
भारतीय मूल के उस दिवंगत छात्र का सपना बैंडमिटन का ओलंपिक चैंपियन बनना था, जिसकी पिछले सप्ताह सिंगापुर के एक खेल स्कूल में फिटनेस परीक्षण के बाद मौत हो गई थी.
छात्र प्रणव के पिता प्रेम सिंह मधाइक ने अपने बेटे को याद करते हुए कहा,"वह कहता था कि मैं एक ओलंपिक चैंपियन बनना चाहता हूं."
लेकिन बुधवार को प्रणव की मौत के साथ ही सपना टूट गया. छह दिन पहले फिटनेस परीक्षण के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई.
'चैनल न्यूज एशिया' (सीएनए) की खबर के मुताबिक, मधाइक ने प्रणव के बारे में बात करते हुए कहा वह बेहद अच्छे स्वभाव लडका था, जो दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता था.
प्रणव बैडमिंटन के प्रति समर्पित था. अपने बड़े भाई और पिता को घर के पास पार्क में रोजाना खेलते देख वह किंडरगार्टन-दो से इस खेल से जुड़ गया.
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आखिरकार वह प्राइमरी-दो में अपने सेंट जोसेफ इंस्टीट्यूशन की जूनियर बैडमिंटन टीम में शामिल हो गया और प्राइमरी-छह में टीम का कप्तान बन गया. प्राइमरी स्कूल छोड़ने की परीक्षा पूरी करने के बाद उसने अपने माता-पिता से कहा कि वह पूरी तरह से अब बैडमिंटन खेलना चाहता है.
सीएनए को दिये साक्षात्कार में मधाइक ने कहा,"उसे बैडमिंटन खेलने का बहुत शौक था. उसके लिए पढ़ाई बैडमिंटन के बाद आती थी. जो कुछ भी हुआ उसे मन से स्वीकार कर पाना बहुत कठिन है क्योंकि प्रणव को खुद से बहुत उम्मीदें थीं."
प्रणव खेल स्कूल परिसर के आवास में रहता था. ऐसे में परिवार के लोग उससे सप्ताह में सिर्फ एक बार भी मिल पाते थे. मधाइक ने कहा कि लेकिन बेटे ने एक बार भी यह शिकायत नहीं की कि एक छात्र-एथलीट के रूप में उसका जीवन कठिन है.
वास्तव में, वह बहुत आत्म-प्रेरित था और वह एक भी प्रशिक्षण सत्र छोड़ना नहीं चाहता था.
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