भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता विनायक सेन और बुलु इमाम को यहां गांधी फाउंडेशन ने अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार प्रदान किया है।
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लंदन:
भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता विनायक सेन और बुलु इमाम को यहां गांधी फाउंडेशन ने अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार प्रदान किया है। यह पुरस्कार उनके मानवतावादी कार्यों और उनके द्वारा अहिंसा का पालन किये जाने के कारण दिया गया है।
पुरस्कार समारोह हाउस आफ लार्डस के समिति कक्ष में हुआ। समारोह की अध्यक्षता लार्ड भिखु पारिख ने किया जो वेस्टमिनस्टर एवं हल विश्वविद्यालय में राजनीतिक दर्शनशास्त्र के एमेरिटस प्रोफेसर हैं।
डॉक्टर एवं कार्यकर्ता सेन पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया था लेकिन उन्हें उच्चतम न्यायालय ने जमानत प्रदान कर दी। उन्हें कल एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में व्याख्यान देना है। इस व्याख्यान का शीषर्क होगा ‘‘भारत में बोलने के लिए कारावास..डा. विनायक सेन के साथ।’’ समारोह में सेन के साथ उनकी सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी इलिना सेना भी थीं।
इस पुरस्कार की शुरुआत 1998 में सुरूर हूदा और डायना शूमाकर ने फाउंडेशन के अध्यक्ष लार्ड रिचर्ड एटनबरो के सहयोग से की थी। एटनबरो ने आस्कर विजेता फिल्म गांधी का निर्देशन किया था। यह पुरस्कार ऐसे लोगों और समूहों को दिया जाता है जिन्होंने गांधीवादी अहिंसा की वकालत की और उसे आगे बढ़ाया लेकिन जिनकी उपयुक्त पहचान नहीं हो पायी।
फाउंडेशन के संरक्षकों में लार्ड नवनीत ढोलकिया और पत्रकार मार्क टली शामिल हैं। गांधी फाउंडेशन ने सेना को एक ‘‘बंगाली बाल रोग विशेषज्ञ, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ तथा कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फार लिबर्टीज का उपाध्यक्ष बताया है।’’ उसने कहा, ‘‘उन्होंने शुरूआत में बाल रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम किया और छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों के गरीब लोगों का उपचार किया।’’
उसने कहा, ‘‘राज्य सरकार के साथ स्वास्थ्य सुधारों पर काम करते हुए उन्होंने नक्सल विरोधी अभियानों में मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की और इसके बजाय अहिंसक राजनीतिक संवाद कायम करने की वकालत की थी।’’ झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता बुलु इमाम इनटेक की हजारीबाग इकाई के 1987 से संयोजक रहे हैं और विभिन्न अभियानों में शामिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार पूर्व में जिन शख्सियतों को दिया गया है उनमें अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी (2006) शामिल हैं।
पुरस्कार समारोह हाउस आफ लार्डस के समिति कक्ष में हुआ। समारोह की अध्यक्षता लार्ड भिखु पारिख ने किया जो वेस्टमिनस्टर एवं हल विश्वविद्यालय में राजनीतिक दर्शनशास्त्र के एमेरिटस प्रोफेसर हैं।
डॉक्टर एवं कार्यकर्ता सेन पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया था लेकिन उन्हें उच्चतम न्यायालय ने जमानत प्रदान कर दी। उन्हें कल एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में व्याख्यान देना है। इस व्याख्यान का शीषर्क होगा ‘‘भारत में बोलने के लिए कारावास..डा. विनायक सेन के साथ।’’ समारोह में सेन के साथ उनकी सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी इलिना सेना भी थीं।
इस पुरस्कार की शुरुआत 1998 में सुरूर हूदा और डायना शूमाकर ने फाउंडेशन के अध्यक्ष लार्ड रिचर्ड एटनबरो के सहयोग से की थी। एटनबरो ने आस्कर विजेता फिल्म गांधी का निर्देशन किया था। यह पुरस्कार ऐसे लोगों और समूहों को दिया जाता है जिन्होंने गांधीवादी अहिंसा की वकालत की और उसे आगे बढ़ाया लेकिन जिनकी उपयुक्त पहचान नहीं हो पायी।
फाउंडेशन के संरक्षकों में लार्ड नवनीत ढोलकिया और पत्रकार मार्क टली शामिल हैं। गांधी फाउंडेशन ने सेना को एक ‘‘बंगाली बाल रोग विशेषज्ञ, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ तथा कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फार लिबर्टीज का उपाध्यक्ष बताया है।’’ उसने कहा, ‘‘उन्होंने शुरूआत में बाल रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम किया और छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों के गरीब लोगों का उपचार किया।’’
उसने कहा, ‘‘राज्य सरकार के साथ स्वास्थ्य सुधारों पर काम करते हुए उन्होंने नक्सल विरोधी अभियानों में मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की और इसके बजाय अहिंसक राजनीतिक संवाद कायम करने की वकालत की थी।’’ झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता बुलु इमाम इनटेक की हजारीबाग इकाई के 1987 से संयोजक रहे हैं और विभिन्न अभियानों में शामिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार पूर्व में जिन शख्सियतों को दिया गया है उनमें अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी (2006) शामिल हैं।
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