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This Article is From Aug 22, 2023

Chess World Cup Final 2023: भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रज्ञनानंदा और मैग्नस कार्लसन के बीच पहला गेम रहा ड्रॉ

भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंद और दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के बीच शतरंज विश्व कप फाइनल में मुकाबला जारी है.

Chess World Cup Final 2023: भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रज्ञनानंदा और मैग्नस कार्लसन के बीच पहला गेम रहा ड्रॉ
नई दिल्ली:

भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने मंगलवार को यहां फिडे विश्व कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल की पहली क्लासिकल बाजी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को बराबरी पर रोका. अब मैच दूसरे गेम की ओर बढ़ गया है. यदि दूसरे गेम में भी मैच का फैसला नहीं होता है, तो टाई-ब्रेकर का सहारा लिया जाएगा. भारत के 18 साल के ग्रैंडमास्टर ने अपने से अधिक अनुभवी और बेहतर रैंकिंग वाले खिलाड़ी के खिलाफ प्रभावशाली प्रदर्शन किया और सफेद मोहरों से खेलते हुए विरोधी खिलाड़ी को 35 चाल के बाद ड्रॉ के लिए राजी किया.

बुधवार को दो क्लासिकल मैच के मुकाबले की दूसरी बाजी में कार्लसन सफेद मोहरों से शुरुआत करेंगे और फायदे की स्थिति में रहेंगे. प्रज्ञानानंदा ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हराकर उलटफेर करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी. प्रज्ञानानंदा महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व कप फाइनल में जगह बनाने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। वह 2024 में होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर चुके हैं.

प्रज्ञाननंदा की सफलता का पूरा श्रेय उनकी मां को 
भारतीय शतरंज के नये सितारे आर प्रज्ञाननंदा बाकू में खेल जा रहे विश्व कप में जब इस खेल में नया इतिहास रच रहे थे तब एक कोने में खड़ी उनकी मां नागलक्ष्मी की आंखों में चमक और चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान देखी जा सकती थी. अठारह  साल के प्रज्ञाननंदा विश्व कप के फाइनल में पांच बार के चैंपियन मैग्नस कार्लसन का सामना कर रहे हैं. वह दिग्गज विश्वनाथ आनंद के बाद शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय है.

टूर्नामेंट के दौरान प्रज्ञाननंदा की मां की मौजूदगी ने पूर्व महान खिलाड़ी गैरी कास्पारोव को अपने खेल के दिनों की याद दिला दी. कास्परोव ने कहा कि जब वह खेलते थे तब उनकी मां भी उनके साथ मौजूद रहती थी और इसने उनके खेल में काफी मदद की. भारतीय खेल जगत में ऐसे कई उदाहरण है जहां बच्चों के करियर को आकार देने में माता-पिता का व्यापक प्रभाव रहा है. विश्वनाथन आनंद की लगभग साढ़े तीन दशक पुरानी तस्वीर आज भी प्रशंसकों के जेहन में है जिसमें वह 64 खानों के इस खेल को अपनी मां सुशीला के साथ खेल रहे हैं.

विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में प्रज्ञाननंदा जब अर्जुन एरिगैसी को हराकर मीडिया से बातचीत कर रहे तब नागलक्ष्मी चेहरे पर मुस्कान और आत्मसंतुष्टि के साथ अपने बेटे को निहार रही थी. यह तस्वीर जल्दी ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी. प्रज्ञानानंद के पिता रमेश बाबू ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ मुझे अपनी पत्नी को श्रेय देना चाहिए, जो टूर्नामेंट में उनके साथ जाती है और उसका पूरा समर्थन करती है. वह (दोनों बच्चों का) बहुत ख्याल रखती है.''

बैंक कर्मचारी रमेशबाबू को शतरंज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. उन्होंने अपने बच्चों को टेलीविजन के सामने से हटाने के लिये इस खेल का सहारा लिया. रमेशबाबू ने कहा, ‘‘हमने वैशाली को शतरंज से परिचित कराया था ताकि बचपन में उसकी टीवी देखने की आदत कम हो सके. इसके बाद दोनों बच्चों को यह खेल पसंद आया और उन्होंने इसे जारी रखने का फैसला किया.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि दोनों शतरंज खेलने का आनंद ले रहे हैं और शतरंज के प्रति अपने जुनून के कारण अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं.'' वैशाली महिला ग्रैंडमास्टर है और अंतरराष्ट्रीय सर्किट में सबसे बेहतरीन युवा खिलाड़ियों में से एक है. उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे इस खेल के बारे में ज्यादा नहीं पता लेकिन मैं हर टूर्नामेंट पर नजर रखता हूं. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं नागलक्ष्मी और प्रज्ञाननंदा से लगभग रोजाना बात करता हूं लेकिन सेमीफाइनल में फैबियानो कारुआना के खिलाफ जीत दर्ज करने के बाद अपने बेटे से बात नहीं कर पाया हूं.''

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