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This Article is From Apr 20, 2016

हाईकोर्ट के आदेश को अनसुना करनेवाले एडीएम को हटाया जाए : तृप्ति देसाई

हाईकोर्ट के आदेश को अनसुना करनेवाले एडीएम को हटाया जाए : तृप्ति देसाई
फाइल फोटो
मुंबई: भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई ने नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर देवस्थान समिति की प्रमुख और एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (एडीएम) को पद से हटाने की मांग की है। तृप्ति मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अभियान चला रही हैं। बुधवार को मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने दावा किया कि ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश होने के बावजूद अगर एडीएम उस पर अमल न करें, तो उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। देसाई ने सूबे के मुख्यमंत्री से एडीएम को तुरंत बर्खास्त करने कि मांग की है।

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश का आंदोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है। बुधवार को इस आंदोलन में नया मोड़ तब आया जब आंदोलनकारी महिलाओं को गर्भगृह प्रवेश से दूर रखा गया। जिससे नाराज एक आंदोलनकारी महिला ने विरोधियों को मंदिर परिसर में तमाचा जड़ दिया। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। आंदोलनकारियों के इस हमले के विरोध में स्थानीय महिलाओं ने आंदोलनकारियों महिलाओं को मंदिर परिसर से खदेड़ दिया। इस बीच एक आंदोलनकारी बेहोश हो गई। आंदोलनकारी महिलाएं स्वराज महिला संगठन की कार्यकर्ता हैं।

इस पूरे मामले को चिंताजनक बताते हुए भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई ने कहा कि महिलाओं के साथ ठीक सलूक नहीं हुआ है। उनको उनका हक दिलाने के आदेश होने के बावजूद अगर एडीएम उसे अनसुना करते हैं, तो उन्हें पदमुक्त करने की मांग करने को लेकर वे खुद गुरुवार को त्र्यम्बकेश्वर जाएंगी। उल्लेखनीय है कि त्र्यम्बकेश्वर देवस्थान समिति एडीएम के अधीन है।

इस बीच स्थानीय पार्षद धनंजय तुंगार ने आंदोलनकारी महिलाओं के साथ बदसलूकी होने के आरोप को नकार दिया है। उन्होंने मंदिर परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में दावा किया कि आंदोलनकारी महिलाएं नियम तोड़कर गर्भगृह में जाना चाहती थीं। तुंगार के अनुसार उन महिलाओं ने न पूजावस्त्र पहने थे और न ही वे तय समय में दर्शन के लिए पहुंची थीं। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में शिवलिंग पूजन के लिए पुरुष और महिलाओं को सिर्फ सूती वस्त्र पहनना होता है और भगवान के पूजन के लिए गर्भगृह के कपाट सुबह 7 बजे तक ही खुले होते हैं।

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