भारतीय मूल के विश्व के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक 101-वर्षीय फौजा सिंह ने प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताओं से संन्यास ले लिया। 'टर्बन्ड टोरनैडो' उपनाम से चर्चित फौजा सिंह ने एक घंटा 32 मिनट और 28 सेकंड में हांगकांग मैराथन की 10 किलोमीटर लंबी दौड़ पूरी की।
                                            
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                                        भारतीय मूल के विश्व के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक 101-वर्षीय फौजा सिंह ने प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताओं से संन्यास ले लिया। सिंह रविवार को अपनी अंतिम दौड़ पूरी करने के बाद बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं।
'टर्बन्ड टोरनैडो' उपनाम से चर्चित सिंह ने एक घंटा 32 मिनट और 28 सेकंड में हांगकांग मैराथन की 10 किलोमीटर लंबी दौड़ पूरी की। हालांकि वह अपने निजी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने के लक्ष्य को पाने में नाकाम रहे।
केवल पंजाबी बोलने वाले फौजा सिंह ने कहा, मैं बहुत खुश हूं। जब मैं दौड़ रहा था, मैंने बहुत अच्छा महसूस किया, लेकिन अब मैं रुक गया हूं, मैं थक गया हूं। भारत में जन्मे ब्रिटिश नागरिक फौजा सिंह 1 अप्रैल को 102 साल के हो जाएंगे। वह 2011 में टोरंटो में पूर्ण मैराथन में दौड़कर इसमें भाग लेने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बने थे। हालांकि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा उनके रिकॉर्ड को मान्यता नहीं मिली, क्योंकि उनके पास उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र नहीं है।
इंग्लैंड में बसने से पहले पंजाब में किसान रहे सिंह ने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क में 26 मील की नौ मैराथन में भाग लिया है। उन्होंने टोरंटो में सर्वश्रेष्ठ समय पांच घंटा, 40 मिनट और चार सेकंड हासिल किया था। फौजा सिंह ने कहा कि वह किसी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं। लंदन 2012 ओलिंपिक की मशाल थाम चुके फौजा सिंह को जीवन में एकमात्र पछतावा यह है कि वह अंग्रेजी बोल और पढ़ नहीं सकते।
उन्होंने रविवार को दौड़ से पहले कहा, मैं इस दिन को याद रखूंगा और इसकी कमी महसूस करूंगा, लेकिन मैं चैरिटी के लिए दौड़ना बंद नहीं करूंगा।
                                                                        
                                    
                                'टर्बन्ड टोरनैडो' उपनाम से चर्चित सिंह ने एक घंटा 32 मिनट और 28 सेकंड में हांगकांग मैराथन की 10 किलोमीटर लंबी दौड़ पूरी की। हालांकि वह अपने निजी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने के लक्ष्य को पाने में नाकाम रहे।
केवल पंजाबी बोलने वाले फौजा सिंह ने कहा, मैं बहुत खुश हूं। जब मैं दौड़ रहा था, मैंने बहुत अच्छा महसूस किया, लेकिन अब मैं रुक गया हूं, मैं थक गया हूं। भारत में जन्मे ब्रिटिश नागरिक फौजा सिंह 1 अप्रैल को 102 साल के हो जाएंगे। वह 2011 में टोरंटो में पूर्ण मैराथन में दौड़कर इसमें भाग लेने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बने थे। हालांकि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा उनके रिकॉर्ड को मान्यता नहीं मिली, क्योंकि उनके पास उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र नहीं है।
इंग्लैंड में बसने से पहले पंजाब में किसान रहे सिंह ने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क में 26 मील की नौ मैराथन में भाग लिया है। उन्होंने टोरंटो में सर्वश्रेष्ठ समय पांच घंटा, 40 मिनट और चार सेकंड हासिल किया था। फौजा सिंह ने कहा कि वह किसी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं। लंदन 2012 ओलिंपिक की मशाल थाम चुके फौजा सिंह को जीवन में एकमात्र पछतावा यह है कि वह अंग्रेजी बोल और पढ़ नहीं सकते।
उन्होंने रविवार को दौड़ से पहले कहा, मैं इस दिन को याद रखूंगा और इसकी कमी महसूस करूंगा, लेकिन मैं चैरिटी के लिए दौड़ना बंद नहीं करूंगा।
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