दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में आप का फ़ोकस आम आदमी पर ही है.
पटियाला:
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में तीसरी ताक़त बनकर उभरी है. कांग्रेस और अकाली-बीजेपी गठबंधन को टक्कर देने के लिए पार्टी ने दिल्ली का कामयाब फॉर्मूला यहां भी अपनाया है. उसके उम्मीदवारों में साइकिल पंक्चर बनाने वाले का बेटा भी है. लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीत कर पंजाब की सियासत में धमाकेदार एंट्री करने वाली आप कारोबार से लेकर किसानों के हक़ की बात कर रही है. दिल्ली की तर्ज पर यहां भी फ़ोकस आम आदमी पर ही है.
पांच दिन के पंजाब दौरे में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी सभाओं में मतदाताओं के साथ भावनात्मक तार जोड़ने की कोशिश में हैं. वो कहते हैं,''हम तो बहुत छोटे लोग हैं. पूरा पंजाब इकट्ठा हो रहा है. कुछ क़ुदरती करिश्मा हो रहा है. हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं है. हमारे पास बड़ी रैली के पैसे नहीं है फिर भी लोग आ रहे हैं.''
नाभा सुरक्षित सीट से आप उम्मीदवार देव मान ने कनाडा में रेडियो जॉकी की नौकरी छोड़ माइक की जगह केजरीवाल की झाड़ू थाम लिया है. पिता पिछले चालीस साल से साइकिल पंक्चर की दुकान चला रहे हैं. देव कहते हैं कि पुरानी साइकिल की तरह पंजाब को भी दुरुस्त करना है. देव मान कहते हैं,''जैसे साइकल पंक्चर हो जाती है वैसे ही पंजाब की सियासत भी पंक्चर हो गई है. लोगों से सिर्फ़ वादे किए गए है किया कुछ भी नहीं गया. मुझे उम्मीद है कि केजरीवाल के साथ मिलकर हम पंजाब की सियासत को दुरुस्त कर देंगे.''
यूं तो सियासी पार्टियों ने बुज़ुर्गों के लिए ढाई हज़ार रुपये पेंशन, मुफ़्त तीर्थ दर्शन यात्रा जैसे कई वादे किए हैं लेकिन देव के पिता लाल सिंह को युवाओं की चिंता ज़्यादा है. वो कहते हैं,''नशा ख़त्म होना चाहिए. नशा ख़त्म होगा तो बच्चे तगड़े होंगे. रोटी कमा सकेंगे और मुझे उम्मीद है कि आने वाली सरकार बच्चों को रोज़गार देगी.''
टिकट बंटवारें को लेकर आरोप झेलने वाली आम आदमी पार्टी की ये सोशल इंजीनियरिंग क्या पंजाब में दिल्ली जैसा गुल खिला पाएगी. ये उम्मीद काफ़ी कुछ देव मान जैसे उम्मीदवारों पर टिकी है.
पांच दिन के पंजाब दौरे में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी सभाओं में मतदाताओं के साथ भावनात्मक तार जोड़ने की कोशिश में हैं. वो कहते हैं,''हम तो बहुत छोटे लोग हैं. पूरा पंजाब इकट्ठा हो रहा है. कुछ क़ुदरती करिश्मा हो रहा है. हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं है. हमारे पास बड़ी रैली के पैसे नहीं है फिर भी लोग आ रहे हैं.''
नाभा सुरक्षित सीट से आप उम्मीदवार देव मान ने कनाडा में रेडियो जॉकी की नौकरी छोड़ माइक की जगह केजरीवाल की झाड़ू थाम लिया है. पिता पिछले चालीस साल से साइकिल पंक्चर की दुकान चला रहे हैं. देव कहते हैं कि पुरानी साइकिल की तरह पंजाब को भी दुरुस्त करना है. देव मान कहते हैं,''जैसे साइकल पंक्चर हो जाती है वैसे ही पंजाब की सियासत भी पंक्चर हो गई है. लोगों से सिर्फ़ वादे किए गए है किया कुछ भी नहीं गया. मुझे उम्मीद है कि केजरीवाल के साथ मिलकर हम पंजाब की सियासत को दुरुस्त कर देंगे.''
यूं तो सियासी पार्टियों ने बुज़ुर्गों के लिए ढाई हज़ार रुपये पेंशन, मुफ़्त तीर्थ दर्शन यात्रा जैसे कई वादे किए हैं लेकिन देव के पिता लाल सिंह को युवाओं की चिंता ज़्यादा है. वो कहते हैं,''नशा ख़त्म होना चाहिए. नशा ख़त्म होगा तो बच्चे तगड़े होंगे. रोटी कमा सकेंगे और मुझे उम्मीद है कि आने वाली सरकार बच्चों को रोज़गार देगी.''
टिकट बंटवारें को लेकर आरोप झेलने वाली आम आदमी पार्टी की ये सोशल इंजीनियरिंग क्या पंजाब में दिल्ली जैसा गुल खिला पाएगी. ये उम्मीद काफ़ी कुछ देव मान जैसे उम्मीदवारों पर टिकी है.
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