हिंदू धर्म में भगवान गणेश (Lord Ganesh) को ज्ञान, सुख समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना गया है. भगवान शिव और माता के पुत्र गणपति प्रथम पूज्य देव हैं और गजानन, बप्पा, एकदंत और वक्रतुंड भी कहलाते हैं. हर वर्ष भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से दस दिन तक धूमधाम से गणेशोत्सव का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. भगवान गणेश पूरे दस दिन तक विराजते हैं और भक्त हर दिन विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं कब है गणेश चतुर्थी (Date of Ganesh Chaturthi) और महाराष्ट्र में क्यों है इस त्योहार का इतना महत्व.
कब से कब तक गणेशोत्सव
गणेशोत्सव की शुरुआत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है. इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर शनिवार को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक है. गणेश चतुर्थी 7 सितंबर शनिवार को मनाई जाएगी और उसी दिन गणेशोत्सव शुरू होगा. दस दिन चलने वाला यह त्योहार अनंत चतुर्दशी को यानी 17 सितंबर मंगलवार को समाप्त होगा. 7 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से लेकर 1 बजकर 34 मिनट तक है. गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को यानी 17 सितंबर का होगा.
महाराष्ट्र में लोकप्रिय त्योहार
महाराष्ट्र में गणेशात्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. मराठा साम्राज्य से जुड़े इस त्योहार की शुरुआत 17 वीं सदी में छत्रपति शिवाजी ने प्रजा को राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए किया था. आगे चल कर लोकमान्य तिलक ने इस त्योहार को अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने के लिए इसे फिर से शुरू किया. गणेशोत्सव का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है. महाराष्ट्र के गांव से लेकर शहरों और महानगरों में बहुत बड़े स्तर पर गणेशोत्व मनाया जाता है और लोग अपने घरों में भी बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं. आजकल यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाने लगा है.
गणेश उत्सव का महत्व
भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है. ऐसे में गणेश पूजन से घर में सुख समृद्धि का वास होता है. मान्यता ये भी है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर ही रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं. ऐसे में भक्त भी बप्पा को प्रसन्न करने के लिए हर जतन करते हैं. महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना आदि राज्यों में यह त्योहार काफी लोकप्रिय है. इन राज्यों में गणपति जी के विशाल पंडाल लगते हैं. इस दिन सभी घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा का भव्य स्वागत किया जाता है. साथ ही गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है. इस तिथि को व्रत रखने से व्रती को जीवन में सुख- समृद्धि और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं.
गणेशोत्सव का इतिहास
गणेश उत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र के पुणे में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकने के लिए की थी. उस वक्त मराठा साम्राज्य और महाराष्ट्र परिवारों को एकजुट करने के लिए गणेश उत्सव का श्रीगणेश हुआ. इसके बाद धर्मनगरी वाराणसी से लोगों को धर्म के नाम पर अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का संदेश दिया गया. तब से यह परंपरा करीब 127 साल से अनवरत जारी है.
इस पावन त्योहार को तो महाराष्ट्र में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. देखा जाए तो ये त्योहार अब पूरे देश के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड और अन्य देशों में भी बहुत ही शानदार तरीके से मनाया जाता है. यही नहीं यहां कई गणेश पंडाल लगाए जाते हैं, जहां लोग काफी संख्या में पूजा करने के लिए आते हैं. उन्हीं में से एक हैं लालबागचा राजा मुंबई की सबसे प्रतिष्ठित गणपति मूर्ति है और मुंबईवासी हर साल लालबाग में गणपति बप्पा के दर्शन करने के लिए आते हैं. लालबागचा की कहानी कई दशक पुरानी है, चलिए आज हम आपको लालबागचा राजा के कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में बताते हैं.
गणेशोत्सव की शुरुआत
गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी. गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है. मान्यता है कि भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी.
छत्रपति शिवाजी का कनेक्शन
छत्रपति शिवाजी द्वारा इस महोत्सव की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य के बाकी पेशवा भी गणेश महोत्सव मनाने लगे. गणेश चतुर्थी के दौरान मराठा पेशवा ब्राह्मणों को भोजन कराते थे और साथ ही दान पुण्य भी करते थे. पेशवाओं के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में हिंदुओं के सभी पर्वों पर रोक लगा दी लेकिन फिर भी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के महोत्सव को दोबारा मनाने की शुरूआत की. इसके बाद 1892 में भाऊ साहब जावले द्वारा पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की गई थी.
गणेशोत्सव में प्रयोग की जाने वाली गणेश की मूर्ति को मुंबई के लालबाग में रखा जाता है. लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल की स्थापना बहुत साल पहले वर्ष 1934 में मुंबई के लालबाग बाजार में की गई थी. इस त्योहार के लिए स्थानीय व्यपारी और मछुआरे साथ मलकर मेहनत करते हैं.
गणेश की मूर्ति और कांबली परिवार की कहानी
लालबागचा राजा गणेश की मूर्ति के पीछे के कलाकार और मूर्तिकार कांबली परिवार हैं. इस प्रक्रिया में उनके बेटे भी उनकी मदद करते हैं. आपको बता दें, कांबली आर्ट वर्कशॉप हर साल 18-20 फीट की मूर्ति बनाने की बेहतरीन जगह है. सपनों के शहर में गणपति को पूरी भव्यता के साथ मनाया जाता है. कांबली परिवार 89 साल से मूर्ति बना रहा है.
साल 2024 में भव्य गणेश चतुर्थी उत्सव के 91वर्ष पूरे हो चुके हैं. मुंबई वासी 1934 से लालबागचा राजा के साथ महाराष्ट्र के इस उत्सव में सबसे सबसे प्रसिद्ध त्योहार का आनंद ले रहे हैं. इस दौरान लाखों भक्त सड़कों पर घूमते हैं और ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हैं.
10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का समापन शहर के चारों ओर लोगों की हजारों भीड़ के साथ शुरू होता है.गणेशोत्सव की शुरुआत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है. इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर शनिवार को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक है. गणेश चतुर्थी 7 सितंबर शनिवार को मनाई जाएगी और उसी दिन गणेशोत्सव शुरू होगा. दस दिन चलने वाला यह त्योहार अनंत चतुर्दशी को यानी 17 सितंबर मंगलवार को समाप्त होगा. 7 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से लेकर 1 बजकर 34 मिनट तक है. गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को यानी 17 सितंबर का होगा.
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