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This Article is From Jan 17, 2017

टिकट बंटवारा : बीजेपी में उठापटक, पार्टी में नए आए लोगों को तरजीह

टिकट बंटवारा : बीजेपी में उठापटक, पार्टी में नए आए लोगों को तरजीह
बीजेपी में विधानसभा चुनाव के टिकटों के बंटवारे को लेकर उठापटक चल रही है.
नई दिल्ली: विधानसभा के चुनावी मुकाबले से पहले टिकटों के लिए घमासान जारी है. अन्य दलों के मुकाबले बीजेपी में टिकट के लिए जोरआजमाइश कुछ ज्यादा ही चल रही है और बीजेपी देख-परखकर सिर्फ जिताऊ प्रत्याशियों को तरजीह दे रही है. उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर टिकट की उम्मीद लगाए पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को निराशा का सामना करना पड़ा है.    

विधानसभा चुनाव के लिए इस बार टिकट बंटवारे में सबसे ज्यादा माथापच्ची भारतीय जनता पार्टी में हो रही है. बाकी पार्टियों के कार्यालयों की तुलना में अशोक रोड स्थित बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में सबसे ज्यादा भीड़ भी देखी जा रही है. सोमवार की शाम को उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हुई. इस लिस्ट में बीजेपी में दूसरी पार्टी से आए उम्मीदवारों का बोलबाला  रहा, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में. सहारनपुर की सात में से चार सीटों पर बाहर से आए उम्मीदवारों को टिकट मिला है. सहारनपुर की बेहट सीट से महावीर राणा को टिकट मिला है. वे बसपा छोड़कर बीजेपी में आए हैं. इसी तरह नुकुड़ क्षेत्र में धर्म सिंह सैनी बसपा से आकर बीजेपी के कैंडिडेट बन गए हैं.

सोमवार को सुबह ही समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी आए कुलदीप सेंगर को अवध की उन्नाव सीट से टिकट मिल गया. बीजेपी ने बुलंदशहर के शिकारपुर से अनिल शर्मा को उतरा है. अनिल भी बसपा छोड़कर आए हैं. जब अनिल ने बीजेपी ज्वाइन की थी तब स्थानीय बीजेपी इकाई ने उनका अच्छा खासा  विरोध किया था. कांग्रेस छोड़कर आए धीरेन्द्र सिंह को भी जेवर से बीजेपी ने टिकट दे दिया है. धीरेन्द्र सिंह वही व्यक्ति हैं, भट्टा परसौल के पूरे प्रकरण में जिनकी मोटर साइकिल पर राहुल गांधी बैठकर घूमते थे. धीरेन्द्र सिंह कांग्रेस के प्रवक्ता भी थे. बिजनौर की नगीना सीट से ओमवती को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. ओमवती बीजेपी में आने से पहले सपा, बसपा और कांग्रेस में भी रह चुकी हैं.

बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही है. पहली लिस्ट के बाद एक बात तो साफ है कि बाहरी उम्मीदवारों को बीजेपी कैडर का विरोध झेलना पड़ सकता है. वैसे भी अमित शाह कार्यकर्ताओं की बैठक में कहते रहे हैं कि बीजेपी में टिकाऊ नहीं बल्कि जिताऊ उम्मीदवार चाहिए. दो दशक से ज्यादा समय तक पार्टी की सेवा करने वाले कई नेताओं को टिकट नहीं मिला है. अक्सर ऐसे नेता कहते रहे हैं कि यह बीजेपी "अमित शाह" की बीजेपी है, यहां भावनाओं की जगह बिलकुल नहीं है और ना फरमानी की तो बिलकुल भी नहीं. अभी बीजेपी के अंदर बाकी नामों को लेकर काफी उठापटक चल रही है.

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