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This Article is From Aug 09, 2021

Tokyo 2020: ओलिंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी का सुझाव, ज्यादा पदक जीतने के लिए क्या करे सरकार

Tokyo: मल्लेश्वरी बोलीं कि मुझे महिला खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से काफी खुशी होती है. मुझे गर्व भी महसूस होता है कि मैंने जो रास्ता बनाया, उस पर अब कई लड़किया चल रही हैं और सफल हो रही हैं. पहले तो लड़कियों का ओलिंपिक में पहुंचना ही बड़ी बात होती थी, पदक के बारे में कोई सोचता नहीं था. अब कोई महिला खिलाड़ी ओलिंपिक में जाती है तो सिर्फ उसमें भागीदारी की बात नहीं होती, अब वे पदक की दावेदार होती हैं. सोच काफी बदल गई है.

Tokyo 2020: ओलिंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी का सुझाव, ज्यादा पदक जीतने के लिए क्या करे सरकार
Olympics 2020: मल्लेश्वरी भारत के लिए ओलिंपिक पदक जीत चुकी हैं
नयी दिल्ली:

Tokyo Olympics 2020: तोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक स्वर्ण सहित सात पदक जीतकर इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, लेकिन 135 करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले देश के लिए पदकों की यह संख्या काफी कम है. पेश हैं इस संबंध में सिडनी ओलिंपिक में भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीतने वाली एवं हाल में दिल्ली खेल विश्वविद्यालय की पहली कुलपति नियुक्त हुईं कर्णम मल्लेश्वरी ने अपने  विचार रखे हैं. मल्लेश्वरी ने यह भी सुझाव दिया कि ओलिंपिक में ज्यादा बटोरने के लिए क्या किए जाने की जरूरत है. मल्लेश्वरी ने कहा कि निश्चित तौर पर हमारे खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, हालांकि हमने जितना अनुमान लगाया था, उतने पदक नहीं आए. हमने सोचा था कि 10 से 12 पदक आएंगे. हम निशानेबाजी और तीरंदाजी पदक से चूक गए, लेकिन बाकी दूसरे खेलों से अच्छे नतीजे मिले. हमें लगा था कि दोनों स्पर्धाओं (तीरंदाजी और निशानेबाजी) में कुल तीन-चार पदक आएंगे. हमने नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू के पदक के बारे में सोचा था, कुश्ती और मुक्केबाजी, बैडमिंटन और हॉकी में भी पहले से पदक का अनुमान था.

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मल्लेश्वरी ने कहा कि इन खेलों के खिलाड़ी ओलिंपिक से पहले लय में थे, इसलिए हमें दो अंकों में पदकों की उम्मीद थी. अगर आप खिलाड़ी हैं तो आप पर दबाव तो हमेशा होगा. जहां तक उनके प्रशिक्षण और अभ्यास का सवाल है तो मैं नहीं समझती कि इस बार इस मामले में कोई कमी रही. सरकार और इन खेलों से जुड़े महासंघ ने खिलाड़ियों का पूरा ध्यान रखा था. खिलाड़ियों के पास कोच, फिजियो चिकित्सकों की सुविधा थी. इस बार इन मामलों को लेकर शायद ही कोई खिलाड़ी शिकायत करे. पदक या जीत कई बार किस्मत और उस दिन विशेष पर भी निर्भर करते हैं, खेल में थोड़ा किस्मत का साथ चाहिए होता है. जहां तक कमी की बात है तो उन खिलाड़ियों से बातचीत के बाद ही चीजें साफ होंगी.

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मल्लेश्वरी बोलीं कि मुझे महिला खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से काफी खुशी होती है. मुझे गर्व भी महसूस होता है कि मैंने जो रास्ता बनाया, उस पर अब कई लड़किया चल रही हैं और सफल हो रही हैं. पहले तो लड़कियों का ओलिंपिक में पहुंचना ही बड़ी बात होती थी, पदक के बारे में कोई सोचता नहीं था. अब कोई महिला खिलाड़ी ओलिंपिक में जाती है तो सिर्फ उसमें भागीदारी की बात नहीं होती, अब वे पदक की दावेदार होती हैं. सोच काफी बदल गई है. लड़कियों में पदक को लेकर आत्मविश्वास आ गया है. महिला हॉकी टीम और गोल्फ में अदिति (अशोक) कम अंतर से चूक गए लेकिन उनसे इतने शानदार प्रदर्शन की उम्मीद कम लोगों ने ही की थी.

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सरकारी की भावी तैयारी पर मल्लेश्वरी बोलीं कि मैंने पहले भी यह बात कही है कि ओलिंपिक में पदक संख्या में तभी इजाफा होगा जब देश में जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम किया जाएगा. अगर आप तोक्यो खेलों में गए हमारे खिलाड़ियों को देखेंगे तो उनमें से 80 प्रतिशत से अधिक गांवों या छोटे शहरों के हैं. जब वे अपने बलबूते, संघर्ष कर पहचान बना लेते हैं तब जाकर उन्हें किसी से मदद मिलती है, जबकि होना यह चाहिए कि जमीनी स्तर पर ही ध्यान देकर प्रतिभा की पहचान की जाए. जमीनी स्तर पर सही व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातर प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती हैं. देश में खेलों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस जमीनी स्तर पर सही कोचिंग और आधारभूत संरचना की जरूरत है. ‘खेलो इंडिया' इस मामले में एक अच्छी पहल है, इससे काफी फायदा होगा लेकिन उसका दायरा और बढ़ाने की जरूरत है. इसमें मैं एक और सुझाव देना चाहूंगी कि जिस तरह से ओडिशा सरकार ने हॉकी का समर्थन किया, उसका नतीजा हमारे सामने है. अगर इसी तरह से दूसरी सरकारें भी एक या दो खेल विशेष का समर्थन करें तो इससे काफी सकारात्मक बदलाव आ सकता है.

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