
पश्चिम बंगाल में जन्में जैमिनी राय ने दुनिया भर में भारतीय कला को एक अलग पहचान दिलाई.
नई दिल्ली:
गूगल डूडल के जरिए विश्व प्रसिद्ध चित्रकार जैमिनी राय की जयंती मना रहा है. पश्चिम बंगाल में जन्में इस चित्रकार ने दुनिया भर में भारतीय कला को एक अलग पहचान दिलाई. 20वीं शताब्दी के शुरू के दशकों में चित्रकारी की ब्रिटिश शैली में प्रशिक्षित जैमिनी राय एक प्रख्यात चित्रकार बने. करीब 60 साल तक जैमिन राय ने भारत सहित दुनिया भर में हुए बदला को दृश्य भाषा से प्रस्तुत किया. यही वजह है कि उन्हें आधुनिकतावादी महान कलाकारों में से माना जाता है. कला में उनके इसी योगदान को देखते हुए 1955 में भारत सरकार ने उन्हें पदम भूषण सम्मान से नवाजा.
जैमिनी राय की चित्रकारी में राष्ट्रवादी आंदोलन, साहित्य और कला की अमिट छाप दिखती है. बताया जाता है कि जैमिनी राय ने शिक्षा ग्रहण की अवधि जो कला शैली सीखी थी, उसे छोड़कर 1920 के बाद के कुछ वर्षों में उन्हें कला के ऐसे नये रूपों की तलाश थी, जो उनके दिल को छूते थे. इसके लिए उन्होंने विभिन्न प्रकार के स्रोतों जैसे पूर्व एशियाई लेखन शैली, पक्की मिट्टी से बने मंदिरों की कला वल्लरियों, लोक कलाओं की वस्तुओं और शिल्प परम्पराओं आदि से प्रेरणा ली.
1930 के दशक तक अपनी लोक शैली की चित्र कलाकृतियों के साथ-साथ जैमिनी राय पोर्ट्रेट भी बनाते रहे, जिसमें उनके ब्रुश का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नजर आता था. आश्चर्य की बात है कि उन्होंने यूरोप के महान कलाकारों के चित्रों को भी बहुत सुन्दर अनुकृतियां बनाईं.
1920 के बाद के वर्षों में राय ने ग्रामीण दृश्यों और लोगों की खुशियों को प्रकट करने वाले चित्र बनाए, जिनमें ग्रामीण वातावरण में उनके बचपन के लालन-पालन के भोले और स्वच्छंद जीवन की झलक थी. वे 1887 में वर्तमान पश्चिम बंगाल के बांकुरा जि़ले के बेलियातोर गांव में जन्मे थे, इसलिए यह एक प्रकार से उनके लिए स्वाभाविक प्रयास था. इसमें कोई शक नहीं कि इस काल के बाद उन्होंने अपनी जड़ों से नजदीकी को अभिव्यक्ति देने की कोशिश की. साल 1972 में इस विश्व प्रसिद्ध चित्रकार का देहांत हुआ था.
जैमिनी राय की चित्रकारी में राष्ट्रवादी आंदोलन, साहित्य और कला की अमिट छाप दिखती है. बताया जाता है कि जैमिनी राय ने शिक्षा ग्रहण की अवधि जो कला शैली सीखी थी, उसे छोड़कर 1920 के बाद के कुछ वर्षों में उन्हें कला के ऐसे नये रूपों की तलाश थी, जो उनके दिल को छूते थे. इसके लिए उन्होंने विभिन्न प्रकार के स्रोतों जैसे पूर्व एशियाई लेखन शैली, पक्की मिट्टी से बने मंदिरों की कला वल्लरियों, लोक कलाओं की वस्तुओं और शिल्प परम्पराओं आदि से प्रेरणा ली.

1930 के दशक तक अपनी लोक शैली की चित्र कलाकृतियों के साथ-साथ जैमिनी राय पोर्ट्रेट भी बनाते रहे, जिसमें उनके ब्रुश का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नजर आता था. आश्चर्य की बात है कि उन्होंने यूरोप के महान कलाकारों के चित्रों को भी बहुत सुन्दर अनुकृतियां बनाईं.
1920 के बाद के वर्षों में राय ने ग्रामीण दृश्यों और लोगों की खुशियों को प्रकट करने वाले चित्र बनाए, जिनमें ग्रामीण वातावरण में उनके बचपन के लालन-पालन के भोले और स्वच्छंद जीवन की झलक थी. वे 1887 में वर्तमान पश्चिम बंगाल के बांकुरा जि़ले के बेलियातोर गांव में जन्मे थे, इसलिए यह एक प्रकार से उनके लिए स्वाभाविक प्रयास था. इसमें कोई शक नहीं कि इस काल के बाद उन्होंने अपनी जड़ों से नजदीकी को अभिव्यक्ति देने की कोशिश की. साल 1972 में इस विश्व प्रसिद्ध चित्रकार का देहांत हुआ था.
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