आजम खान को समाजवादी पार्टी ने एक बार रामपुर से टिकट दिया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और विधायक आजम खान को समाजवादी पार्टी ने एक बार रामपुर से टिकट दिया है. आजम खान का जन्म उत्तरप्रदेश के रामपुर में 14 अगस्त 1948 को हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई रामपुर के बकर स्कूल से पूरी करने के बाद रामपुर के सुंदरलाल इंटर कॉलेज से स्नातक और फिर 1974 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. आजम खान का निकाह ताजीन फातिमा से हुआ है और उनके दो बेटे अदीब खान और अब्दुल्लाह खान हैं.
आजम खान ने राजनीतिक करियर की शुरुआत पढ़ाई के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की थी. वे वहां विद्यार्थी संघ के सचिव थे. आजम खान ने 1976 में जनता दल ज्वाइन करने के बाद जिला स्तर की राजनीति की. फासीवाद और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अलीगढ़, फैजाबाद, उन्नाव और वाराणसी में तीन साल के लिए कई बार जेल भी गए. इसके अलावा आपातकाल के दौरान मीसा के तहत भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
आजम खान 1980, 1985, 1989, 1991, 2002, 2007 और 2012 में राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य रहे. 1981-82 में संसदीय अनुसंधान, संदर्भ और राज्य विधानसभा की अध्ययन समिति के सदस्य थे. आजम खान 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और 05 दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक श्रम, रोजगार, मुस्लिम वक्फ और हज के लिए काम किया. 1993 में वे एक बार फिर राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. 1994 में आजम खान मॉइनोरिटी फॉरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बने और समाजवादी पार्टी को ज्वॉइन कर लिया. इसी साल वे समाजवादी पार्टी के ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी बने.
आजम खान को 1996 में राज्यसभा के लिए चुना गया और वो 9 मार्च 2002 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके बाद आजम खान 13 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 6 सितंबर 2003 से 13 मई 2007 तक संसदीय मामलों, शहरी विकास, जल आपूर्ति, शहरी रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन के कैबिनेट मंत्री बने.
2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने रामपुर सीट से जयाप्रदा को टिकट दे दिया. इसके बाद आजम खान उनके खिलाफ चुनाव लड़े और हार गए. इसके बाद सपा ने आजम खान को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया, लेकिन 4 दिसंबर 2010 को पार्टी ने उनका निष्कासन रद्द करते हुए पार्टी में वापस बुला लिया. 2012 में अखिलेश यादव सरकार में वे कैबिनेट मंत्री बने. बाद में उन पर कई तरह के आरोप लगे, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा.
आजम खान ने राजनीतिक करियर की शुरुआत पढ़ाई के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की थी. वे वहां विद्यार्थी संघ के सचिव थे. आजम खान ने 1976 में जनता दल ज्वाइन करने के बाद जिला स्तर की राजनीति की. फासीवाद और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अलीगढ़, फैजाबाद, उन्नाव और वाराणसी में तीन साल के लिए कई बार जेल भी गए. इसके अलावा आपातकाल के दौरान मीसा के तहत भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
आजम खान 1980, 1985, 1989, 1991, 2002, 2007 और 2012 में राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य रहे. 1981-82 में संसदीय अनुसंधान, संदर्भ और राज्य विधानसभा की अध्ययन समिति के सदस्य थे. आजम खान 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और 05 दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक श्रम, रोजगार, मुस्लिम वक्फ और हज के लिए काम किया. 1993 में वे एक बार फिर राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. 1994 में आजम खान मॉइनोरिटी फॉरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बने और समाजवादी पार्टी को ज्वॉइन कर लिया. इसी साल वे समाजवादी पार्टी के ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी बने.
आजम खान को 1996 में राज्यसभा के लिए चुना गया और वो 9 मार्च 2002 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके बाद आजम खान 13 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 6 सितंबर 2003 से 13 मई 2007 तक संसदीय मामलों, शहरी विकास, जल आपूर्ति, शहरी रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन के कैबिनेट मंत्री बने.
2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने रामपुर सीट से जयाप्रदा को टिकट दे दिया. इसके बाद आजम खान उनके खिलाफ चुनाव लड़े और हार गए. इसके बाद सपा ने आजम खान को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया, लेकिन 4 दिसंबर 2010 को पार्टी ने उनका निष्कासन रद्द करते हुए पार्टी में वापस बुला लिया. 2012 में अखिलेश यादव सरकार में वे कैबिनेट मंत्री बने. बाद में उन पर कई तरह के आरोप लगे, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा.
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