विज्ञापन

Navratri Special: 3000 बम मारने के बाद भी नहीं टूटा मंदिर, पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने टेका मत्था, कहानी तनोट माता मंदिर की

तनोट माता को 'मनसा देवी' या 'रुमाल वाली देवी' के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि यहां रुमाल बांधने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

Navratri Special: 3000 बम मारने के बाद भी नहीं टूटा मंदिर, पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने टेका मत्था, कहानी तनोट माता मंदिर की
तनोट माता मंदिर: वो देवी जो सरहद के जवानों की करती है रक्षा, 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 3000 बमों को कर दिया था बेअसर

Rajasthan News: भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Temple) सिर्फ एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए एक अटूट विश्वास का प्रतीक है. यह मंदिर भारत-पाक युद्ध, 1965 और 1971, का मूक गवाह रहा है और यहां देवी के चमत्कारों की कई कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं.

हिंगलाज के आशीर्वाद से तनोट राय का जन्म

इतिहासकार ओम प्रकाश भाटिया बताते हैं कि तनोट माता का जन्म विक्रम संवत 808 में मामडिया चारण के घर हुआ था, जो निसंतान थे और उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता के दरबार में 7 पदयात्राएं की थीं. माता हिंगलाज के आशीर्वाद से ही तनोट राय का जन्म हुआ. बाद में तनोट के राजा भाटी तनुराव जी ने विक्रम संवत 888 में तनोट दुर्ग और मंदिर की स्थापना की. 

इस मंदिर के दर्शन से पहले, भक्त घंटियाली माता के दर्शन करते हैं, जिन्हें तनोट माता की छोटी बहन माना जाता है. मान्यता है कि घंटियाली माता के दर्शन के बिना तनोट माता भक्तों को स्वीकार नहीं करती हैं.
घंटियाली माता.

घंटियाली माता.
Photo Credit: NDTV Reporter

1965 का युद्ध और 3000 बमों का चमत्कार

Latest and Breaking News on NDTV

स्थानीय निवासियों के अनुसार, 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने तनोट पर कब्जा करने के लिए 3000 से ज्यादा बम दागे थे, लेकिन माता के चमत्कार से एक भी बम मंदिर परिसर में नहीं फटा. यहां तक कि मंदिर के अंदर गिरे 450 बम भी बिना फटे रह गए थे. इस घटना ने भारतीय सैनिकों के हौसले को और बढ़ा दिया, जबकि पाकिस्तानी सेना में खौफ पैदा हो गया.

पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने चढ़ाया था चांदी का छत्र

Latest and Breaking News on NDTV

इस चमत्कार से प्रभावित होकर, पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने भी भारत सरकार से मंदिर के दर्शन की अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलने के बाद उन्होंने मंदिर में चांदी का छत्र चढ़ाया, जो आज भी वहां मौजूद है.

रुमाल वाली देवी और बीएसएफ का संरक्षण

Latest and Breaking News on NDTV

तनोट माता को 'मनसा देवी' या 'रुमाल वाली देवी' के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि यहां रुमाल बांधने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मनोकामना पूरी होने पर उस रुमाल को खोलना पड़ता है.

बीएसएफ के पास देखरेख-सुरक्षा का जिम्मा

Latest and Breaking News on NDTV

इस मंदिर की सुरक्षा और देखरेख का जिम्मा 1965 के युद्ध के बाद से सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान उठाते हैं. बीएसएफ के जवान ही सुबह-शाम आरती करते हैं और पूरे मंदिर परिसर की साफ-सफाई व व्यवस्था संभालते हैं. यह मंदिर एक तरह से भारतीय सैनिकों और तनोट माता के बीच के अटूट रिश्ते का प्रतीक बन गया है.

तनोट माता से जुड़ी कुछ अनूठी कहानियां

स्थानीय लोगों का मानना है कि तनोट माता ने कई चमत्कार दिखाए हैं. एक कहानी के अनुसार, 1965 के युद्ध के दौरान माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सैनिकों को भ्रमित कर दिया था, जिससे वे अंधेरे में अपने ही सैनिकों पर गोलाबारी करने लगे थे, जिसके कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

इसके अलावा, स्थानीय निवासी सावल सिंह सोलंकी ने घंटियाली माता के एक चमत्कार के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने उनके परिवार के एकमात्र बचे हुए पुरुष को दुश्मनों से बदला लेने में सफलता दिलाई.

ये भी पढ़ें:- युवक के पेट से निकले एक एक करके 29 चम्मच और 19 टूथ ब्रश, देखकर डॉक्टर भी रह गए दंग

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com