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This Article is From Dec 22, 2021

अरुणा रेड्डी ने कहा- गोल्ड मेडल ने बढ़ा दी है 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स की उम्मीद

हैदराबाद की जिमनास्ट अरूणा रेड्डी मिस्र से दो गोल्ड मेडल जीतकर लौटी हैं. चैंपियंस का शहर हैदराबाद अरुणा का भी सम्मान कर रहा है.

अरुणा रेड्डी ने कहा- गोल्ड मेडल ने बढ़ा दी है 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स की उम्मीद
जिमनास्ट अरूणा रेड्डी मिस्र
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अरुणा रेड्डी को 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद
हैदराबाद की रहने वाली हैं अरुणा रेड्डी
हाल ही में दो गोल्ड मेडल जीतकर लौटी हैं देश
हैदराबाद:

हैदराबाद की जिमनास्ट अरूणा रेड्डी मिस्र से दो गोल्ड मेडल जीतकर लौटी हैं. चैंपियंस का शहर हैदराबाद अरुणा का भी सम्मान कर रहा है. एक्टर चिरंजीव और पूर्व क्रिकेटर और खेल अधिकारी चामुंडेश्वरनाथ उन्हें एक कार देकर सम्मानित कर रहे हैं. एक दिन पहले ही किदाम्बि श्रीकांत स्पेन में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप से सिल्वर मेडल जीतकर हैदराबाद लौटे हैं और उनके सम्मान में पहले से ही कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. NDTV से ख़ास बातचीत के दौरान अरुणा अपनी जीत पर फूली नहीं समातीं. कहती हैं, "जब मैंने मेलबर्न वर्ल्ड कप में मेडल जीता तब भी पिताजी नहीं थे. इन पदकों के बाद फिर से उनकी याद आ गई. बड़ी बात ये है कि चोट से वापसी करते हुए इन जीतों ने मेरा हौसला बढ़ा दिया है. मुझे लगता है मैं अगले साल क़मनवेल्थ गेम्स में ज़रूर कुछ कर दिखाऊंगी"

जिमनास्ट अरुणा रेड्डी तीन साल बाद अचानक फिर से सुर्ख़ियों में आई हैं. तीन साल पहले उन्होंने मेलबर्न में 2018 में हुए वर्ल्ड कप में मेडल जीता. वर्ल्ड कप में पदक जीतने वाली वो भारत की महिला जिमनास्ट बनीं तो उनसे उम्मीदें भी बढ़ गईं. लेकिन उन्हें टोक्यो ओलिंपिक्स का टिकट हासिल नहीं हो सका. अब वो भी किदाम्बि श्रीकांत, पीवी सिंधु, सायना नेहवाल और सानिया मिर्ज़ा की तरह हैदराबाद की उन चैंपियंस की लिस्ट में शामिल हो गई हैं जिनका विजेता की तरह वापस लौटने पर शहर में  धूमधाम से स्वागत किया जा रहा है. 

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25 साल की अरुणा ने इजिप्ट के इनविटेशनल जिमनास्टिक्स टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते. भारतीय जिमनास्टिक्स से आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत की ख़बर कम ही आती है.  नहीं आती. कोरोना के दौर  में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैसे भी प्रतियोगिताओं का अकाल रहा. इसका ख़ामियाज़ा भारतीय जिमनास्टिक्स को भी भुगतना पड़ा. टूर्नामेंट की कमी और चोट की वजह से दीपा जैसी जिमनास्ट को भी रियो के बाद टोक्यो का टिकट भी नहीं मिल पाया. 

मिस्र में 17-19 दिसंबर के बीच FIG के PHARAOHS CUP में अरुणा ने वॉल्ट और फ़्लोर इवेंट में दो गोल्ड मेडल जीते. इस प्रतियोगिता में दर्जन भर देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया जहां जूनियर सहित क़रीब 200 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इस टूर्नामेंट में पुरुष और महिला वर्ग में मिस्र और साइप्रस के ओलिंपियन और कॉमनवेल्थ मेडलिस्ट खिलाड़ियों ने अपने हुनर का इम्तिहान दिया.

उनके कोच मनोज राणा बताते हैं, "अरुणा ने फ़्लोर रुटिन में गोल्ड जीता जबकि वॉल्ट में फॉरवर्ड सैल्टोस लेआउट विथ हाफ़ टर्न (डिफ़िकल्टी 5.0) में 13.95 तक का स्कोर किया. उनका औसत क्वालिफ़िकेशन में 13.80 रहा. इस स्कोर के सहारे वो 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्ल्थ गेम्स में  ब्रॉन्ज़ मेडल जीत सकती थीं." (ऑस्ट्रेलिया की एमिली वाइटहेड ने 13.84 के स्कोर के साथ 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था.)

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मनोज ये भी कहते हैं कि अरुणा को टोक्यो का टिकट हासिल नहीं हो सका जिससे वो और अरुणा दोनों दुखी हुए. क्योंकि, जर्मनी में हुए क्वालिफ़िकेशन टूर्नामेंमट के दो दिनों पहले उन्हें ACL टीयर हो गया था. मनोज कहते हैं, "ये बड़ी बात है कि अरुणा ने सर्जरी के बाद अपने दूसरे कमबैक टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीत लिए." 

अरुणा कहती हैं ... मेरा दिल टूट गया जब टोक्यो के क्वालिफ़िकेशन टूर्नामेंट से दो बार कोटबस और स्टुटगार्ट में मैं चोटि का शिकार बन गई. इस बार इंजरी ना हो इसका ख़ास ख़्याल रख रही हूं. वो ये भी कहती हैं,"दीपा दीदी और प्रणति के अलावा आशीष भैया भी जमकर तैयारी कर रहे हैं. अगर सबकी ट्रेनिंग में तालमेल रहा तो मुझे लगता है अगला साल भारतीय जिमनास्टिक्स के लिए बड़ा साबित हो सकता है." वो बताती हैं कि वो कॉ़मनवेल्थ में अब ऑल राउंड के साथ वो वॉल्ट के लिए फॉरवर्ड सैल्टोस लेआउट विथ 540 टर्न करेंगे (डिफ़िकल्टी 5.80) और दूसरा वॉल्ट शुकाहारा विथ 720 डिग्री टर्न (5.6) की कोशिश कर रही हैं. वो कहती हैं कि वो इसकी तैयारी पिछले छह महीने से कर रही हैं और इसका नतीजा भी ज़रूर देखने को मिलेगा. 

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