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This Article is From Aug 17, 2017

क्या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को खुश कर पाएंगे मध्यप्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे?

मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों के चुनाव के नतीजे बीजेपी अमित शाह के 'कांग्रेस मुक्त भारत' को आगे बढ़ाते हुए नजर नहीं आ रहे हैं.

क्या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को खुश कर पाएंगे मध्यप्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे?
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 18 से 20 अगस्त तक तीन दिवसीय प्रवास पर भोपाल में रहेंगे.
भोपाल: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा बुलंद किए हुए हैं. इसके लिए वह हर मौके और स्तर पर सक्रिय रहते हैं, मगर शाह के मध्यप्रदेश के प्रवास पर आने से पहले नगरीय निकायों के चुनाव के नतीजे उनके नारे को आगे बढ़ाते नहीं दिखते. लिहाजा इन नतीजों से शाह खुश होंगे, इसमें संशय है. पार्टी अध्यक्ष शाह 18 से 20 अगस्त तक तीन दिवसीय प्रवास पर भोपाल में रहेंगे. भाजपा संगठन और सरकार नगरीय चुनाव में कांग्रेस का सफाया करके में विफल रहे. 

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नगर निकाय चुनाव के नतीजों को पार्टी कार्यकर्ताओं, प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के कामकाज की जीत बताया है.उन्होंने कहा, "इस चुनाव में भाजपा ने डबरा व कैलारस में जीत दर्ज की है, जहां पहली बार हमें सफलता मिली है.ये इलाके ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्य क्षेत्र के हैं." इसके साथ ही उन्होंने शाह के प्रवास को पार्टी के लिए उत्सव करार दिया.

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कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि नगर निकाय चुनाव में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के क्षेत्र में भाजपा की हार इस बात का संकेत है कि प्रदेश में जनता अब बदलाव चाहती है. सिंह ने कहा, "विदिशा संसदीय क्षेत्र के नसरूल्लागंज तहसील में लाड़कुई एवं प्रदेशाध्यक्ष चौहान के संसदीय क्षेत्र के सनावद में भाजपा प्रत्याशियों की हार ने भाजपा सरकार के कुशासन और मुख्यमंत्री के कामकाज के खिलाफ मत दिया है.मुख्यमंत्री ने 31 नगर निकाय में पूरा जोर लगाया, रोड शो किया और सारे हथकंडे अपनाने के बाद 15 निकायों में कांग्रेस विजय हुई." 

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राज्य में 43 नगर निकायों में हुए चुनाव में से 25 पर भाजपा, 15 कांग्रेस और तीन पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. इन नतीजों में भाजपा को बढ़त दिख रही है, मगर वर्ष 2012 के चुनाव से तुलना करके देखे जाएं तो भाजपा नीचे खिसकी है तो कांग्रेस आगे बढ़ी है. लेकिन ये नतीजे अमित शाह के स्वभाव और कार्यशैली के अनुकूल नहीं लगते हैं. वह हर चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार देखना चाहते हैं, इसके लिए वह रणनीति भी बनाते हैं. मगर यहां आने से पहले उन्हें खुश करने वाला तोहफा देने से पहले पार्टी चूक गई.   

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