में शामिल हो चुका है पर इस खेमे को ब्लेटर के खिलाफ़ और प्रिंस अली के पक्ष में माना जाता है।
UEFA (यूरोप, 53 votes) - दुनिया के सबसे अमीर और ज़्यादा फैन फॉलोइंग वाले इस संघ में यूरोप के तमाम विकसित देश हैं। पहले इस संघ ने चुनावों का बहिष्कार करने का मन बनाया था, लेकिन अब ये पूरा खेमा ब्लेटर के खिलाफ़ हो गया है। एक वक्त था जब हर दूसरा विश्व-कप यूरोप के किसी देश में होता है, लेकिन ब्लेटर के राज्य में South Africa (2010), Brazil (2014), Russia (2018), and Qatar (2022) को विश्व कप के आयोजन के मौके मिले और यूरोप को ये बात खटक रही है।
आंकड़े साफ बताते हैं कि ब्लेटर की जीत निश्चित हैं, क्योंकि अफ्रीका और एशिया जैसे संघ पहले ही ब्लेटर के पक्ष में वोट डालने की बात कह चुके हैं।
CAF (अफ़्रीकी देश, 54 वोट) अफ़्रीकी देशों के इस खेमे के पास सबसे ज़्यादा 54 वोट हैं और ये हमेशा से सेप ब्लेटर के पक्ष में रहे हैं। ब्लेटर के रहते ही द.अफ्रीका में 2010 का फ़ुटबॉल विश्व कप हुआ था। यहां के देशों को लगता है कि अगर कोई और अध्यक्ष बना तो फिर से यूरोपिय देशों के लिए ही फीफा काम करेगा।
AFC (एशिया, 46 वोट) - एशिया फुटबॉल संघ हमेशा से ब्लेटर का वफ़ादार रहा है और इस बार भी ज़्यादातर एशियाई वोट ब्लेटर के ही पक्ष में जाने की उम्मीद है, हालांकि इस बार ब्लेटर के विरोधी प्रिंस अली जॉर्डन देश के हैं, जो कि इस संघ का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें अपने ही संघ से ज़्यादा वोट की उम्मीद नहीं।
CONCACAF (उत्तरी और मध्य अमेरिका, कैरिबाई द्वीप - 35 वोट)- इस संघ के बारे में कभी कोई नहीं कह सकता कि कौन कहां वोट करेगा। अमेरिका, कनाडा और कोस्टा रीका जैसे विकसित देश ब्लेटर के खिलाफ़ हैं तो कैरेबियाई देश पूरी तरह से ब्लेटर के साथ हैं।
CONMEBOL (द.अमेरिका, 10 वोट) - शुरुआत में इस खेमे ने ब्लेटर के खिलाफ़ वोट डालने का मन बनाया था, लेकिन ज़्यूरिख में हुई गिरफ़्तारियों में ब्राज़ील और उरुग्वे के अधिकारियों के पकड़े जाने से समीकरण बदल सकते हैं। वैसे भी सिर्फ़ 10 वोट होने की वजह से इस संघ को ज़्यादा शक्तिशाली नहीं माना जाता।
OFC (ओशियाना, 11 वोट) - यहां कि हालत कुछ भी हो, खास फर्क नहीं पड़ता इसीलिए शायद ऑस्ट्रेलिया जैसा देश इस संघ को छोड़ कर एशिया संघ में शामिल हो चुका है पर इस खेमे को ब्लेटर के खिलाफ़ और प्रिंस अली के पक्ष में माना जाता है।
UEFA (यूरोप, 53 votes) - दुनिया के सबसे अमीर और ज़्यादा फैन फॉलोइंग वाले इस संघ में यूरोप के तमाम विकसित देश हैं। पहले इस संघ ने चुनावों का बहिष्कार करने का मन बनाया था, लेकिन अब ये पूरा खेमा ब्लेटर के खिलाफ़ हो गया है। एक वक्त था जब हर दूसरा विश्व-कप यूरोप के किसी देश में होता है, लेकिन ब्लेटर के राज्य में South Africa (2010), Brazil (2014), Russia (2018), and Qatar (2022) को विश्व कप के आयोजन के मौके मिले और यूरोप को ये बात खटक रही है।
आंकड़े साफ बताते हैं कि ब्लेटर की जीत निश्चित हैं, क्योंकि अफ्रीका और एशिया जैसे संघ पहले ही ब्लेटर के पक्ष में वोट डालने की बात कह चुके हैं।
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