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बिना हाथ का 'अर्जुन': दुनिया का सबसे छोटा बिना हाथों का तीरंदाज़

Para Archer Ayush Kumar Story: आयुष दुनिया का सबसे छोटा पैरा तीरंदाज़ बन गए हैं. NDTV संवाददाता विमल मोहन ने इस हुनरमंद बच्चे को बागपत के धनौरी टिकरी गांव जाकर ढूंढ निकाला है.

Para Archer Ayush Kumar Story by Vimal Mohan

  • फरीदाबाद के छह साल के आयुष कुमार बिजली के हादसे में दोनों हाथ खोने के बाद भी दुनिया के सबसे छोटे पैरा तीरंदाज़ बन गए हैं.
  • आयुष ने बिना हाथों के टेरा बैंड का उपयोग कर कोच कुलदीप वेदवान के साथ तीरंदाजी की ट्रेनिंग शुरू की है और बड़े तीरंदाज़ बनने का सपना देख रहे हैं.
  • कोच कुलदीप वेदवान का मानना है कि आयुष में बड़ी काबिलियत है और वह बारह साल की उम्र तक भारतीय टीम में शामिल हो सकता है.
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World's smallest Para Archer Ayush Kumar Story: हरियाणा में फरीदाबाद के 6 साल आयुष साल भर पहले जसप्रीत बुमराह के फ़ैन थे और उनकी तरह ही गेंदबाज़ी करने की कोशिश करते थे. मगर साल भर पहले बिजली के एक हादसे में नन्हे आयुष के दोनों हाथ ले लिए . मगर साल भर के अंदर ही आयुष दुनिया का सबसे छोटा पैरा तीरंदाज़ बन गए हैं. NDTV संवाददाता विमल मोहन ने इस हुनरमंद बच्चे को बागपत के धनौरी टिकरी गांव जाकर ढूंढ निकाला. फरीदाबाद के 6 साल के बिना हाथों के आयुष कुमार टेरा बैंड लगाकर कोच कुलदीप वेदवान के साथ तीरंदाज़ी के गुर सीख रहे हैं. 6 साल के आयुष बिना हाथों की तीरंदाज़ी करने वाले दुनिया के सबसे छोटे पैरा तीरंदाज़ हैं. साल भर पहले बिजली की तार से हुए एक हादसे ने उनके दोनों हाथ छीन लिए मगर उनके हौसले नहीं छीन सके. नन्हा आयुष अब तीरंदाज़ बनने का सपना पाल रहा है.

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कोच कुलदीप को भरोसा, 12 साल में खेलेगा भारत के लिए

पैरालिंपिक विजेता शीतल देवी की कामयाबी ने कोच कुलदीप के लिए चैंपियन तैयार करने का फॉर्मूला दे दिया है. वो आयुष में अभी से ही बड़े तीरंदाज़ बनने के संकेत देखने लगे हैं. कोच कहते हैं. "जब मैंने पहली बार देखा तभी मैंनें इसे तीरंदाज़ बनाने का फैसला कर लिया था. मुझे लगा कि वह यह कर पाएगा. इसे देखने के बाद मैंने इसे टैलेंट स्काउटिंग के लिए बुलाया था. ये समर कैंप में हमारे पास आए थे और ट्रेनिंग कर रहे हैं. कोच ने बताया कि आयुष में बड़ा तीरंदाज़ बनने की काबिलियत है. मुझे पूरी उम्मीद है कि जब यह 12 साल होगा तब यह भारतीय टीम में होगा.

आयुष की मां के लिए भी जगी उम्मीद

ठीक साल भर पहले 12 जुलाई को हुए हादसे को आयुष की मां भूल नहीं पातीं... मगर तीरंदाज़ी का खेल उनके बेटे और पूरे परिवार के लिए नई रोशनी लेकर आया है. आयुष की मां कहती हैं. 12 जुलाई 2024 में इसके साथ हादसा हो गया था. उसने मुझे कहा था कि मैं अपनी चाची के पास खेलने जा रहा हूं, लेकिन वहां क्या हुआ मुझे नहीं पता. इसके साथ वह हादसा हो गया. जब वह बिजाली के संपर्क में आया तो जोर से आवाज हुई, तब हमें पता चला कि इसके साथ हादसा हो गया है.

आयुष कुमार -"मैं बुमराह की तरह बॉलिंग करता था.. विकेट भी लिए..मैं किंग कोहली और रोहित का भी फैन हूं."

बागपत के धनौरी टिकरी गांव में लगातार ट्रेनिंग कर रहे

आयुष इस समय बागपत के धनौरी टिकरी गांव में लगातार ट्रेनिंग कर रहे हैं. आयुष लगातार यहां सीख रहे हैं और एक बड़ा तिरंदाज का सपना बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. आयुष को पायल नाग के साथ ट्रेनिंग करने का बड़ा मौका मिल रहा है. पायल नाग ने वर्ल्ड चैंपियन और पैरालंपिक पदक वितेजा शीतल देवी को नेशनल में चुकी हैं.

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पायल नाग भी आयुष के हौसले को देख दंग हैं

आयुष के हौसले को देखकर पायल नाग भी हैरान हैं. उन्होंने कहा, मेरे से इसने बात किया, हमने मिलकर काफी बात की, इसकी हिम्मत मुझे बहुत अच्छी लगीं, इतने कम समय में यह सब कर रहा है और काफी आगे जाने की चाह लिए हुए हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि यह जरूर आगे जाएगा.

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