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This Article is From Jun 11, 2019

खेलते-खेलते 150 फुट गहरी बोरवेल में जा गिरा 2 साल का बच्चा, 109 घंटे बाद निकाला गया, लेकिन हो गई मौत

पंजाब के संगरूर जिले में 150 फीट गहरे बोरवेल में फंसे 2 साल के बच्चे को मंगलवार की सुबह करीब 109 घंटे के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.

खेलते-खेलते 150 फुट गहरी बोरवेल में जा गिरा 2 साल का बच्चा, 109 घंटे बाद निकाला गया, लेकिन हो गई मौत
पंजाब के संगरूर में खेलते वक्त बोरवेल में जा गिरा बच्चा
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
खेलते वक्त बोरवेल में जा गिरा बच्चा
109 घंटे बाद बाहर निकाला
बोरवेल की 150 फीट गहरी थी खाई
पंजाब:

पंजाब के संगरूर जिले में 150 फीट गहरे बोरवेल में फंसे 2 साल के बच्चे को मंगलवार की सुबह करीब 109 घंटे के बाद बाहर निकाल लिया गया. हालांकि अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया. बता दें, संगरूर जिले के भगवानपुरा गांव में 2 साल का बच्चा फतेहवीर सिंह गुरुवार की शाम करीब 4 बजे अपने घर के पास खेलते वक्त बोरवेल में जा गिरा था. करीब 7 इंच की चौड़ाई वाला बोरवेल एक कपड़े से ढका हुआ हुआ था, बच्चा खेलते-खेलते अचानक इस गड्ढे में जा गिरा. फतेहवीर को चिकित्सीय सुविधा प्रदान करने के लिए डॉक्टरों की एक टीम मौके पर ही मौजूद थी. वेंटिलेटर की सुविधा से युक्त एक एंबुलेंस भी वहां मौजूद थी.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शुरुआत में बच्चे की मां ने उसे बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रही. कथित तौर पर मिली जानकारी के अनुसार बोरवेल कपड़े से ढका हुआ था इसलिए बच्चा दुर्घटनावश उसमें गिर गया. इसके बाद बच्चे को बाहर निकालने के लिए व्यापक स्तर पर एक बचाव अभियान चलाया गया. अधिकारी बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाने में तो सफल रहे लेकिन वे उस तक खाना-पीना नहीं पहुंचा पाए थे. बच्चे को बचाने के लिए बोरवेल के समांतर एक दूसरा बोरवेल खोदा गया था और उसमें कंक्रीट के बने 36 इंच व्यास के पाइप डाले गए थे.

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फतेहवीर को मंगलवार की सुबह करीब साढ़े पांच बजे नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम ने बाहर निकाला और फिर इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया. हालांकि बच्चे की जान नहीं बच पाई. फतेहवीर अपने माता-पिता का इकलौता बच्चा था.

वहीं, सोमवार शाम बच्चे के बचाव को लेकर स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार का विरोध किया. हालांकि पंजाब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया कि वह एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और बाहरी विशेषज्ञों द्वारा लगातार बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे थे.

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