नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का चरण जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, राजनीतिक दलों के बीच जोर-आजमाइश भी बढ़ती जा रही है. उप्र के प्रतापगढ़ जिले की सात विधानसभा सीटों पर इस बार भी कुंडा सीट अहम मानी जा रही है. इसका कारण है प्रदेश सरकार के मंत्री रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया'.
राजा भैया उर्फ कुँवर रघुराज प्रताप सिंह का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. इस बार यह कुंदा विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. रघुराज ने महज 24 साल की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था.
सरकार के मंत्री रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' कुंडा से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. इस सीट पर सपा-कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.
2012 में प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. सीबीआई जांच के दौरान कथित क्लिनचिट मिलने के बाद उनको आठ महीने बाद इन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था.
राजा भैया वर्ष 1993 से 2012 तक कुंडा से लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक रहकर रिकार्ड बना चुके हैं. इस बार भी वह प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले भी सपा तीन बार उन्हें समर्थन दे चुकी है. वर्ष 1996 में भाजपा ने भी उन्हें समर्थन दिया था. राजा भैया कल्याण सिंह, दिवंगत राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में भी मंत्री रहे हैं.
इससे पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नियाज हसन का कब्जा रहा. वह वर्ष 1962 से 1889 तक यहां से पांच बार विधायक रहे. राजा भैया के सियासी रसूख के कारण बाबागंज सीट पर वह अपने करीबी विधायक को चुनाव जिताते रहे हैं. इस सीट से उनके करीबी विनोद सरोज चुनाव लड़ते हैं. पहले उनके पिता इस सीट से चुनाव जीतते थे.
राजा भैया उर्फ कुँवर रघुराज प्रताप सिंह का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. इस बार यह कुंदा विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. रघुराज ने महज 24 साल की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था.
सरकार के मंत्री रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' कुंडा से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. इस सीट पर सपा-कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.
2012 में प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. सीबीआई जांच के दौरान कथित क्लिनचिट मिलने के बाद उनको आठ महीने बाद इन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था.
राजा भैया वर्ष 1993 से 2012 तक कुंडा से लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक रहकर रिकार्ड बना चुके हैं. इस बार भी वह प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले भी सपा तीन बार उन्हें समर्थन दे चुकी है. वर्ष 1996 में भाजपा ने भी उन्हें समर्थन दिया था. राजा भैया कल्याण सिंह, दिवंगत राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में भी मंत्री रहे हैं.
इससे पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नियाज हसन का कब्जा रहा. वह वर्ष 1962 से 1889 तक यहां से पांच बार विधायक रहे. राजा भैया के सियासी रसूख के कारण बाबागंज सीट पर वह अपने करीबी विधायक को चुनाव जिताते रहे हैं. इस सीट से उनके करीबी विनोद सरोज चुनाव लड़ते हैं. पहले उनके पिता इस सीट से चुनाव जीतते थे.
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