मेरठ:
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के नगर निगम बोर्ड की बैठक में 'वंदे मातरम्' को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े महापौर ने जहां राष्ट्रगीत के सम्मान के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है, वहीं विपक्षी पार्षद किसी भी कीमत पर 'वंदे मातरम्' नहीं बोलने पर अड़े हुए हैं.
नगर निगम बोर्ड की बैठक में 'वंदे मातरम्' को लेकर ताजा विवाद की शुरुआत मंगलवार को हुई थी, जब विपक्षी मुस्लिम पार्षद 'वंदे मातरम्' गायन के दौरान सदन से उठकर बाहर चले गए थे. इस विषय को लेकर विपक्षी पार्षदों के रुख को देखते हुए महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बुधवार को 'वंदे मातरम्' का विरोध करने वाले पार्षदों की सदस्यता समाप्त करने और ऐसे सदस्यों को सदन में नहीं बैठने का प्रस्ताव रखा, जिसे बीजेपी के सदस्यों ने पास कर दिया. बीजेपी महापौर की इस कार्रवाई के बाद विपक्षी पार्षदों द्वारा सदन के बहिष्कार के बाद तो मामले ने और भी तूल पकड़ लिया.
महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने गुरुवार को फिर कहा कि 'वंदे मातरम्' का अपमान कतई सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बुधवार को नगर निगम बोर्ड बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है - "हम अपने निर्णय से पीछे नहीं हटें, चाहे हमें जेल ही क्यों न जाना पड़े..." बीजेपी महापौर ने सपा पार्षदों पर राष्ट्रगीत का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा को छोड़ शेष सभी दलों के पार्षद 'वंदे मातरम्' को लेकर गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम्' नहीं बोलने वालों को हम किसी भी सूरत में नगर निगम बोर्ड की अगली बैठक में नहीं बैठने देंगे.
उधर, विपक्षी पार्षद शाहिद अब्बासी ने कहा कि हमें शक की नजरों से देखा जा रहा है, जबकि हम देश के लिए अपनी जान भी कुर्बान करने से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने 'वंदे मातरम्' पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि हमने 'वंदे मातरम्' का विरोध नहीं किया है. हम तो अन्य लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए उठकर चले आए थे. वहीं पार्षद दीवानजी शरीफ और अरशद उल्ला ने कहा कि 'वंदे मातरम्' को हमारा मज़हब स्वीकार नहीं करता, इसलिए हमें पार्षद पद से इस्तीफा देना मंजूर है, लेकिन 'वंदे मातरम्' नहीं गाएंगे. इन पार्षदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है. हम न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
यहां गौरतलब है कि वर्तमान नगर निगम बोर्ड में पिछले करीब चार साल से 'वंदे मातरम्' को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
नगर निगम बोर्ड की बैठक में 'वंदे मातरम्' को लेकर ताजा विवाद की शुरुआत मंगलवार को हुई थी, जब विपक्षी मुस्लिम पार्षद 'वंदे मातरम्' गायन के दौरान सदन से उठकर बाहर चले गए थे. इस विषय को लेकर विपक्षी पार्षदों के रुख को देखते हुए महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बुधवार को 'वंदे मातरम्' का विरोध करने वाले पार्षदों की सदस्यता समाप्त करने और ऐसे सदस्यों को सदन में नहीं बैठने का प्रस्ताव रखा, जिसे बीजेपी के सदस्यों ने पास कर दिया. बीजेपी महापौर की इस कार्रवाई के बाद विपक्षी पार्षदों द्वारा सदन के बहिष्कार के बाद तो मामले ने और भी तूल पकड़ लिया.
महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने गुरुवार को फिर कहा कि 'वंदे मातरम्' का अपमान कतई सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बुधवार को नगर निगम बोर्ड बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है - "हम अपने निर्णय से पीछे नहीं हटें, चाहे हमें जेल ही क्यों न जाना पड़े..." बीजेपी महापौर ने सपा पार्षदों पर राष्ट्रगीत का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा को छोड़ शेष सभी दलों के पार्षद 'वंदे मातरम्' को लेकर गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम्' नहीं बोलने वालों को हम किसी भी सूरत में नगर निगम बोर्ड की अगली बैठक में नहीं बैठने देंगे.
उधर, विपक्षी पार्षद शाहिद अब्बासी ने कहा कि हमें शक की नजरों से देखा जा रहा है, जबकि हम देश के लिए अपनी जान भी कुर्बान करने से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने 'वंदे मातरम्' पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि हमने 'वंदे मातरम्' का विरोध नहीं किया है. हम तो अन्य लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए उठकर चले आए थे. वहीं पार्षद दीवानजी शरीफ और अरशद उल्ला ने कहा कि 'वंदे मातरम्' को हमारा मज़हब स्वीकार नहीं करता, इसलिए हमें पार्षद पद से इस्तीफा देना मंजूर है, लेकिन 'वंदे मातरम्' नहीं गाएंगे. इन पार्षदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है. हम न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
यहां गौरतलब है कि वर्तमान नगर निगम बोर्ड में पिछले करीब चार साल से 'वंदे मातरम्' को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
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