शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का फाइल फोटो...
मुंबई:
भाजपा पर एक और हमला करते हुए उसकी सहयोगी शिवसेना ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह देश में बेनामी संपत्ति का पर्दाफाश करने के नाम पर जनता की चड्ढी-बनियान न उतारें. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना के संपादकीय में लिखा है, 'नोटबंदी के बाद अब प्रधानमंत्री ने बेनामी संपत्तियों पर निशाना साधा है. यह एक अत्यंत सराहनीय कदम है.. लेकिन नोटबंदी की ही तरह बेनामी संपत्तियां निकालने की आड़ में गरीब और मध्यम वर्ग को नहीं कुचला जाना चाहिए."
उन्होंने कहा कि बहुत सारे राजनेताओं, व्यापारियों, प्रवासी भारतीयों और माफिया ने पहले से ही अपना कालाधन संपत्तियों में निवेश कर रखा है. लेकिन, विडंबना यह है कि नोटबंदी के बाद आम आदमी पर बेईमान होने का लेबल चस्पा कर दिया गया.
इस पर अफसोस जताते हुए उद्धव ठाकरे ने लिखा है, 'मोदी ने विदेश में बैंकों में रखी भारतीयों की अवैध कमाई को वापस लाने को वादा किया था. लेकिन सच्चाई है कि एक रुपया भी नहीं बरामद किया गया और न ही ऐसा धन रखने वालों को एक पैसे का भी नुकसान हुआ. आम जनता ने नोटबंदी की चोट को सहा और अब भी जनता कष्ट झेल रही है."
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जनता की तकलीफ बढ़ गई है, लेकिन काला धन रखने वाला एक भी आदमी या उद्योगपति जेल में नहीं डाला गया.
पाकिस्तान पर सितंबर में हुए सर्जिकल स्ट्राइक से तुलना करते हुए ठाकरे ने कहा कि पड़ोसी (पाकिस्तान) आतंक का खेल जारी रखे हुए है और इसके परिणाम स्वरूप अब तक 50 से अधिक सैनिक शहीद हो चुके हैं.
ठाकरे ने लिखा, "सर्जिकल स्ट्राइक को सरकार के लिए बड़ी जीत के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन वे (सरकार) हमारे सैनिकों का बचाव करने में नाकाम रहे. अब एक सवाल है: वास्तव में बेईमान कौन है?"
ठाकरे की पार्टी केंद्र और महाराष्ट्र की सरकार में भाजपा की सहयोगी है.
कश्मीरी पंडितों की दयनीय दशा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बेनामी संपत्तियों पर हमला करने से पहले सरकार को विस्थापित कश्मीरियों को उनकी वैध संपत्तियां वापस दिलाने में मदद करने के लिए कदम उठाना चाहिए.
उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन विस्थापित कश्मीरियों के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करेगी? हम उम्मीद करते हैं कि कश्मीरी पंडितों को उनकी वैध संपत्तियों को वापस दिलाने में कोई चालबाजी नहीं होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि बहुत सारे राजनेताओं, व्यापारियों, प्रवासी भारतीयों और माफिया ने पहले से ही अपना कालाधन संपत्तियों में निवेश कर रखा है. लेकिन, विडंबना यह है कि नोटबंदी के बाद आम आदमी पर बेईमान होने का लेबल चस्पा कर दिया गया.
इस पर अफसोस जताते हुए उद्धव ठाकरे ने लिखा है, 'मोदी ने विदेश में बैंकों में रखी भारतीयों की अवैध कमाई को वापस लाने को वादा किया था. लेकिन सच्चाई है कि एक रुपया भी नहीं बरामद किया गया और न ही ऐसा धन रखने वालों को एक पैसे का भी नुकसान हुआ. आम जनता ने नोटबंदी की चोट को सहा और अब भी जनता कष्ट झेल रही है."
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जनता की तकलीफ बढ़ गई है, लेकिन काला धन रखने वाला एक भी आदमी या उद्योगपति जेल में नहीं डाला गया.
पाकिस्तान पर सितंबर में हुए सर्जिकल स्ट्राइक से तुलना करते हुए ठाकरे ने कहा कि पड़ोसी (पाकिस्तान) आतंक का खेल जारी रखे हुए है और इसके परिणाम स्वरूप अब तक 50 से अधिक सैनिक शहीद हो चुके हैं.
ठाकरे ने लिखा, "सर्जिकल स्ट्राइक को सरकार के लिए बड़ी जीत के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन वे (सरकार) हमारे सैनिकों का बचाव करने में नाकाम रहे. अब एक सवाल है: वास्तव में बेईमान कौन है?"
ठाकरे की पार्टी केंद्र और महाराष्ट्र की सरकार में भाजपा की सहयोगी है.
कश्मीरी पंडितों की दयनीय दशा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बेनामी संपत्तियों पर हमला करने से पहले सरकार को विस्थापित कश्मीरियों को उनकी वैध संपत्तियां वापस दिलाने में मदद करने के लिए कदम उठाना चाहिए.
उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन विस्थापित कश्मीरियों के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करेगी? हम उम्मीद करते हैं कि कश्मीरी पंडितों को उनकी वैध संपत्तियों को वापस दिलाने में कोई चालबाजी नहीं होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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